जिसकी सुपारी दी वो जिंदा है, जिसने सुपारी दी और जिन्होंने सुपारी उठाई, वो सब पहुँच गए जेल, है ना INTERESTING!!!

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जिसकी सुपारी दी वो जिंदा है, जिसने सुपारी दी और जिन्होंने सुपारी उठाई, वो सब पहुँच गए जेल, है ना IN...
सुपारी देने वाला और सुपारी उठाने वाले पुलिस के शिकंजे में
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Meerut Crime: एक दोस्त ने अपने दोस्त की सुपारी दी, और फिर जिस दोस्त की सुपारी दी थी उसी दोस्त ने अपने दोस्त को थाने में पुलिस के सामने पहुँचा दिया साथ में थाने पहुँचे वो लोग जिन्होंने एक दोस्त से दूसरे दोस्त को मारने की सुपारी ली थी। है न बेहद दिलचस्प उलझा हुआ किस्सा। सवाल उठता है कि जिन्हें किसी को मारने की सुपारी दी गई थी वो बिना सुपारी को अंजाम दिए बगैर पुलिस के पास कैसे पहुँच गए। और जिसकी सुपारी दी गई थी वो तो साफ साफ महफूज बना रहा लेकिन जिसने सुपारी दी वो पहुँच गया हवालात में...आखिर ये प्जाज की पर्तों में लिपटा ये मामला है क्या? तो चलिए शुरू से समझते हैं। 

ये रहा बुनियादी किस्सा

Contract Killer: दरअसल ये किस्सा है मेरठ का। मेरठ के कलंजरी थाना इलाके के रहने वाले सेवकराम प्रधानी का चुनाव लड़ने जा रहे थे। लेकिन उनके दिमाग में एक बात बैठ गई कि हो न हो उनका दोस्त इस चुनाव में उन्हें नुकसान पहुँचा सकता है या वो भी चुनाव में खड़ा हो सकता है ऐसे में दोस्त के सामने चुनाव लड़कर जीतना मुश्किल हो सकता है लिहाजा दोस्त को ही रास्ते से हटाने का सेवकराम ने इरादा कर लिया। और अंकुश, सागर और नितिन को अपने दोस्त प्रशांत को रास्ते से हटाने की सुपारी दे डाली। एक सुपारी की कीमत दो लाख 40 हजार रुपये तय हुई। सेवक राम ने कुछ रकम भी सुपारी उठाने वालों को दे दी, इस बात को पक्की करने के लिए कि काम पक्का होना चाहिए। 

एडवांस के बाद भी काम नहीं हुआ

एडवांस रकम देने के बाद भी दो महीने गुज़र गए और प्रशांत के साथ सुबह और शाम की राम राम होती रही, तब सेवकराम ने अंकुश, सागर और नितिन से अपने एडवांस की रकम वापस मांग ली। गरज ये कि काम हो नहीं रहा है तो हमारे पैसे वापस करे, हम ये काम किसी और से करवा लेंगे या नहीं करवाएंगे, अब इस मामले में उनसे कोई लेना देना नहीं। 

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सुपारी किलर्स के साथ तू तू मैं मैं

इसी बात में सेवकराम की तीनों लड़कों के साथ अच्छी खासी तूतू मैं मैं हो गई और खासा झगड़ा हो गया। तब सुपारी उठाने वाले तीनों लड़कों ने ये बात जिसकी सुपारी ली थी, यानी प्रशांत को ये बात सिलसिलेवार ढंग से बता दी और उसका नाम भी उजागर कर दिया जिसने प्रशांत के नाम की सुपारी उन तीनों को दी थी। उसका नाम सेवकराम है। 

जिसकी सुपारी दी गई उसे ही पता चल गया

सुपारी किलर्स की बातों को सुनकर प्रशांत को भी गुस्सा आया तो वो सीधा थाने चला गया। और थाने में पुलिस अफसरों को पूरा किस्सा सुना दिया। पुलिस ने फौरन एक्शन लिया और सुपारी देने वाले और सुपारी उठाने वाले तीनों को उठा लिया और हवालात में ले जाकर बंद कर दिया। यानी अब सेवकराम के साथ साथ अंकुश, सागर और नितिन चारो ही जेल पहुँच गए हैं। चारों ने पुलिस के सामने ये सारी बात कुबूल भी कर ली। 

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चुनाव ने बना दिया दोस्त को दुश्मन

मजे की बात ये है कि सेवकराम और प्रशांत अच्छे दोस्त हैं और इलाके में दोनों की दोस्ती को बहुत से लोग बड़ा सराहते भी थे। लेकिन प्रधानी के चुनाव ने इन दो दोस्तों को हमेशा हमेशा के लिए एक दूसरे से जुदा कर दिया। लेकिन इस पूरे केस में सारा खेल तो खराब किया तीनों सुपारी किलर्स ने जिन्होंने सुपारी का एडवांस लेने के बाद झगड़े की वजह से उसे ही सारी बात बता दी जिसका कत्ल उन्हें करना था। इस किस्से को मेरठ में जिसने भी सुना वो सोच में पड़ गया कि आखिर इस पूरे मामले में दोषी है कौन? 

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