वो सबूत जिसने बताया था कि आरुषि-हेमराज की हत्या एक ही कमरे में हुई थी या फिर अलग-अलग

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वो सबूत जिसने बताया था कि आरुषि-हेमराज की हत्या एक ही कमरे में हुई थी या फिर अलग-अलग
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आरुषि-हेमराज हत्याकांड

  • आरुषि और हेमराज की हत्या एक ही कमरे में हुई या अलग-अलग?

  • डबल मर्डर के बाद डॉ. तलवार का घर अंदर से बंद था या बाहर से?

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    Aarushi Talwar Case : दुनिया की सबसे रहस्यमयी और उलझी हुई मर्डर मिस्ट्री में से एक आरुषि-हेमराज हत्याकांड. इस घटना को लेकर उत्तर प्रदेश की पुलिस के अलावा सीबीआई की दो टीमों ने अलग-अलग जांच की. हर जांच में अलग-अलग थ्योरी दी गई. एक रहस्य ये भी था कि आखिर घर के अंदर ही आरुषि और हेमराज की हत्या हुई या फिर अलग-अलग?

    सीबीआई और दूसरी जांच एजेंसियों ने ये दावा किया था डॉ. राजेश तलवार ने आरुषि और हेमराज को एक कमरे में आपत्तिजनक हालत में देख लिया था. इसके बाद गुस्से में उन्होंने गोल्फ स्टिक और सर्जिकल नाइफ से कमरे में ही दोनों को मार डाला था.

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    सीबीआई के इसी थ्योरी और दलीलों पर गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट ने तलवार दंपति को दोषी ठहराया था. जिसके बाद सजा भी हुई थी. लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट में सीबीआई ने जब ये थ्योरी और दलीलें पेश कीं तो कहानी कुछ और निकलकर आई. आरुषि मर्डर मिस्ट्री की कहानी (who killed aarushi Talwar) में आज वो साइंटिफिक तथ्य जो इलाहाबाद हाईकोर्ट में चर्चा तो आए लेकिन लोगों तक नहीं पहुंच पाए.

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    ALSO READ: EPISODE-1 : आरुषि मर्डर केस की वो इन्वेस्टिगेशन जो अब तक कहीं सामने नहीं आई

    Inside Investigation Aarushi Murder Mystery : आरुषि हेमराज मर्डर केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में डॉ. राजेश तलवार और डॉ. नुपूर तलवार यानी आरुषि के माता-पिता दोनों को बरी कर दिया था. असल में जब कोर्ट में इस केस की सुनवाई चल रही थी तब उसमें कई सवालों को लेकर पूरे एविडेंस और प्रैक्टिकल तरीके से जजों ने जवाब तलाशे थे.

    हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जज ने ये सवाल उठाए थे. जज ने पूछा था कि अगर आरुषि और हेमराज दोनों का कत्ल एक ही कमरे में हुआ तो मौके पर दोनों के खून होने चाहिए. क्या किसी रिपोर्ट में दोनों के खून उसी कमरे में मिलने के सबूत हैं. अगर है तो वो रिपोर्ट सामने लाई जाए.

    जज के इस सवाल पर दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश की थीं. उस समय हाई कोर्ट में सीबीआई की तरफ से वकील ने जवाब दिया गया था कि हेमराज के सिर के जिस हिस्से में चोट लगी थी वहां से तुरंत खून नहीं निकल सकता है. इसके अलावा उसके बाल भी घने थे जिसकी वजह से खून बाहर नहीं आ सका.

    सीबीआई की ये दलील सुनकर जज भी थोड़ा हैरान हो गए. इसलिए सुनवाई के बीच में ही जज ने हाईकोर्ट के एक डॉक्टर को बुलवाया. इसके बाद सीबीआई को घटनाक्रम का डेमो दिखाकर बताने को कहा गया. इसे देखकर डॉक्टर ने अपनी राय दी कि सीबीआई का दावा गलत है.

    डॉक्टर ने कहा कि जब सिर में इस तरह की गहरी चोट लगे तो घने बाल होते हुए भी स्पॉट पर खून ही नहीं गिरे, ऐसा नहीं हो सकता है. डॉक्टर की इस राय से यह बात साफ हो गई कि आरुषि के कमरे में हेमराज का खून होना चाहिए था. पर वहां खून नहीं मिला.

    इसलिए जज ने सीबीआई को फिर से ये पूरा समझाने के लिए कहा था. लेकिन फिर सीबीआई कोई ठोस सबूत नहीं दे पाई. क्योंकि फॉरेंसिक रिपोर्ट में आरुषि के कमरे से जितने ब्लड स्पॉट वाले सबूत मिले थे उन सभी में सिर्फ और सिर्फ आरुषि के खून ही थे. हेमराज का खून नहीं मिला था.

