"पापा, आपने मुझे मोबाइल नहीं दिलाया, नई बाइक भी नहीं दिलाई, ये लिखकर 10वीं के छात्र ने सिर में मार ली गोली

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Meerut, UP: "पापा, आपने मुझे मोबाइल नहीं दिलाया, नई बाइक भी नहीं दिलाई, पुरानी वाली ही मोडीफाई करा दी, मेरे सब दोस्तों पर नए मोबाइल हैं, आप पढ़ाई के लिए हर दिन डांटते हैं, ऐसे में जीने की इच्छा खत्म हो गई है." ये नोट लिखने के बाद ही 14 साल के बच्चे ने मौत को गले लगा लिया। बेहद अफसोसनाक हादसा यूपी के मेरठ से सामने आया है। जी हां आजकल के बच्चे अपने मां-बाप से बहुत जल्दी नाराज हो जाते हैं, अगर उनके पसंद की चीज उन्हें ना मिले तो कई-कई दिनों तक बात नहीं करते हैं. 

बच्चों को समझने और समझाने की जरुरत है

अपनी बात को मनवाने के बाद ही वो चैन की सांस लेते हैं. लेकिन जब एक बच्चे की बात उसके पापा ने नहीं मानी तो उसने गोली मारकर अपनी जान दे दी और हमेशा-हमेशा के लिए अपने मां-बाप को अलविदा कह दिया. उसके पापा ने उसे नया फोन नहीं दिलाया, वो कई दिनों तक कहता रहा पर पिता ने इस बात को टाल दिया. लेकिन अब उस पिता को पछतावा इस बात का है कि शायद फोन दिला दिया होता तो उनका बेटा जिंदा होता. यूपी के मेरठ का ये पूरा मामला जहां 10वीं के छात्र ने अपने पापा की रिवॉल्वर से अपनी जान ली और उनके नाम एक सुसाइड नोट भी लिखा. 

10वीं क्लास के बच्चे ने दी जान

ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक नितिन राठी के बेटे अंगद राठी ने अपने पिता की लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारकर जान दे दी. उसने एक सुसाइड नोट भी लिखा, नोट में वो लिखता है कि

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"पापा, आपने मुझे मोबाइल नहीं दिलाया, नई बाइक भी नहीं दिलाई, पुरानी वाली ही मोडीफाई करा दी, मेरे सब दोस्तों पर नए मोबाइल हैं, आप पढ़ाई के लिए हर दिन डांटते हैं, ऐसे में जीने की इच्छा खत्म हो गई है."

नया फोन ना दिलाने पर मारी गोली

ये सुसाइड नोट पुलिस ने बरामद किया है जिसमें साफ तौर पर ये लिखा था कि बच्चे को फोन और बाइक ना मिलने की वजह से उसने अपनी जिंदगी खत्म कर ली. इस दस साल के बेटे ने ये खौफनाक कदम उठाया और अपने पिता के कमरे में जाकर वहां से उनका रिवॉल्वर निकाली. अपने सिर पर रखी और चला दी, आवाज सुनते ही घरवाले भागे हुए अंगद के पास आए, लेकिन अंगद की मौत हो चुकी थी. अंगद इस बात से काफी परेशान था कि उसके सभी दोस्तों के पास महंगे और लेटेस्ट फोन हैं, लेकिन उसके पास अब भी पुराना ही फोन है.

पापा के लिए लिखा सुसाइड नोट

ऐसे में वो बार-बार अपने पिता से जिद करता रहा और इस जिद का असर ये हुआ कि अंगद ने अपनी जान ही ले ली. अब ऐसे में उन मां-बाप के बारे में सोचिए जो अपने बेटे को गवां चुके हैं. एक ट्रांसपोर्ट कंपनी का मालिक अपने बच्चे को फोन तो दिला ही सकता है, लेकिन बच्चों की हर जिद को पूरा करना भी सही बात नहीं, बच्चों को हर हालत में जीना आना चाहिए, पैसे हो या ना हो. शायद इसी बात को नितिन अपने बेटे अंगद को समझाना चाहते थे लेकिन जो हुआ वो उन्होंने सोचा भी नहीं होगा.

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