बस में आग लगने पर खिड़की तोड़कर जान बचाई, हादसे में बचे यात्रियों ने सुनाई आपबीती

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बस में आग लगने पर खिड़की तोड़कर जान बचाई, हादसे में बचे यात्रियों ने सुनाई आपबीती
हादसे में बचे यात्रियों ने सुनाई आपबीती
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Maharashtra Crime News: बुलढाणा, एक जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में शुक्रवार देर रात हुई बस दुर्घटना में जीवित बचे यात्रियों ने बताया कि उन्होंने बस की खिड़की तोड़कर अपनी जान बचाई। पुलिस ने बताया कि महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में समृद्धि एक्सप्रेस-वे पर एक यात्री बस में आग लगने से 25 यात्रियों की झुलस कर मौत हो गई। बस में 33 यात्री सवार थे। पुलिस ने बताया कि एक निजी बस नागपुर से पुणे जा रही थी, रास्ते में बुलढाणा जिले के सिंदखेडराजा के पास शुक्रवार देर रात करीब 1.30 बजे बस डिवाइडर से टकरा गई और इसमें आग लग गई।

यात्री पिछले हिस्से की खिड़की तोड़कर निकले

हादसे में जीवित बचे एक व्यक्ति ने कहा, ‘‘बस का एक टायर फट गया और वाहन में तुरंत आग लग गई। देखते ही देखते आग फैल गई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं और मेरे बगल में बैठा एक यात्री पिछले हिस्से की खिड़की तोड़कर निकलने में सफल रहे।’’ जीवित बचे व्यक्ति ने बताया कि हादसे के बाद पुलिस और दमकल विभाग की टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुंची। हादसे में जीवित बचे अन्य यात्री आयुष घाटगे ने कहा कि यह चमत्कार ही है कि ऐसी भीषण दुर्घटना में उनकी जान बच गई। उन्होंने कहा कि वह नागपुर के औद्योगिक क्षेत्र बूटीबोरी से बस में सवार हुए थे। आयुष ने कहा, ‘‘जब हादसा हुआ तो मैं आखिरी सीट पर सो रहा था। मैं तब जागा, जब दुर्घटना के बाद कुछ लोग मेरे ऊपर गिर पड़े। मैं तुरंत खड़ा हुआ और बाहर आने के लिए खिड़की ढूंढ़ने लगा। मैंने एक खिड़की तोड़ी और हम तीन यात्री एक-दूसरे की मदद से बाहर निकल आए।’’

पांच यात्री बस की एक खिड़की तोड़कर निकले

हादसे में जान गंवाने वालीं अवनि पोहनेकर के रिश्तेदार ने एक टीवी चैनल को बताया कि वह एक आईटी इंजीनियर थीं और नौकरी की तलाश में पुणे जा रही थीं। उन्होंने कहा, ‘‘वह (अवनि) वर्धा से पुणे जा रही थीं। हमें बाद में पता चला कि अवनि उन 14 यात्रियों में से एक थीं, जो वर्धा से इस बस में चढ़े थे।’’ एक स्थानीय निवासी ने कहा कि चार से पांच यात्री बस की एक खिड़की तोड़कर निकलने में कामयाब रहे। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हर कोई ऐसा नहीं कर सका।’’ स्थानीय निवासी ने कहा, ‘‘जो लोग बाद में बस से निकल सके उन्होंने हमें बताया कि उन्होंने राजमार्ग पर दूसरे वाहनों से मदद मांगी, लेकिन कोई नहीं रुका।’’

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हमने लोगों को जिंदा जलते देखा...

स्थानीय निवासी ने कहा, ‘‘पिंपलखुटा में इस मार्ग पर कई दुर्घटनाएं होती हैं। मदद की गुहार लगने पर जब हम वहां गए तो हमने भयानक मंजर देखा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अंदर मौजूद यात्री खिड़कियां तोड़ने की कोशिश कर रहे थे। हमने लोगों को जिंदा जलते देखा...आग इतनी भीषण थी कि हम कुछ नहीं कर सके।’’ स्थानीय निवासी ने कहा कि अगर राजमार्ग से गुजर रहे वाहन मदद के लिए रुकते तो यात्रियों की जान बचाई जा सकती थी। हादसे में जान गंवाने वाले यवतमाल के गोंधडी गांव निवासी 23 वर्षीय निखिल पाठे के बड़े भाई हर्षद पाठे ने मीडिया को बताया, ‘‘मेरा भाई नौकरी खोजने के लिए पुणे जा रहा था। लेकिन, यह उसकी अंतिम यात्रा बन गई।’’

(PTI)

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