    इससे एक बात तो साफ हो गई थी कि आरुषि और हेमराज दोनों की हत्या एक साथ नहीं हुई थी. दोनों की हत्या अलग-अलग हुई थी. हेमराज का खून तलवार के फ्लैट की छत पर ही मिला था. इससे पता चलता था कि हेमराज की हत्या छत पर की गई थी. इससे ये भी साफ हुआ था कि सीबीआई जो ये दावा कर रही थी कि दोनों की हत्या अचानक गुस्से में आकर तलवार ने आरुषि के कमरे में ही कर दी थी, उसके पक्ष में कोई सबूत नहीं मिल पाया था.

    अगर साइंटिफिक साक्ष्यों की बात करें तो ये रिपोर्ट आप खुद ही देख लीजिए. सीएफएसएल दिल्ली की 19 जून 2008 की रिपोर्ट से ये पता चला था कि आरुषि के तकिये, बेडशीट और गद्दे की जांच में हेमराज का कोई डीएनए या ब्लड नहीं पाया गया था सिवाय आरुषि के.

    सीडीएफडी यानी The Centre for DNA Fingerprinting and Diagnostics (CDFD) हैदराबाद के डीएनए एक्सपर्ट एसपीआर प्रसाद ने 6 नवंबर 2008 की रिपोर्ट में कहा था कि कमरे से सिर्फ आरुषि का ही डीएनए मिला था.

    इसके साथ ही सीएफएसएल दिल्ली के सुरेश कुमार सिंगला ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि हेमराज के कपड़ों पर आरुषि का ब्लड नहीं मिला था. यानी ये साफ है कि जहां आरुषि का क़त्ल हुआ वहां पर हेमराज को नहीं मारा गया था.

    Who Killed Aarushi Inside Story

    दूसरा बड़ा सवाल : डॉ. तलवार के फ्लैट का दरवाजा किस तरफ से बंद था? बाहर या अंदर से? अगर ये साफ हो गया तो पता यह भी चल जाएगा कि कातिल घर के अंदर का ही था या कोई बाहरी था।

    अब जज के इस सवाल को पूछे जाने की सबसे बड़ी वजह ये थी क्योंकि घटना के बाद सबसे पहले घर में आने वाली नौकरानी भारती ही थी. इस नौकरानी का बयान कोर्ट में कई बार बदला था. ऐसे में हर बार ये रहस्य बना कि आखिर तलवार के घर का दरवाजा बाहर से बंद था या नहीं.

    कोर्ट में हुई बहस : हाईकोर्ट में इसके संबंध में नौकरानी भारती के बयान का एक डॉक्युमेंट पेश किया गया. ये डॉक्युमेंट गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट में भारती द्वारा पेश किया गया बयान था. इस संबंध में नौकरानी भारती ने जो बयान दिया था उसके स्टेटमेंट में लिखा था...

    जो मुझे समझाया गया है, वही बयान मैं यहां दे रही हूं... अब नौकरानी ने समझाने वाले बात क्यों कही थी. कोर्ट में ये सवाल उठाया गया तब सीबीआई की तरफ से दलील दी गई थी कि... ऐसा लिखने में गलत हो गया था. इसलिए बयान में लिखा हुआ शब्द... जो मुझे समझाया गया है...उस समझाया में से ‘या’ शब्द को नहीं पढ़ा जाए. असल में सही वाक्य इस प्रकार से है... जो मुझे समझ में आया वही बयान मैं यहां दे रही हूं....

    अब फिर से एक सवालों में उलझी सीबीआई की ये दलील सुनकर जज भी मुस्कुराने लगे थे. इसके बाद सीबीआई ने कहा था कि जब उनकी टीम घर पर पहली बार जांच करने पहुंची थी तो वहां का वीडियो भी बनाया था, उससे भी दरवाजा बंद होने और नौकरानी को चाबी देने का डेमो किया गया था. जिसमें दरवाजे को बाहर से नहीं बंद होने की पुष्टि हुई थी.

    इस पर जज ने कहा कि उस वीडियो को दिखाया जाए. इस पर सीबीआई पक्ष की तरफ से समय मांगा गया था लेकिन वह वीडियो पेश नहीं किया जा सका. इस पर बचाव पक्ष ने तुरंत ये सवाल उठाया था कि अगर ये वीडियो इतना ही महत्वपूर्ण था तो इसे एविडेंस के पार्ट में पहले क्यों नहीं रखा गया. असल में इस वीडियो वाले साक्ष्य को सीबीआई ने अपने एविडेंस के रूप में शामिल नहीं किया था. बल्कि केवल बहस के दौरान इसका जिक्र किया था.

