राजेश खत्री, सुशांत के साथ चिराग गोठी की रिपोर्ट
20 दिनों में 13 बच्चों की मौत, दिल्ली का ये Shelter Home आशा की है या मौत की किरण?
Delhi Asha Kiran Shelter Home Deaths: इस साल अब तक दिल्ली के इस Shelter Home में कुल 27 बच्चों की मौत हो चुकी है। ऐसे में दिल्ली सरकार कटघरे में है। यही वजह है कि दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने इन सिलसिलेवार मौतों की जांच के आदेश दे दिए हैं।
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02 Aug 2024 (अपडेटेड: Aug 2 2024 5:11 PM)
न्यूज़ हाइलाइट्स
'मौत की आशा किरण'
20 दिनों में 13 बच्चों की मौत से मचा हड़कंप
मंत्री ने दिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश
New Delhi: दिल्ली में मंदबुद्धि बच्चों के लिए बनाया गया आशा किरण होम अब बच्चों के लिए डेथ चैंबर साबित हो रहा है। पिछले 7 महीने में यहां 27 बच्चों की मौत हुई है, जबकि जुलाई में 20 दिन के अंदर 13 बच्चे रहस्यमय ढंग से मौत के मुंह में चले गए। मौत की वजह बच्चों की देखरेख और पीने के पानी की ठीक व्यवस्था ना होना बताया गया है। इसको लेकर दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने मेजिस्टीरियल जांच के आदेश दे दिए हैं। उधर, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने आशा किरण में हुई मौतों को लेकर कहा है कि हम Fact Finding Team को स्पॉट पर भेज रहे हैं। टीम मानसिक स्वास्थ्य रोगियों की मौत के लिए जिम्मेदार सभी अधिकारियों से मुलाकात करेगी। हम दिल्ली सरकार की ओर से चलाए जा रहे नाइट शेल्टर का भी ऑडिट कर रहे हैं।
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पहले एक नजर डालते हैं, अब तक हुई मौतों पर। इस साल जनवरी में यहां 3 मौत हुईं, जबकि फरवरी में 2 मौत, मार्च में 3 मौत, अप्रैल में 2 मौत, मई में 1 मौत, जून में फिर 3 मौत और बीते महीने जुलाई में कुल 13 मौत हुई हैं। जबकि पिछले साल 2023 में जनवरी से जुलाई के बीच कुल 13 बच्चों की मौत हुई थी। जाहिर है पिछले महीने इस शेल्टर होम में उतने बच्चों की मौत हुई है जितनी पिछले साल छह महीने में हुई थीं। ये भी साफ है कि इस साल मौतों का आंकड़ा पिछले सालों के मुकाबले कई गुना है। मगर कमाल ये है कि आशा किरण प्रशासन इतने गंभीर मुद्दे पर बात भी करने को तैयार नहीं है। दूसरी ओर रोहिणी एसडीएम ने क्राइम तक से बातचीत में बताया कि आशा किरण में मौतों की बात सही है। रोहिणी के सेक्टर-3 में बने आशा किरण होम में मंदबुद्धि बच्चों और बड़ों को रखा जाता है। दावा किया जाता है कि यहां इनकी अच्छी देखरेख की जाती है, लेकिन पिछले कुछ साल से यहां रहस्यमय ढंग से होने वाली मौत के मामले कई सवाल खड़े करते हैं।
सुविधाओं के अभाव की वजह से मौतें
आरोप है कि दिल्ली सरकार की ओर से चलाए जा रहे आशा किरण होम में मानसिक रूप से बीमार लोगों की देखरेख ठीक से नहीं की जाती। यहां सुविधाओं का अभाव रहता है। इससे पहले भी कई बार इसी तरीके से मौत हुई हैं, तब भी खूब हो-हल्ला हुआ था। अधिकारियों पर कार्रवाई भी हुई पर जहां पहले महीने भर में मौत के एक या दो मामले ही होते थे इस बार महीने भर के अंदर एक के बाद एक मौत के 13 मामले सामने आ गये। हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट ना मिलने का हवाला दिया जा रहा है। लेकिन एसडीएम का भी मानना है कि मौत की वजह खराब पानी हो सकता है। हालांकि, अब आशा किरण होम में व्यवस्था ठीक होने का दावा किया जा रहा है। हैरानी की बात ये है कि जिस सरकारी संस्थान से उम्मीद की जाती है कि वो लोगों की बेहतरी के लिए काम करेंगे वहीं इस तरह के वाकये एक बेहद डरावनी तस्वीर दिखाते हैं। वैसे अब बच्चों की मौत को लेकर कार्रवाई की बात कही जा रही है। इसमें कोई शक नहीं कि इन मौतों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों- कर्मचारियों पर एक्शन होगा, लेकिन जिन बच्चों की मौत लापरवाही की वजह से हुई है क्या उन्हें कोई लौटा सकता है? क्या प्रशासन इस बात की गारंटी दे सकता है कि भविष्य में प्रबंधन की लापरवाही से किसी बच्चे की मौत नहीं होगी?
क्या बोले मंत्री?
दिल्ली के आशा किरण में रहस्यमी मौतों के मामले पर दिल्ली के एक और मंत्री गोपाल राय की प्रतिक्रिया सामने आई है। दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने कहा कि- "भाजपा प्रदर्शन करने पहुंच रही है, लेकिन मां-बेटे की मौत पर प्रदर्शन करने के लिए मयूर विहार नहीं गई, भागकर आशा किरण पहुंच गई क्योंकि उनको पता है कि वो दिल्ली सरकार के अधीन आता है। इस मामले में संबंधित मंत्री हालात पर नजर रखे हुए हैं। इसके जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। दिल्ली सरकार लोगों के साथ खड़ी है।" 17 जुलाई, 19 जुलाई और 20 जुलाई को मेंटली रिटार्डिड बच्चे अस्पताल में भर्ती कराए गए। सूत्रों के मुताबिक इन्हें बेहोशी की हालत में लाया गया था, मगर इसी के कुछ देर बाद उन्होंने दम तोड़ दिया।
मेजिस्टीरियल जाँच के आदेश देते हुए मंत्री आतिशी ने लिखा-
मीडिया रिपोर्ट्स से जानकारी मिली है कि जनवरी 2024 से दिल्ली के रोहिणी स्थित ‘आशा किरण होम’ (मानसिक रूप से विकलांगों के लिए) में 14 मौत हुई हैं। ये मौतें कथित तौर पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और कुपोषण के कारण हुई हैं और यह दर्शाता है कि इन बच्चों को अपेक्षित सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। राजधानी दिल्ली में ऐसी बुरी खबर सुनना बहुत चौंकाने वाला है और अगर यह सच पाया जाता है तो हम इस तरह की चूक बर्दाश्त नहीं कर सकते। यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है और इसकी गहन जांच की जानी चाहिए ताकि इन बच्चों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए ऐसे सभी केयर होम की स्थिति में सुधार करने के लिए पूरी व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कठोर कदम उठाए जा सकें।
ACS, रेवेन्यू को निर्देश दिया गया है कि-
1. समाचार रिपोर्ट में बताए गए पूरे मामले की तुरंत मजिस्ट्रेट जांच शुरू कर 48 घंटे के भीतर इस पर एक रिपोर्ट दें।
2. उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफ़ारिश करें जिनकी लापरवाही के कारण ये मौतें हुई हैं।
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