NEET परीक्षा में 'मुन्नाभाई' भेजकर डॉक्टर बनाने वाले मास्टरमाइंड 'PK' की इस साजिश को जानकर चौंक जाएंगे आप

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NEET परीक्षा में 'मुन्नाभाई' भेजकर डॉक्टर बनाने वाले मास्टरमाइंड 'PK' की इस साजिश को जानकर चौंक जाए...
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वाराणसी से संतोष कुमार की रिपोर्ट

NEET Exam Scam : MBBS व BDS के लिए देशभर में होने वाली नीट परीक्षा (NEET Exam) में अंतरराज्यीय गैंग का खुलासा हुआ है. इस गैंग का लीडर इतना शातिर है कि पुलिस को अभी तक सिर्फ उसके नाम का पता चला है. लेकिन उसकी एक फोटो तक नहीं मिल पाई है. वो गैंग लीडर कभी स्मार्ट फोन का प्रयोग नहीं करता है और अपने दूसरे सदस्यों से लेटर के जरिए संपर्क करता है.

वो ऐसी जगहों पर भी नहीं जाता है जहां से कोई सीसीटीवी फुटेज मिल जाए. इस गैंग के लिए तीन अलग-अलग टीमें करती हैं लेकिन तीनों आपस में संपर्क नहीं करती हैं. अब पुलिस ने इस पूरे नेटवर्क को पकड़ने के लिए कई टीमें बनाई हैं. इस गिरोह की और भी कई चौंकाने वाली सामने आईं हैं. इसमें बीएचयू, केजीएमसी समेत कई प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर व पढ़ाई कर रहे छात्र भी शामिल हैं जो नीट परीक्षा देने वाले छात्रों की जगह खुद ही शामिल होते थे.

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बीएचयू की छात्रा और उसकी मां भी गिरफ्तार

यूपी की वाराणसी पुलिस ने रविवार को देशभर में हो रही नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट यानी NEET परीक्षा के सॉल्वर गैंग का खुलासा किया है. इस मामले में सारनाथ इलाके के सेंट फ्रांसिस जेवियर स्कूल में बीएचयू से बीडीएस सेकंड ईयर की छात्रा जूली भी शामिल है.

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आरोपी जूली की मां बबीता भी इस घटना में शामिल थी. लिहाजा, पुलिस ने मां-बेटी दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. पूछताछ में बबिता ने बताया कि वो अपने बेटे अभय के कहने पर सॉल्वर गैंग से 5 लाख रुपये लिए थे. जिसके बाद मां ने अपनी बेटी जूली को त्रिपुरा की रहने वाली हिना विश्वास की जगह नीट परीक्षा में बैठाया था.

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नीट परीक्षा में अच्छे नंबर लाने वाले छात्रों को जोड़ते थे गैंग में

शुरुआती पूछताछ से ही पुलिस को ये पता चल गया कि इस गैंग के पीछे एक बड़ा रैकेट जुड़ा है. अब तक की जांच के मुताबिक, गैंग में 3 टीमें काम करतीं थीं. एक टीम में वो लोग शामिल हैं जो 1 या 2 साल पहले नीट परीक्षा में अच्छे अंक पाकर मेडिकल कॉलेजों में दाखिल हो चुके थे. लेकिन सॉल्वर गैंग इन टॉपर छात्रों में से उन्हें चुनता था जिनकी आर्थिक हालत ठीक नहीं होती थी.

ऐसे ही लोगों के परिवार से संपर्क कर मानसिक रूप से उन्हें अपने साथ जोड़ लेते थे. पकड़ी गई जूली भी ऐसे ही बैकग्राउंड से थी. उसके पिता पटना में सब्जी की दुकान लगाते हैं. जूली 2 साल पहले हुई नीट परीक्षा में 520 नंबर लाई थी. इसलिए मां को लालच देकर बेटी को अपने गैंग में शामिल कराकर परीक्षा दिलाने के लिए तैयार करा लिया.

परीक्षा देने से पहले ऐसे करते थे तैयारी

इस गैंग की दूसरी टीम नीट परीक्षा में फेल हुए उन छात्रों का डेटाबेस तैयार करती है जो पैसा दे सकते थे लेकिन परीक्षा पास नहीं कर पा रहे थे. तीसरी टीम पैसों के लालच में आकर सॉल्वर बनने को तैयार हुए.

इसके बाद ये गैंग एमबीबीएस व बीडीएस में दाखिला ले चुके गैंग के सदस्य छात्रों के चेहरे को उन लोगों से मैच कराते थे जो NEET परीक्षा देना चाहते थे. अब काफी हद तक जब चेहरे मिलते थे तब उन दोनों छात्रों की जोड़ी बनाते थे.

यानी लड़की की जगह लड़की और लड़के की जगह दूसरे लड़के को परीक्षा देने के लिए तैयार करते थे. इस तरह असली कैंडिडेट और सॉल्वर कैंडिडेट की फोटो को मिलाकर तीसरी ऐसी फोटो बनाई जाती थी. जिसे देखने पर दोनों के चेहरे मिलते-जुलते लगे.

