महिला IAS की गाड़ी से नीली बत्ती और हूटर उतारा तो पुलिसवालों को मिली सजा? VVIP Culture पर ये बोली UP Police

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Barabanki, UP: यूपी में बिना इजाजत नीली और लाल बत्ती लगाने वालों और हूटर बजाने वालों को लेकर सरकार सख्त हो गई है। इन दिनों पूरे प्रदेश में बत्ती और हूटर का गलत इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जा रहा है। फिर चाहे वो सरकारी अधिकारी और नेता ही क्यों न हों, जिन्हें बीकन लाइट और हूटर के इस्तेमाल की इजाजत नहीं है पुलिस उनके खिलाफ मौके पर ही कार्रवाई कर रही है। इसी कड़ी में बाराबंकी का एक वीडियो  Social Media पर वायरल हो रहा है जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि वो गाड़ी दिव्या सिंह नाम की एक ट्रेनी IAS अधिकारी की है जिसे पुलिस ने शहर के पटेल तिराहे पर रोक कर उससे नीली बत्ती और हूटर उतार लिया। सोशल मीडिया पर ये भी दावा किया जा रहा है कि IAS अधिकारी खुद उस गाड़ी में मौजूद थी और उनके अपना परिचय देने के बावजूद पुलिसवालों ने उनके खिलाफ कार्रवाई की। दावे के मुताबिक पुलिस वालों के इस एक्शन के खिलाफ IAS दिव्या सिंह ने जिले के कलेक्टर से शिकायत की जिसके बाद दरोगा स्तर के दो पुलिस अधिकारियों को लाइन हाजिर कर दिया गया। 

क्राइम तक ने की पड़ताल

Crime Tak ने सोशल मीडिया में किये जा रहे इस दावे की तस्दीक UP Police से की तो पता चला कि ये दावा सही नहीं है। दरअसल बाराबंकी के इस वीडियो में जिस गाड़ी पर से बीकन लाइट और हूटर उतारा जा रहा है वो गाड़ी जिले में तैनात एक PCS अधिकारी की पर्सनल गाड़ी थी। चूंकि प्रदेश में दूसरे जिलों की तरह ही बाराबंकी में भी सड़क सुरक्षा को लेकर ट्रैफिक पुलिस जागरूकता अभियान चला रही थी इसलिये इस गाड़ी को भी चेकिंग के लिये रोका गया। जानकारी पर मालूम हुआ कि इस गाड़ी के मालिक एक PCS अधिकारी हैं जो जिले में एक्स्ट्रा मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात हैं। क्योंकि  नीली बत्ती और हूटर उनकी पर्सनल गाड़ी पर लगा था लिहाजा VIP कल्चर देख पुलिस ने फौरन बत्ती उतरवाई और गाड़ी का चालान भी किया। गाड़ी का चालान करने के दौरान पुलिसवालों को ये भी पता चला कि गाड़ी में ड्राइवर के अलावा कोई अधिकारी मौजूद नहीं है। मौके पर मौजूद पुलिस वालों ने गाड़ी का चालान कर उसे जाने दिया और इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो भी बनाया।

वीडियो वायरल हुआ तो एक्शन में आए अधिकारी

महिला IAS अधिकारी के नाम पर सोशल मीडिया में वीडियो वायरल होते देख अब UP Police की ओर से सफाई पेश की गई है। पुलिस की ओर से उस चिट्ठी को लेकर भी स्पष्टीकरण दिया गया है जिसमें दिये गये आदेश को चालान करने वाले पुलिसवालों के खिलाफ एक्शन बताया जा रहा है। पुलिस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि "दिव्या सिंह नाम की कोई IAS ज्वाइंट मेजिस्ट्रेट पद पर वर्तमान में जनपद बाराबंकी में कार्यरत नहीं हैं। और बत्ती उतारते समय कोई भी अधिकारी उक्त वाहन में मौजूद नहीं था।" पुलिस सूत्रों के मुताबिक पुलिसवालों के खिलाफ कथित एक्शन से सम्बंधित जो आदेश सोशल मीडिया पर वायरल है वो भी इस घटना से सम्बंधित नहीं है और यातायात सुरक्षा को लेकर कार्रवाई करने वाले किसी भी पुलिसवाले के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है।

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कौन हैं महिला IAS दिव्या सिंह?

पुलिस विभाग के सूत्रों ने बताया कि इस मामले में एक महिला IAS अधिकारी दिव्या सिंह का नाम जोड़ा जा रहा है जो सरासर गलत है। चूंकि मामला एक महिला IAS से जोड़ कर वायरल किया जा रहा था लिहाजा DM कार्यालय समेत लखनऊ में आला अफसरों के बीच हड़कंप मच गया जिसके बाद पुलिस विभाग की ओर से खबर का खंडन भी जारी करना पड़ा। पुलिस के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि पुलिस ने सामान्य चेकिंग के तहत ये गाड़ी रोकी थी और नियमों के तहत कार्रवाई कर गाड़ी को जाने दिया गया। इस पूरे प्रकरण का कथित आईएएस अधिकारी दिव्या सिंह से कोई लेना देना नहीं है।

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