Agra : सेना में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले को STF ने किया गिरफ्तार, कई डॉक्यूमेंट जब्त
Agra News: आगरा में एसटीएफ यूनिट ने मिलिट्री इंटेलिजेंस से मिले इनपुट के आधार पर विक्रम उर्फ आदित्य सिंह सिकरवार नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। उस पर सेना में नौकरी दिलाने और सेना की कैंटीन का कार्ड बनवाने के नाम पर ठगी करने का आरोप है।
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Agra News: आगरा में एसटीएफ यूनिट ने मिलिट्री इंटेलिजेंस से मिले इनपुट के आधार पर विक्रम उर्फ आदित्य सिंह सिकरवार नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। उस पर सेना में नौकरी दिलाने और सेना की कैंटीन का कार्ड बनवाने के नाम पर ठगी करने का आरोप है। पुलिस ने आरोपी के पास से भारतीय सेना का एक फर्जी आई कार्ड और अन्य दस्तावेज भी बरामद किए हैं।
पुलिस के अनुसार, आरोपी छावनी इलाके में सेना की आर्मी कैंटीन में बिलिंग और चेकिंग स्टाफ असिस्टेंट के पद पर नौकरी दिलाने का झांसा देकर लोगों से पैसे ऐंठता था। इसके अलावा वह डिपेंडेंट आईडेंटिटी कार्ड बनवाने के नाम पर भी ठगी करता था। छापेमारी के दौरान पुलिस ने आरोपी के पास से फर्जी सेना का आई कार्ड, तीन डिपेंडेंट कार्ड (दो असली और एक फोटोकॉपी), आर्मी बेस वर्कशॉप की एक मुहर और राजन कुमार नाम की नेम प्लेट जब्त की है।
आरोपी मथुरा के थिरावली गांव का रहने वाला है और वर्तमान में पेटीएम साउंड बॉक्स स्टॉल लगाने का काम करता है। इसके साथ ही वह लोगों को सेना में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करता था। पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसने सितंबर 2024 में आगरा के अछनेरा थाने के अंतर्गत आने वाले गांव कचौरा के पवन सोनी, पुष्पेंद्र सिंह, गोविंद और राजाराम से आर्मी कैंटीन में बिलिंग और चेकिंग स्टाफ असिस्टेंट की नौकरी दिलाने और डिपेंडेंट आईडेंटिटी कार्ड बनवाने के नाम पर 20 हजार रुपये ठगे थे। उसने कुछ पैसे ऑनलाइन और कुछ नकद लिए थे।
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आरोपी ने खुलासा किया कि वह अपने फर्जी सेना के आई कार्ड और वर्दी का इस्तेमाल कर सेना के प्रतिबंधित क्षेत्रों में भी प्रवेश करता था। पुलिस के अनुसार, यह व्यक्ति पहले भी सेना में भर्ती के नाम पर ठगी कर चुका है। उसने 2015 में भी इसी तरह की ठगी की थी, जिसके लिए उसे गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि विक्रम उर्फ आदित्य उर्फ राजन का आपराधिक रिकॉर्ड पहले से ही है। वह 2018 में भी जेल जा चुका है। उस पर विभिन्न धाराओं में मामले दर्ज हैं, जिनमें 2015 में ठगी और 2018 में गंभीर अपराध शामिल हैं।
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