नही थम रही मणिपुर में हिंसा, दो गुटों के बीच हुई गोलीबारी, एक की मौत, अब तक 180 से ज्यादा की मौत

ADVERTISEMENT

नही थम रही मणिपुर में हिंसा, दो गुटों के बीच हुई गोलीबारी, एक की मौत, अब तक 180 से ज्यादा की मौत
जांच जारी
social share
google news

Manipur Crime: मणिपुर के कांगपोकपी जिले में दो संघर्षरत समुदायों के बीच गोलीबारी में एक ग्रामीण स्वयंसेवक की मौत हो गई। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गोलीबारी बुधवार रात तब हुई जब संदिग्ध उग्रवादियों ने आसपास के पहाड़ी इलाकों से कांगचुप पर हमला कर दिया, जिसके बाद निचले इलाकों में ग्रामीण स्वयंसेवकों को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। यह घटना बुधवार रात इंफाल घाटी और पहाड़ी इलाकों में हुई गोलीबारी की घटनाओं में से एक थी। ग्रामीण स्वयंसेवक की मौत के बाद बड़ी संख्या में महिलाओं ने राज्य में हिंसा के विरोध में बृहस्पतिवार को इंफाल में एक रैली निकाली और अंतर-एजेंसी एकीकृत कमान के अध्यक्ष को हटाने की मांग की।

गोलीबारी में एक ग्रामीण स्वयंसेवक की मौत

मणिपुर के राज्यपाल ने पिछले साल मई में कुलदीप सिंह को राज्य और केंद्रीय बलों की एकीकृत कमान के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया था। महिला प्रदर्शनकारियों ने इंफाल के मुख्य बाजार इलाके से रैली निकाली और सीएम बंगले और राजभवन की ओर मार्च किया। हालांकि उन्हें राजभवन से करीब 300 मीटर दूरी पर ही रोक दिया गया, जिससे महिला प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई। अधिकारियों ने बताया कि पुलिसकर्मियों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।

ADVERTISEMENT

पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े

बुधवार की रात कांगचुप गोलीबारी में गांव के स्वयंसेवक टी मनोरंजन के मारे जाने के बाद महिलाओं ने यह प्रदर्शन किया था। अधिकारियों के अनुसार, इम्फाल पश्चिम जिले के फेयेंग, कडांगबंद और कौट्रुक, इम्फाल पूर्व के सागोलमांग, कांगपोकपी के सिनम कोम और बिष्णुपुर के इरेंगबाम में सिलसिलेवार गोलीबारी की खबरें आईं। अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बल मौके पर पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि इन गोलीबारी में कई लोगों के घायल होने की भी खबर है।

ADVERTISEMENT

मणिपुर पिछले साल मई से जातीय हिंसा जारी

ADVERTISEMENT

मणिपुर पिछले साल मई से जातीय हिंसा से दहल रहा है जहां 180 से अधिक लोग मारे गए हैं। मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को हिंसा भड़क उठी थी। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 फीसदी है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 फीसदी हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

(PTI)

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT

    यह भी पढ़ें...

    ऐप खोलें ➜