    Who Killed Aarushi Inside Story : सीबीआई ने दावा किया था कि आरुषि के कमरे में ही हेमराज को भी मारा गया था. लेकिन फॉरेंसिक रिपोर्ट में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला था. हालांकि, फॉरेंसिक रिपोर्ट में एक बेहद ही खास सबूत मिला था जिसे सीबीआई ने जानबूझ कर इग्नोर कर दिया था. वो सबूत था डॉ. राजेश तलवार के क्लीनिक में बतौर कंपाउंडर काम करने वाले कृष्णा के घर से जब्त किए गए पर्पल तकिए पर हेमराज के खून का निशान होना.

    दरअसल, सीबीआई ने 16 जून 2008 को कम्पाउंडर के कमरे से उसका तकिया जब्त कर हैदराबाद में फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा था. इसकी जांच रिपोर्ट में पता चला कि जिस पर्पल तकिये पर खून मिला था वो हेमराज का था. ये रिपोर्ट जब सामने आई तो सीबीआई ने उससे मानने के बजाय यह कहकर बंद कर दिया था कि यह फॉरेसिंक लैब की तरफ से टाइपिंग की गलती है.

    यानी सीबीआई ने इस फॉरेंसिक रिपोर्ट को टाइपो एरर (Typo Error) कह दिया था. अब भले ही सीबीआई ने इसे टाइपिंग की गड़बड़ी बता दी थी कि लेकिन कोर्ट में जज ये सुनकर हैरान थे कि जहां-जहां सीबीआई की थ्योरी के खिलाफ सबूत थे उसे सीबीआई अधिकारी कोई ना कोई चूक बता देते थे. जैसे नौकरानी भारती के बयान को भी टाइपिंग की गलती बता दी. इसी तरह कृष्णा के तकिए पर हेमराज के खून मिलने को भी टाइपिंग गड़बड़ी बता दी.

    What is the Aarushi Talwar murder case : सीबीआई ने इस आरुषि हत्याकांड (aarushi Hatyakand) में एक सीनियर अधिकारी और मई 2008 में नोएडा के सिटी मैजिस्ट्रेट रहे पीसीएस अधिकारी संजय चौहान के बयान को प्रमुखता से उठाया था. सीबीआई को दिए बयान में उस समय के सिटी मैजिस्ट्रेट संजय चौहान ने कहा था कि...

    उस समय मैं बतौर नोएडा में सिटी मैजिस्ट्रेट तैनात था. 16 मई 2008 की सुबह मैं मॉर्निंग वॉक करने नोएडा स्टेडियम आ रहा था तभी पता चला कि सेक्टर-25 में काफी संख्या में पुलिस है. इसलिए वहां गया तो देखा कि फ्लैट से छत पर जाने वाली सीढ़ी व रेलिंग पर खून के निशान हैं.

    बचाव पक्ष के सवाल से खुली पोल : संजय चौहान के इस बयान की तलवार की तरफ से बचाव पक्ष के वकील के सवाल से पोल खुल गई थी. असल में गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट में संजय चौहान से सवाल पूछा गया था कि वो रहते तो ग्रेटर नोएडा में रहते हैं. लेकिन उस दिन मॉर्निंग वॉक करने के लिए 28 किमी दूर नोएडा स्टेडियम में क्यों आ रहे थे.

    अगर उस दिन वॉक के लिए आए भी थे तो उस अधिकारी ने नोएडा पुलिस की जांच के दौरान उस समय के एसएचओ को अपना कोई स्टेटमेंट क्यों नहीं दर्ज कराया था. इसके अलावा हैरान करने वाली बात ये भी थी कि संजय चौहान किस समय घटनास्थल पर आए थे, इस बारे में मौके पर तैनात किसी भी पुलिस अधिकारी को कोई जानकारी नहीं थी.

    ना ही उस समय मौके पर खड़े दर्जनों मीडियाकर्मियों के कैमरे में वो कभी कैद हुए. ऐसे में जब इस अधिकारी का नाम सीबीआई की पहली टीम में भी नहीं आया. लेकिन सीबीआई की दूसरी टीम की जांच में अचानक इनका बयान सामने आ गया था. ये जानकारी जब हाई कोर्ट में सामने आई तब जज ने संजय चौहान को प्लांटेड विटनेस करार दिया था.

    NOTE : Who killed Aarushi Talwar : Aarushi Murder Mystery की पूरी इनसाइड इन्वेस्टिगेटिव स्टोरी अभी जारी है. आगे पढ़ेंगे तीसरा पार्ट.

    Aarushi Murder : आरुषि मर्डर केस की वो इन्वेस्टिगेशन जो अब तक कहीं सामने नहीं आई

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