क्या होता है ब्लैक बॉक्स? भीषण आग या पानी में डूब जाने पर भी बिना पावर 30 दिनों तक कैसे करता है ये काम?

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क्या होता है ब्लैक बॉक्स? भीषण आग या पानी में डूब जाने पर भी बिना पावर 30 दिनों तक कैसे करता है ये ...
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Black Box History: तमिलनाडु में हुए हेलिकॉप्टर हादसे में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 आर्मी स्टाफ की मौत से पूरा देश स्तब्ध है. अब सवाल ये है कि आखिर जिस हेलिकॉप्टर को बेहद ही खराब मौसम या बुरे हालात में रेस्क्यू के लिए सबसे अच्छी तकनीक वाला माना जाता है, वही कैसे हादसे का शिकार हो गया?

सवाल ये है कि क्या 8 दिसंबर को जब 12:08 बजे जब हादसा हुआ उस समय मौसम बहुत ज्यादा खराब था? लेकिन हादसे की आखिरी वीडियो को देखकर ये साफ होता है कि मौसम उतना भी खराब नहीं था जैसा कि आशंका जताई जा रही थी.

ऐसे में क्या वजह हो सकती है? लिहाजा, अब हेलिकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स ही एकमात्र ऐसा उपकरण है जिससे हादसे के बारे में काफी कुछ जानकारी मिल सकती है. ऐसे में ब्लैक बॉक्स होता क्या है? आखिर इसे ब्लैक बॉक्स ही क्यों कहते हैं?

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क्या इसका कलर ब्लैक होता है या कुछ और? किसी भी विमान हादसे के बाद ब्लैक बॉक्स से आखिरी समय की पूरी जानकारी कैसे मिलती है? ऐसी क्या खासियत होती है जिससे कोई प्लेन या हेलिकॉप्टर पूरी तरह से जल जाता है लेकिन ब्लैक बॉक्स को कोई नुकसान नहीं होता है. जानेंगे सबकुछ..

ब्लैक बॉक्स और उसका कलर (Black Box Colour)

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Black Box News : ब्लैक बॉक्स का अविष्कार डेविड रोनाल्ड वॉरेन (David Ronald de Mey Warren AO) ने किया था. डेविड रोनाल्ड ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक थे. चौंकाने वाली बात है ब्लैक बॉक्स का कलर ब्लैक यानी काला नहीं होता है. दरअसल, ब्लैक बॉक्स का रंग ऑरेंज यानी नारंगी होता है. इस बॉक्स को ब्रिटिश सरकार ने सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान 1958 में ब्लैक बॉक्स का नाम दिया था.

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क्या होता है ब्लैक बॉक्स (What is Black Box)

ब्लैक बॉक्स (Black Box) किसी भी विमान में उड़ान के दौरान उससे जुडी सभी तरह की गतिविधियों का डेटा यानी उसका रिकॉर्ड रखने वाला एक उपकरण है. इसे फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर भी कहा जाता है. विमान में सुरक्षा के मद्देनजर इस बॉक्स को पिछले हिस्से में रखा जाता है.

ब्लैक बॉक्स किससे बना होता है?

Black Box in Hindi : ये बॉक्स बहुत ही मजबूत मानी जाने वाली धातु टाइटेनियम (Titenium) से बना होता है. फोटो में दिख रहे इस ब्लैक बॉक्स टाइटेनियम के ही बने डिब्बे में बंद होता है.

टाइटेनियम की वजह से ये उपकरण इतना मजबूत होता है कि कितनी भी ऊँचाई से जमीन पर गिरने या फिर कितनी भी गहराई में पानी में डूबने या फिर कितनी भी भीषण आग में भी इस पर कोई असर नहीं पड़ता है. क्योंकि 1100 डिग्री सेल्सियस की गर्मी को भी ये बॉक्स एक घंटे से ज्यादा वक्त तक सहन कर सकता है.

ब्लैक बॉक्स के बारे में जानें सबकुछ

Black Box Detail : ब्लैक बॉक्स को इलेक्ट्रॉनिक फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (Electronic Flight Data Recorder) के तौर पर जाना जाता है. इसे किसी भी वाणिज्यिक विमान या कॉर्पोरेट जेट के पिछले हिस्से में ब्लैक बॉक्स होना अनिवार्य किया गया है.

