Udaipur Killing: पांच पक्के सबूतों के साथ आगे बढ़ने लगी NIA, बाइक के नंबर 2611 ने चौंकाया
UDAIPUR KILLER :उदयपुर में टेलर कन्हैया लाल की हत्या (Murder) के बाद तफ्तीश (Investigation) में जुटी एजेंसियों को पांच सबूत (EVIDENCE) मिल चुके हैं जिनसे मामले का पूरा सच (Truth) सामने आ सकता है।
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UDAIPUR KILLER : उदयपुर में टेलर (Tailor) कन्हैया लाल की हत्या (Murder) के अब देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी NIA के कब्ज़े में हैं। ये कोई आम जुर्म नहीं है बल्कि ये वो गुनाहे अज़ीम है जिसका कोई सानी नहीं। और ये फितरत यूं ही पैदा नहीं हुई। बल्कि इन दोनों आरोपियों (Accused) के ज़ेहन में इसे भरा गया।
अब तक की पड़ताल में जांच एजेंसियों को ऐसे पांच पक्के सबूत हाथ लग चुके हैं जिनकी बिनाह पर अब जांच को आगे बढ़ाने में न सिर्फ मदद होगी बल्कि आरोपियों के सीने में छुपे इस दहशतगर्दी के मंसूबों का भी खुलासा हो जाएगा।
UDAIPUR KILLER : आखिर जिन सबूतों के सामने आने के बाद तफ्तीश का सारा रास्ता साफ होता दिखाई दे रहा है...वो अपने आप में काबिल-ए-गौर है।
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सबूत नंबर एक- 2611 नंबर की मोटरसाइकिल
सबूत नंबर दो – दोनों आरोपियों के भागने का CCTV फुटेज
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सबूत नंबर तीन- कन्हैया लाल के खून से सना खंजर
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सबूत नंबर चार – खंजर बनाने वाली फैक्टरी
सबूत नंबर पांच – आरोपियों का कत्ल के बाद बनाया गया वीडियो
इन पांच सबूतों के साथ साथ सबसे बड़ा सबूत तो यही है कि टेलर कन्हैया लाल की हत्या करने के बाद जिस तरह से दोनों आरोपी मोटरसाइकिल पर सवार होकर फरार होने की फिराक में थे और जिन्हें पकड़ने के लिए पुलिस की दस टीमों को एक दो या दस बीस किलोमीटर तक नहीं बल्कि पूरे 170 किलोमीटर तक पीछा करना पड़ा।
सबूतों और सुरागों की इस लिस्ट में जिस पर जांच एजेंसियों की निगाह सबसे देर तक टिकी है वो है ये मोटरसाइकिल। इस मोटरसाइकिल का नंबर गौर करने लायक है। 2611 ये नंबर असल में हिन्दुस्तान के इतिहास की वो तारीख है जिसका एक स्याह अतीत है। इस नंबर को हिन्दुस्तान कभी भी नहीं भूल सकता क्योंकि असल में यही वो तारीख थी जब आतंकियों ने मुंबई पर हमला किया और और करीब पौने दो सौ लोगों की जान ले ली थी। लेकिन उस हमले के गहरे ज़ख्म के निशान आज भी हिन्दुस्तान को टीस पहुँचाते रहते हैं।
UDAIPUR KILLER : लिहाजा बाइक का ये नंबर जांच एजेंसियों के लिए सबसे बड़ा और सबसे अहम सबूत बनकर सामने आ गया है। पड़ताल में ये बात सामने आई है कि इस 2611 नंबर को हासिल करने के लिए आरोपियों ने आरटीओ में बाकायदा रिश्वत का सहारा लिया था।
इसके अलावा एक और सुराग है जो कभी भी सबूत की जमात में शामिल हो सकता है...वो है खंजर की वो फैक्टरी जहां आरोपी मोहम्मद रियाज वेल्डिंग का काम भी करता था। लेकिन जिस बात ने पुलिस के साथ साथ जांच एजेंसियों को भी परेशान कर रखा है। वो है इनका अतीत और उदयपुर में ही ऐसी ही किसी और वारदात को अंजाम देने की इनकी पहले से की गई प्लानिंग यानी इन आरोपियों की वो हिटलिस्ट, जिसे इन लोगों ने तैयार किया और कन्हैया लाल वाले अंदाज़ में ही उसे अंजाम तक पहुँचाने का इरादा लेकर ये घर से निकले थे।
गौस मोहम्मद और रियाज के जहन में जेहाद वाला मवाद भरा है, जिसकी गवाही कन्हैया लाल की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने दे दी। तफ्तीश में ये बात भी सामने आ ही गईहै कि उदयपुर से कत्ल की वारदात के बाद जिस तरह आरोपी मोटरसाइकिल पर सवार होकर अजमेर की तरफ भाग रहे थे।
वो भी एक सुराग है जिसके सबूत फिलहाल बिखरे हुए हैं। जिन्हें इकट्ठा करने में जांच एजेंसियां लगी हुई हैं। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि आरोपियों के सीने में क्या क्या छुपा है..और उनके दिमाग में कौन सा फितूर चल रहा है। इसका पता लगाने की कोशिश की जा रही है।
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