Insta Reel पर टूटे दांत से बहन ने बिछड़े भाई को पहचाना, 18 साल से था लापता, घर वापसी की ये कहानी चौंका देगी!

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Kanpur: 18 साल तक अपने भाई से बिछड़ने का दुख एक बहन को कितना परेशान कर सकता है ये वो बहन ही समझ सकती है जो इस सदमें से गुजरी हो. मंदिर मंदिर में मन्नत के धागे बांधे, दान किया, दुआएं मांगी यानि हर वो कोशिश की जिससे एक दिन उस घर का बेटा शायद घर लौट आए या कही मिल जाए. लेकिन जब कई साल गुजर गए तो उम्मीदें दम तोड़ने लगीं. एक रोज़ 18 साल का ये इंतजार और कई सालों की दुआएं रंग लाई और वो दिन आ ही गया जब इस बहन ने अपने भाई को ढूंढ़ निकाला. ये मामला है कानपुर का जहां पर एक बहन ने इंस्टाग्राम (Instagram Reel) पर वायरल हो रही एक रील में अपने भाई को देखा और उसे पहचान लिया, उसे सारी बातें याद दिलाई और उसे घर बुला लिया. 

18 साल बाद Instagram Reel की वजह से मिला भाई

18 साल एक बहुत लंबा अरसा होता है, इतने सालों में जिंदगी कहां से कहां पहुंच जाती है. ऐसा ही कुछ इस परिवार के साथ हुआ. दरअसल कानपुर के सरसौल के रहने वाला ये परिवार जब पैसों की तंगी से गुजर रहा था तब घर का बड़ा बेटा बालगोविंद काम की तलाश में मुंबई चला गया. 15 साल का बालगोविंद गांव के कई लोगों के साथ मुंबई पहुंचा और वहां मजदूरी करने लगा. करीब 2 महीने बाद गांव के लोग वापस लौट आए लेकिन बालगोविंद गलती से वहीं छूट गया. उसने भी कोशिश की ताकि वो वापस गांव जो सके और ट्रेन में चढ़ गया लेकिन वो ट्रेन उसे रास्जथान ले गई. अनजान से इस शहर में अब वो किसी को भी नहीं जानता था, लेकिन पेट भरने के लिए उसने वहां मजदूरी का काम करना शुरू कर दिया. 

टूटे दांत की वजह से हुई पहचान

गरीबी की हालत में राम गोविंद के पास ना पैसे थे और ना घरवालों का साथ था, जिस वजह से उसने सड़क पर सोना शुरू कर दिया. जब वक्त गुजरता गया तो धीरे-धीरे बालगोविंद के दिमाग में घरवालों की यादे धुंधली होने लगी. अब वो अपनी जिंदगी में खो चुका था और फिर अपने साथ काम करने वाली ईश्वरी बाई नाम की लड़की से उसने शादी कर ली और दो बच्चे भी हो गए. अब उसका खुद का परिवार हो गया था और वो अपने भाई-बहन की शक्लें भूल गया था. अब आपको बताते हैं कि दो अलग-अलग जगहों में रहने वाले भाई-बहन 18 साल बाद आखिर कैसे मिले. तो इसके लिए सोशल मीडिया को शुक्रिया करना होगा.

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बहन ने लगाया दिमाग तो मिल गया भाई

हुआ कुछ यूं कि हजारों लोगों की तरह ही बालगोविंद को भी रील बनाने का शौक हो गया, वो रील बनाकर इंस्टाग्राम पर डालता रहता था. इसी रील को देख कर एक दिन बालगोविंद की बहन ने उसे पहचान लिया. अब इसमें ट्विस्ट ये है कि रील तो बहुत लोग बनाते है लेकिन एक बहन ने अपने भाई को पहचाना कैसे. 18 साल बाद तो शक्ल भी काफी बदल जाती है लेकिन एक टूटे दांत की वजह से ये भरत मिलाप हो पाया. दरअसल बालगोविंद का आगे का दांत पहले से ही टूटा हुआ था, और उसकी शख्स भी अपने पिता से मिलती है. बस फिर क्या होना था बहन ने अपने भाई को इसी टूटे दांत से पहचान लिया और अपने भाई की घर वापसी करा ली. 

भाई को वापस पाने के लिए मांगी मन्नतें

अपने भाई को वापस पाने के लिए इस बहन ने और पूरे परिवार ने मंदिरों में घी के दीपक जलाए, मन्नत के धागे बांधे,  हूबहू अपने पिता से मिलता चेहरा देख बहन से अपने भाई को पहचान लिया. फिर उससे बात की और बचपन की यादों के बारे में  याद दिलाया. जब सारी बाते एक दूसरे से मेल खाने लगी तो दोनों ने फोन पर भी बात की और फिर सारी धुंधली यादें ताजा हो गईं. उसने अपनी बहन को पूरी दास्तां बताई, फिर वो जल्द से जल्द अपने परिवार के पास पहुंचा जहां पर सब उसके स्वागत के लिए बेकरार थे. सेंट्रल स्टेशन पर बहन अपने पूरे परिवार के साथ खड़ी थी और अपने भाई को देखते ही फफक-फफक कर रोने लगी और आरती उतार कर उसका स्वागत किया. 

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