इसके बाद उसी फोटो को एडमिट कार्ड पर लगाते थे. ताकि परीक्षा केंद्र पर मिलान हो तो नाक और आंख से वहां पहुंचे कैंडिडेट पर शक ना हो. फिर पैसा देने वाले परीक्षार्थी से गैंग 20 से 25 लाख रुपये वसूलता था. जिसमें से 5 लाख एडवांस लिए जाते थे. सॉल्वर को 5 लाख दिए जाते थे और परीक्षा से पहले एडवांस के तौर पर 50 हजार रुपये मिलते थे.

कौन है PK, मिली चौंकाने वाली जानकारी

पुलिस ने बताया कि गैंग में तीन अलग-अलग टीमें काम करतीं हैं. लेकिन कोई भी टीम एक दूसरे से संपर्क नहीं करती थी. एक टीम को दूसरी टीम के बारे में ये जानकारी नहीं होती है कि वो कहां काम कर रही है. वर्तमान में दूसरी टीम के सदस्यों की लोकेशन कहां हैं.

यानी इनमें कोई चीज़ कॉमन नहीं थी. सिर्फ़ एक बात को छोड़कर कि तीनों टीमों का गैंगलीडर यानी सरगना एक ही है. वो सरगना पटना का बताया जा रहा है. इसका नाम पीके (PK) है. हालांकि, इसे अभी तक पुलिस को गैंग लीडर का फोटो तक नहीं मिल पाया है.

अभी तक गिरफ्त में आए आरोपियों से गैंग लीडर के बारे में कोई खास सुराग नहीं मिल पाया है. बताया जा रहा है कि गैंग लीडर का नाम प्रेम कुमार उर्फ नीलेश उर्फ पीके है. पीके इस गैंग के ऑपरेशन में अपनी पहचान छिपाने के लिए विशेष एहतियात बरतता है. वह ना तो कहीं सोशल मीडिया पर है, ना ही हाईटेक फोन इस्तेमाल करता है.

फोन नही, चिट्ठी से संपर्क करता है गैंग लीडर PK

वाराणसी पुलिस कमिश्नर सतीश गणेश की मानें तो अब तक कि पूछताछ में पीके के बारे में तमाम रोचक जानकारियां मिलीं हैं. पीके अपने गैंग मेंबरों से संपर्क करने के लिए कोरियर से चिट्ठी भेजता है.

फोन का इस्तेमाल बहुत कम और जल्दी-जल्दी नंबर बदलने का आदी है. इतना ही नहीं, एयरपोर्ट पर किसी भी तरह की फोटो ना आए इसलिए वो एयर ट्रैवल करता ही नहीं है. वह सिर्फ ट्रेन से यात्रा करता है. जब भी गैंग के किसी खास व्यक्ति से पीके को मिलना होता है तो वह खुद अपने बताएं होटल में मीटिंग रखता है.

KGMC के डॉक्टर भी गैंग में शामिल

वाराणसी पुलिस ने इस मामले मे जूली जैसे पढ़ने वाले छात्रों को सॉल्वर बनाने वाली टीम के सरगना और केजीएमसी से डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे डॉक्टर ओसामा शाहिद को गिरफ्तार किया है.

डॉ ओसामा शाहिद केजीएमसी व बीएचयू जैसे मेडिकल संस्थानों में सॉल्वर बनने वाले फर्स्ट और सेकंड ईयर के छात्रों को चुनता था. वाराणसी क्राइम ब्रांच ने इस मामले में सॉल्वर बन परीक्षा दे रही जूली कुमारी के भाई अभय महतो को भी गिरफ्तार किया है. अभय के दोस्त विकास ने 5 लाख का लालच देकर जूली को सॉल्वर बनाया था.

यूपी, बिहार, दिल्ली और पूर्वोत्तर में भी फैला नेटवर्क

अब तक 4 लोगों की गिरफ्तारी के बाद पता चला है कि पटना से चल रहे इस सॉल्वर बैंक का नेटवर्क ना सिर्फ बिहार, उत्तर प्रदेश बल्कि दिल्ली और पूर्वोत्तर के राज्यों तक फैला हुआ है. पुलिस को अब तक मिले दस्तावेजों में बड़ी मात्रा में असम त्रिपुरा समेत कई राज्यों के परीक्षार्थियों का डेटाबेस मिला है.

जो या तो खुद सॉल्वर बनने को तैयार थे या फिर सॉल्वर से परीक्षा पास करना चाह रहे थे. फिलहाल, वाराणसी पुलिस ने इस मामले में पटना पुलिस से संपर्क किया है. वाराणसी की एक स्पेशल टीम पटना दिल्ली और अन्य राज्यों में जाकर इस गैंग के पूरे नेटवर्क पर काम करेगी.

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