आज होगा SP नेता गायत्री प्रजापति का सबसे बड़ा फैसला! कौन है यूपी का पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति?

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आज होगा SP नेता गायत्री प्रजापति का सबसे बड़ा फैसला! कौन है यूपी का पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति?
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Gang Rape Case Verdict: समाजवादी पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ चल रहे गैंगरेप केस में एमपी-एमएलए कोर्ट (MP MLA Court) के विशेष जज पवन कुमार राय ने बुधवार को गायत्री प्रजापति (Gayatri Prajapati) समेत तीन आरोपियों को मामले में दोषी करार देते हुए, आज यानी 12 नवंबर सज़ा का ऐलान करने का फैसला किया है। कोर्ट ने जिन्हें दोषी करार दिया है, उनमें गायत्री प्रजापति के अलावा आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी शामिल हैं।

सबसे पहले जानिए क्या था पूरा मामला?

18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति और दूसरे 6 अभियुक्तों के खिलाफ गैंगरेप, जानमाल की धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश पीड़िता की याचिका पर दिया था। पीड़िता ने गायत्री प्रजापति और उनके साथियों पर गैंगेरप का आरोप लगाते हुए, अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन शारीरिक संबध बनाने का आरोप लगाया था।

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मामला कैसे पहुंचा सुप्रीम कोर्ट?

पीड़ित महिला ने आरोपियों के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की, इस पर गायत्री प्रजापति और उसके साथियों ने महिला के पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी। महिला ने मंत्री और उनके गुर्गों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण ली, सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद आरोपियों के खिलाफ लखनऊ के गौतमपल्ली पुलिस थाना में एफआईआर दर्ज की गई। एफआईआर दर्ज करने के बाद लखनऊ पुलिस ने गायत्री प्रजापति और अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इन सभी के खिलाफ सामूहिक बलात्कार, जानमाल की धमकी और पॉक्सो एक्ट के की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

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कब-कब, क्या-क्या हुआ?

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- 2013 में पीड़िता चित्रकूट के राम घाट पर गंगा आरती के एक कार्यक्रम में मौजूदा कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति से मिली।

- साल 2014 में पहली बार गायत्री ने उसके साथ रेप किया, उसके बाद 2016 तक वो लगातार पीड़िता का दूसरे लोगों के साथ मिलकर शारीरिक शोषण करते रहे।

- 17 अक्टूबर 2016 को पहली बार पीड़िता ने यूपी के डीजीपी को इस मामले की शिकायत दी। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

- 16 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस और सरकार को पीड़िता की एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।

- 18 जुलाई 2017 को यूपी पुलिस ने गायत्री प्रसाद प्रजापति, विकास वर्मा, आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया। बाद में अमरेन्द्र सिंह उर्फ पिंटू, चंद्रपाल और रूपेश्वर उर्फ रूपेश के नाम भी जोड़े गए।

- 2 नवंबर 2021 को सभी आरोपियों के बयान दर्ज किए गए।

- 8 नवंबर 2021 को कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी कर ली।

- 10 नवंबर 2021 को पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति, अशोक तिवारी और आशीष कुमार को दोषी करार दिया। वहीं अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह, विकास वर्मा चंद्रपाल और रुपेशवर उर्फ रूपेश को साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया।

- कोर्ट ने ऐलान किया कि वो 12 नवंबर को गायत्री की सजा पर फैसला सुनाएगी।

कौन हैं गायत्री प्रसाद प्रजापति?

कहते हैं गायत्री प्रजापति बहुत ज़मीन से उठकर सियासत के फलक तक पहुंचा, राजनीति में आने से पहले वो पुताई किया करता था और फिर विधायक और मंत्री बन गया। समाजवादी पार्टी को तुड़वाने में गायत्री प्रजापति की अहम भूमिका बताई जाती है, जोड़ तोड़ के उसके इसी हुनक की वजह से तीन चुनाव हारने के बाद और बड़ी मुश्किल से एक चुनाव जीतने के बाद उसे सीधा मंत्री बना दिया गया। कहते हैं उसने इस दौरान इतना पैसा कूटा कि लोग देखते रह गए। अखिलेश यादव की सरकार में खनन मंत्री और अमेठी से विधायक रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति फिलहाल जेल में हैं और गैंग रेप के अलावा उसके ऊपर लगे अवैध खनन मामले में भी सीबीआई जांच चल रही है।

सियासत में कैसे आया प्रजापति?

अमेठी के परसावां गांव में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले परिवार में जन्मा प्रजापति फिलहाल 58 साल का है। उसकी पैदाइश 16 जुलाई 1963 की है, लेकिन सियासत में उसका जन्म 1996 में हुआ। बात 1984 की है इंदिरा गांधी का कत्ल हुआ तो राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने औऱ अमेठी को एक तोहफा मिला, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड। अमेठी के कोरवा इलाके में एचएएल की बिल्डिंग में पुताई का काम करते करते प्रजापति को नेतागिरी का चसका लग गया। इत्तेफाक से गायत्री प्रजापति पिछड़ी जात से था लिहाज़ा प्रजापतियों समेत तमाम पिछड़ी जातियों का वो झंडा उठाए घूमने लगा और साल 1993 में विधानसभा चुनाव तक लड़ डाला, हालांकि हार गया।

किस्मत की लकीरों ने रंग दिखाना शुरु किया

मगर सियासी लोगों में उठना बैठना हो गया, सपा से दो बार एमएलसी और मुलायम सिंह के खास दयाराम ने एक दफा गायत्री की मुलाकात मुलायम सिंह से करवाई। इस मुलाकात के बाद साल 1996 में गायत्री को समाजवादी पार्टी से टिकट मिल गया, वो एक बार फिर अमेठी विधानसभा से लड़ा मगर फिर हार गया। 2002 के विधानसभा चुनाव में भी गायत्री के नसीब में हार ही आई। लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में गायत्री प्रजापति को अमेठी सीट से जीत मिली। ज़िंदगी में पहली बार विधायकी जीतने के बावजूद उसे सरकार में सिंचाई राज्यमंत्री बना दिया गया। इसके बाद खनन विभाग का कैबिनेट मंत्री बन बैठा।

गायत्री प्रजापति पर आरोपों की झड़ी!

मगर अब गायत्री के बुरे दिन शुरु होने वाले थे उसपर कई सौ करोड़ रुपये की संपत्ति गलत तरीके से जुटाने के आरोप लगे। फिर खनन के धंधे से गायत्री पर एक हजार करोड़ से भी ज्यादा की संपत्ति इकट्ठा करने का आरोप लगा। हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच बिठा दी, अखिलेश ने इस पर कार्रवाई करते हुए गायत्री को कैबिनेट मिनिस्टर के पद से हटा दिया। हालांकि प्रजापति की बर्खास्तगी पर मुलायम की नाराजगी के बाद उसे दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया। गायत्री प्रजापति को असली झटका लगा 18 फरवरी 2017 को, जब एक महिला ने गायत्री प्रजापति और उसके छह साथियों के खिलाफ गैंगरेप का आरोप लगाते हुए लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में रिपोर्ट लिखाई। इसके बाद जेल की कालकोठरी ने उसका पीछा नहीं छोड़ा।

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