Atiq Asad Gangster: अतीक का बेटा असद पढ़ाई में था ‘जीरो’, बनना चाहता था बड़ा डॉन
Umesh Pal Murder: मार्कशीट से ये साफ है कि असद अहमद पढ़ाई लिखाई में बेहद कमजोर था, उसके 700 में से सिर्फ 175 मार्क्स आए थे। उसके मार्क्सशेट पर लिखा था: Need to work hard in all subjects.
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Atiq Asad Don: माफिया डॉन अतीक अहमद और उसकी शाइस्ता परवीन के पांचों बेटे प्रयागराज के सबसे रिप्यूटेड स्कूल सेंट जोजेफ कॉलेज से पढ़े हैं। सूत्रों के अनुसार असद के एनकाउंटर के बाद जब पुलिस ने उसके तमाम डॉक्युमेंट्स वेरिफाई किए तो उसकी 10वीं की फर्स्ट टर्म की मार्कशीट पुलिस के हाथ लगी है। इस मार्कशीट की एक्सक्लूसिव तौर पर तस्वीरें आज तक के हाथ लगी है।
मार्कशीट से ये साफ है कि असद अहमद पढ़ाई लिखाई में बेहद कमजोर था, उसके 700 में से सिर्फ 175 मार्क्स आए थे। उसके मार्क्सशेट पर लिखा था: Need to work hard in all subjects.
सूत्रों के अनुसार इसी कॉलेज में एक कंपटीशन के दौरान तो असद अपने टीचर की पिटाई कर चुका है, एक गेम में हारने पर असद ने सबके सामने रेफरी को पीटा था लेकिन अतीक और शाइस्ता के चलते आज तक कॉलेज प्रशासन ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई थी। असद का नाम सुनते ही टीचर्स, स्टाफ और प्रबंधन कुछ भी बोलने से इंकार कर देता है। चेहरे पर लिखा डॉन, गैंगस्टर की तस्वीर, लखनऊ वाले फ्लैट में लोगों को पीटते वीडियो और ये मार्कशिट इस बात पर मोहर लगाते है कि असद अपने बाप अतीक अहमद के नक्शे कदम पर था।
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असद दिल्ली और राजस्थान भागा, ऐसे STF ने सुराग लगाया
Asad Encounter Full Story : मेरठ में जिस जगह गुड्डू मुस्लिम छुपा था, उसके तार अतीक अहमद के साले अखलाक से जुड रहे थे। अब एसटीएफ अखलाक तक पहुंचती है। अखलाक के जरिए ही पहली बार असद के ठिकानों की जानकारी मिलनी शुरू होती है। पता चला कि असद दिल्ली के संगम विहार इलाके में छुपा है। एसटीएफ की टीम संगम विहार पहुंचती है। लेकिन शायद असद को इसकी भनक लग चुकी थी। एसटीएफ के आने से पहले ही वो दिल्ली से निकल भागता है। दिल्ली से असद राजस्थान का रुख करता है। वो तमाम सफर सडक के रास्ते ही कर रहा था। इस दौरान वो ना सिर्फ सिमकार्ड बल्कि फोन भी बदलता जा रहा था। राजस्थान के छोटे-मोटे इलाकों से होता हुआ वो आखिरकार अजमेर पहुंचता है।
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ऐसे STF ने झांसी में किया असद-गुलाम का एनकाउंटर
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अजमेर में भी असद का लोकेशन पता चल जाता है। वजह ये थी कि फरारी के दौरान जिन चंद लोगों के साथ असद संपर्क में था, एसटीएफ उनके संपर्क में थी। और उनमें एक अखलाक था। पर बदनसीबी से एसटीएफ की टीम जब अजमेर पहुंचती है, तो असद एक बार फिर एसटीएफ को चकमा देकर वहां से निकल भागता है। इसके बाद कई दिनों तक असद का लोकेशन पता नहीं चलता। लेकिन एसटीएफ की कई टीमें एक साथ कई जगहों पर उसकी तलाश में भटक रही थी। गुरुवार यानी 13 अप्रैल की सुबह अचानक एसटीएफ की एक टीम को जानकारी मिली कि असद झांसी से गुजर रहा है। मोटरसाइकिल पर। इसी के बाद झांसी में मौजूद एसटीएफ की एक टीम ने उसका पीछा करना शुरू किया। झांसी से 30 किलोमीटरदूर बड़ागांव और चिरगांव के पास आखिरकार असद और एसटीएफ की टीम का आमना सामना हुआ। पर आमने सामने के इस एनकाउंटर में ही असद ढेर होगया। और उसका साथी गुलाम भी इस एनकाउंटर में मारा गया।
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