Atiq Ahmed Murder: कैदखाने की सख़्तिया, टूटा जिस्म, आंखों में मौत का खौफ और 13 गोलियों के ज़ख़्म! ये है अतीक की कहानी
Atiq Ashraf Murder Case: कैमरे पर देखा गया खौफनाक मंजर, हमले में अतीक अहमद को 8 गोलियां लगीं जबकि 5 गोलियां अशरफ के जिस्म में पेवस्त कर दी गईं।
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Atiq Ashraf Murder Case: अस्सी के दशक से साल 2006 तक प्रयागराज ही नहीं बल्कि पूरे यूपी में अतीक अहमद का जलवा हुआ करता था। अतीक के काफिले में सैकड़ों कारें हथियारबंद लोग। दबंगई ऐसी कि दुश्मन की रुह कांप जाए। सांसदी और पांच बार विधायकी हासिल की। वक्त बदला यूपी में कमल खिला और फिर यहीं से अतीक के सितारे गर्दिश में आने लगे।
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद माफिया अतीक को यूपी के जेलों में मौत का खौफ सताने लगा। यही वजह थी कि अतीक नें साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट में यातिका लगाई कि यूपी की जेल में उसकी हत्या हो सकती है लिहाजा अदालत ने अप्रैल 2019 में अतीक अहमद को गुजरात की साबरमती जेल शिफ्ट कर दिया गया।
अतीक के दो बेटे उमर व अली लखनऊ की जेल में थे। छोटा भाई अशरफ बरेली की जेल में बंद था। अब माफिया राज खामोश था। अतीक अहमद का तीसरा बेटा असद विदेश में कानून की पढ़ाई करने जाने वाला था। यूं कि कहें कि माफिया के परिवार में मुश्किलें तो थीं लेकिन हालात काबू में थे। अतीक का पूरा परिवार खामोशी से वक्त बिता रहा था कि कभी अतीक खानदान में एक भूंचाल आ गया।
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ये तारीख थी 24 फरवरी जब प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में रहने वाले उमेश पाल की हत्या कर दी गई। एडवोकेट उमेशपाल को दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया गया। बमों से हमला किया गया। इस हमले में दो पुलिस के जवान भी शहीद हो गए। गौरतलब है कि उमेश पाल 2005 में हुए बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के अहम गवाह थे। इस हत्याकांज की खौफनाक सीसीटीवी फुटेज सामने आईं तो पूरे प्रदेश में कोहराम मच गया। हत्यारों के चेहरे सामने थे। साजिश में अतीक और उसके भाई का नाम सामने आया जिसके बाद पुलिस ने अतीक अहमद, अशरफ, अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन, अतीक के दो बेटों, सहयोगी गुड्डू मुस्लिम, गुलाम और 9 अन्य के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया।
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बस यहीं से अतीक को साबरमती जेल से प्रयागराज लाने का सिलसिला शुरु हुआ। जब जब अतीक संगीनों के साए में जेल से निकलता और मीडिया से बात करता बार बार ये ही रहता कि मेरी जान को खतरा है ये लोग मुझे मार डालेंगे। अतीक अहमद को साबरमती से दो बाहर निकाला गया। सबने देखा कि माफिया बेहद थका, लाचार और डरा हुआ नजर आ रहा था।
यहां ये बताते चलें कि एसटीएफ ने इस केस में उमेश पाल की हत्या के 3 दिन बाद ही 27 फरवरी को एक आरोपी अरबाज को अनकाउंटर में मार गिराया। एनकाउंटर का सिलसिला यहीं नहीं थमा 6 मार्च को पुलिस ने इस केस में दूसरा एनकाउंटर किया। पुलिस ने एक और आरोपी उस्मान को मुठभेड़ में मार गिराया। यूपी पुलिस और एटीएफ की एक दर्जन टीमें अब भी कातिलों की तलाश में देश के कई हिस्सों में छापेमारी कर रही थीं कि 13 अप्रैल की दोपहर अतीक के बेटे असद व शूटर गुलाम की एसटीएफ से मुठभेड़ हुई और दोनों मारे गए।
इधर अशरफ व अतीक को पुलिस ने अदालत में पेश किया और कोर्ट ने दोनों को 5 दिन की पुलिस रिमांड पर पुलिस वालों के हवाले कर दिया। अभी अतीक थाने की हवालात में था और बेटे की अनकाउंटर में मौत हो चुकी थी। अभी पुलिस कस्टडी की शुरुआत ही थी खबर मिली कि बेटा असद पुलिस एनकाउंटर में मारा गया और साथ में अतीक का खास शूटर गुलाम भी ढेर हो गया। बेटे के एनकाउंटर के बाद अतीक बेहद टूट चुका था। पुलिस हवालात में रात भर एक कंबल में लिपटा सुबकता रहा रोता रहा। बेटे की मौत के बाद जब अतीक से सवाल पूछा गया कि बेटे के कफन दफन में क्यों नहीं गए तो डॉन लाचारी से पुलिस की तरफ इशारा करते हुए बोला कि ये नहीं ले गए तो नहीं गए।
हैरानी की बात ये है कि अतीक व अशरफ की मौत से पहले जब जब दोनों को थाने से बाहर दबिश के लिए या मेडिकल के लिए ले जाया जाता था दोनों की आंखों में मौत का अजीब सा खौफ बार-बार साफ नजर आ रहा था। जब जब थाने से निकालकर अस्पताल और असपताल से थाने लाया जाता दोनों भाईयों की रुह कांपने लगती थीं। शायद अंदेशा था कि कुछ होने वाला है। माफिया डरा हुआ था अशरफ के चेहरे पर हवाइयां उड़ी रहती थीं। छोटा भाई अतीक को कभी सहारा देता तो कभी अतीक पुलिस वालों का कंधा पकड़ कर पुलिस वैन से उतरता था।
अतीक बेटे की मौत से बेहाल था। अशरफ बड़े भाई की लाचारी देखकर दिलासा देता था। हवालात का बोरे का बिस्तर, हजारों मच्छरों के बीच पुलिस की सख्तियां व पूछताछ भी जारी थी। 15 फरवरी की शाम को भी दोनों भाईयों के हाथों को एक ही हथकड़ी में बांधा गया और मेडिकल के लिए कॉल्विन अस्पताल लाया गया था। इसी दौरान पहले से तैयार तीन हमलावरों ने दोनों के ऊपर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर दोनों को मौत के घाट उतार दिया।
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