हरदोई से प्रशांत पाठक के साथ सुप्रतिम बनर्जी की रिपोर्ट
रंगबाज़ी हवा हुई.. अब चुनाव के आसरे हैं हरदोई के दो पुराने हिस्ट्रीशीटर!
two congress candidates are history-sheeters in up police record
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21 Feb 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:13 PM)
ऊपर से नीचे तक झक सफ़ेद कपड़े, कुर्ते पर चढ़ी बंडी, सांवला चेहरा, बड़ी-बड़ी मूंछें और साथ में चलते सफ़ारी सूट वाले कुछ बाउंसरनुमा लोग... कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेंद्र कुमार जब अपने इलाक़े में हाथ जोड़े चुनाव प्रचार के लिए निकलते हैं, तो किसी फ़िल्मी किरदार की तरह लगते हैं... हालांकि चेहरे-मोहरे या अपने अपियरेंस से सुरेंद्र जैसे भी लगते हों, हक़ीक़त की ज़िंदगी में उनकी पहचान एक नेता की कम और रंगबाज़ की ज़्यादा है. वजह ये कि सुरेंद्र कुमार पर क़त्ल की कोशिश से लेकर आर्म्स एक्ट जैसे संगीन मुक़दमे तो दर्ज हैं ही, उनके ख़िलाफ़ पुलिस गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई भी कर चुकी है. थाने में उनकी हिस्ट्रीशीट भी खुली है. यही सुरेंद्र कुमार इस बार हरदोई के बालामऊ विधान सभा इलाक़े से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
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कहानी हरदोई के दो चुनावी रंगबाज़ों की
मगर हरदोई से चुनावी समर में सुरेंद्र कुमार अकेले रंगबाज़ नहीं हैं, बल्कि हरदोई के ही बिल्लाग्राम मल्लावां विधान सभा इलाक़े से कांग्रेस के एक दूसरे उम्मीदवार सुभाष पाल का ट्रैक रिकॉर्ड भी कुछ ऐसा ही है. ये और बात है कि सुरेंद्र कुमार के मुकाबले सुभाष पाल चेहरे-मोहरे से थोड़े शांत और सौम्य नज़र आते हैं. यूपी के चुनावी रंगबाज़ों की तलाश में हरदोई पहुंची क्राइम तक की टीम का आमना-सामना सियासत के इन दोनों चेहरों से भी हुआ. हम इन दोनों किरदारों के बारे में आपको तफ्सील से बताएंगे, लेकिन उससे पहले आइए आपको हरदोई ज़िले की विधान सभा सीटों का एक 'ओवर-व्यू' दिए देते हैं.
हरदोई में पासी समाज का है दबदबा
इस ज़िले में कुल आठ विधान सभा सीटें हैं. सवायजपुर, शाहबाद, सांडी, हरदोई, गोपामऊ, बालामऊ, संडीला और बिल्लाग्राम मल्लावां. वोट बैंक और चुनावी समीकरण की बात करें, तो हरदोई के इस इलाक़े में पासी समाज के लोगों की एक अच्छी तादाद है और यही वजह है कि ज़्यादातर सियासी पार्टियां अपने प्रत्याशी भी इसी समाज से चुनती हैं.
पुराने हिस्ट्रीशीटर हैं कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र कुमार
कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र कुमार भी इसी समाज से आते हैं. किसी ज़माने में जुर्म की दुनिया में सुरेंद्र कुमार का ठीक-ठाक नाम था. लेकिन यूपी में सियासत के करवट लेते ही सुरेंद्र कुमार की मुसीबतें बढ़ने लगीं. यूपी के ही एक बाहुबली अभय सिंह से नज़दीकी रिश्ता रखनेवाले सुरेंद्र कुमार के कारनामे वैसे तो कम नहीं हैं, लेकिन हाल ही लखनऊ के आलमबाग़ में इन पर हुई फ़ायरिंग की एक वारदात की जो इनसाइड स्टोरी सामने आई, तो लोग चौंक गए. हुआ यूं कि सुरेंद्र कुमार ने शोर मचाया कि उन पर बाहुबली धनंजय सिंह के इशारे पर लखनऊ में फ़ायरिंग हुई. पुलिस ने जांच शुरू की, तो मामला बिल्कुल उल्टा निकला. पता चला कि सुरेंद्र ने ख़ुद ही धनंजय सिंह के लिए मुसीबत खड़ी करने के साथ-साथ लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने के इरादे से ख़ुद पर फ़ायरिंग करवाई थी. इल्ज़ाम 'बुमेरांग' साबित हुआ और जनाब कोई कई महीने सलाखों के पीछे गुज़ारने पड़ गए.
सुभाष पाल पर रहा है शराब तस्करी का इल्ज़ाम
अब बात बिल्लाग्राम मल्लावां से कांग्रेस प्रत्याशी सुभाष पाल की. सुभाष कभी यूपी की सियासत के बड़े चेहरे नरेश अग्रवाल के ख़ासमख़ास हुआ करते थे. इल्ज़ाम है कि सुभाष पाल शराब की तस्करी से जुड़े हुए हैं और उन पर ऐसे कई मुक़दमे भी दर्ज हैं. और तो और यूपी पुलिस उन पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करने के साथ-साथ उनकी प्रॉपर्टी भी सील कर चुकी है. अब इसे इत्तेफ़ाक कहें या फिर सियासी बदला, जब सुभाष पाल ने नरेश अग्रवाल से अपने रास्ते अलग किए, उन पर ताबड़तोड़ इतने मुक़दमे दर्ज हुए कि सुभाष को सांस लेने का मौक़ा भी नहीं मिला. बहरहाल, हरदोई के ये दोनों रंगबाज़ इस बार चुनावी मैदान में हैं. उनका वर्तमान, उनकी छवि और उन पर लगे इल्ज़ाम अपनी जगह हैं, लेकिन अगर जनता उन्हें अपना मत देती है तो यकीनन कल उनका होगा.
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