आमतौर पर ब्लैक बॉक्स में जो डेटा रिकॉर्ड होतो है उसका एनालिसिस करने में 10-15 दिन या इससे भी ज्यादा लग सकता है. इस तरह के उपकरण यानी ब्लैक बॉक्स का उपयोग विमानों के अलावा रेलवे और अन्य कई वाहनों में भी किया जाता है.

क्या होता है ब्लैक बॉक्स के अन्दर ? (What is inside of Black Box)

ब्लैक बॉक्स में मुख्य तौर पर दो तरह के रिकॉर्डर होते हैं.

1. फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर: इसमें विमान की दिशा, ऊंचाई (Altitude), ईंधन, गति (speed), हलचल (turbulence),केबिन का तापमान समेत 88 तरह की डिटेल सेव होती है. इसमें आखिरी समय के लगातार 25 घंटों से अधिक देर की एक-एक डिटेल रिकॉर्ड होती है.

2. कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर : कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर बॉक्स में प्लेन के अंतिम 2 घंटों के दौरान विमान की आवाज को चेक किया जा सकता है. इसमें आखिरी दो घंटे का पूरा साउंड रिकॉर्ड मिल जाता है.

Black Box से ऐसे होती है हादसे की पहचान : ब्लैक बॉक्स में इंजन की आवाज, आपातकालीन अलॉर्म की आवाज, केबिन की आवाज और कॉकपिट की आवाज का रिकॉर्ड सेव रहता है. इससे अगर विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है तो ये पता लगाया जा सकता है कि हादसे से पहले के दो घंटे में प्लेन की आवाज में क्या बदलाव आए थे. कहीं विमान के इंजन में तो खराबी नहीं आई थी. ये जानकारी मिल सकती है.

ब्लैक बॉक्स की ये है तकनीकी

Black Box : दरअसल, पुराने ब्लैक बॉक्स में चुंबकीय टेप का इस्तेमाल किया जाता था जो काला होता था. उसी वजह से पहले से ही इसे ब्लैक बॉक्स कहा जाता था. इस तकनीक की शुरुआत पहली बार साल 1960 में हुई थी.

लेकिन अब जो ब्लैक बॉक्स प्रयोग किया जा रहा है उसमें सॉलिड-स्टेट मेमोरी बोर्ड (Solid state memory boards) का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी शुरूआत 1990 से हुई. इस सॉलिड स्टेट मेमोरी बोर्ड में जिस मेमोरी चिप का इस्तेमाल होता है उसे स्टैक्ड एरे (Stacked Arrays) कहते हैं. ये काफी मजबूत होता है जिसमें मेमोरी विपरीत हालात में सेव रहती है.

FDR यानी फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर में क्रैश-सर्वाइवल मेमोरी यूनिट्स (CSMU) का इस्तेमाल होता है. इसकी बनावट ऐसी होती है जो भीषण तापमान, किसी हादसे के दौरान विमान में होने वाली झनझनाहट या फिर किसी भी तरह अधिक प्रेशर में भी बिना नुकसान हुए काम करता है.

Black Box की खासियत?

  • ये 1100°C के भीषण तापमान को भी एक घंटे या इससे ज्यादा देर तक भी सहन कर सकता है.

  • बिना बिजली सप्लाई के भी ये 30 दिनों तक आराम से काम कर सकता है. कोई फंक्शन नहीं रुकता है.

  • हादसे के बाद ये बॉक्स कहीं गिर जाए तो भी हर सेकेंड एक बीप की आवाज लगातार 30 दिनों तक आती है.

  • इसकी खासियत ये होती है कि 14000 फीट गहरे समुद्री पानी के भीतर से भी संकेत भेजता है.

  • इस आवाज के जरिए को खोजी दल 2 से 3 किमी की दूरी से ही ब्लैक बॉक्स को पहचान कर लेता है.

  • इसमें अभी भी वीडियो रिकॉर्डिंग करने की क्षमता की कमी है. इसलिए वीडियो की जानकारी नहीं मिल पाती.

Black Box की आवश्यकता क्यों पड़ी ?

साल 1953-54 में प्लेन हादसों में इजाफा हो गया था. हादसों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विमान में एक ऐसे उपकरण को लगाने की बात होने लगी जो विमान हादसे के कारणों की सटीक जानकारी दे सके. ऐसा उपकरण जो प्लेन के क्रेश होने या पानी में डूबने में भी खराब ना हो. इसलिए ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक ने इसका अविष्कार किया था.

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