Russian Ukraine War: संयुक्त राष्ट्र में नहीं खोले भारत ने अपने पत्ते, वोटिंग से किया किनारा
अपने पत्ते नहीं खोले भारत ने, संयुक्त राष्ट्र में भारत का फैसला, संयुक्त राष्ट्र में भारत ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया, UNSC resolution condemns, Russian Ukraine War:latest war news, crime latest
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रूस यूक्रेन विवाद में दो फाड़ हुई दुनिया
Russian Ukraine War: यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर अब दुनिया सीधे सीधे दो फाड़ होती नज़र आ रही है। एक पाले में वो लोग हैं जो अमेरिका और नाटो देशों की हां में हां मिला रहे हैं। जबकि कुछ देश ऐसे भी हैं जो किसी भी पाले में ना जाकर तटस्थ होकर अपने जज़्बात जाहिर कर रहे हैं। भारत भी ऐसे ही दूसरी तरह के देशों में शामिल हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में शुक्रवार को जिस वक़्त यूक्रेन पर रूसी हमले के ख़िलाफ़ निंदा प्रस्ताव लाया गया तो भारत ने वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया। शुक्रवार को अमेरिका और अल्बानिया ने रूस के ख़िलाफ़ निंदा प्रस्ताव पेश किया जिसका कई देशों ने समर्थन किया है। प्रस्ताव का समर्थन करने वाले प्रमुख देशों में पोलैंड, इटली, जर्मनी, एस्तोनिया, लक्ज़मबर्ग और न्यूज़ी लैंड शामिल हैं।
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11 देशों ने किया निंदा प्रस्ताव का समर्थन
Russian Ukraine War: इस निंदा प्रस्ताव का 11 देशों ने समर्थन किया जबकि भारत समेत तीन देश वोटिंग के समय गैरहाज़िर रहे। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टी एस त्रिमूर्ति ने कहा है कि इस मामले में भारत ने तटस्थ रहना मंजूर किया है।
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भारत ने एक बार फिर सभी देशों की भौगोलिक अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करते हुए एक बार फिर कूटनीतिक तरीके से समस्या का समाधान निकालने पर ज़ोर दिया है। अपनी सफाई में टी एस त्रिमूर्ति ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई बातचीत का हवाला देते हुए कहा है कि इस मामले में जो लोग भी शामिल हैं उन्हें फौरन हिंसा और तबाही का रास्ता छोड़कर बातचीत की मेज पर आना चाहिए।
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इंसानी जान से क़ीमती कोई दूसरी चीज़ नहीं
Russian Ukraine War: क्योंकि किसी भी समस्या का समाधान खून ख़राबा और हिंसा नहीं हो सकती। टी एस त्रिमूर्ति ने कहा है कि यूक्रेन में हाल के दिनों में जो कुछ भी हुआ उससे भारत बेहद चिंतित है। और भारत की यही कोशिश है कि जैसे भी हो ये खून ख़राबा यहीं रुकना चाहिए। जो भी मसले हैं उन्हें मिल बैठकर सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए।यही इंसानियत का तक़ाज़ा भी है। इंसान की जान से क़ीमती कोई भी चीज दुनिया में नहीं हो सकती। लिहाजा उसकी हिफ़ाज़त करना हम सबका पहला फर्ज़ होना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि टी एस त्रिमूर्ति ने कहा है कि ये वाकई दुख की घड़ी है जब बातचीत का रास्ता छोड़कर हथियारों से हल निकालने की कोशिश शुरु हुई। हम यही चाहते हैं और यही अपील भी है कि इंसानियत और इंसानी जान की क़ीमत पर कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए।
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