फर्जी IPS अफसर बने मिथिलेश का नया ख्वाब- 'ऊ सब नहीं बनना है', अब डॉक्टर बनना है मिथिलेश को!

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फर्जी IPS अफसर बने मिथिलेश का नया ख्वाब- 'ऊ सब नहीं बनना है', अब डॉक्टर बनना है मिथिलेश को!
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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मिथिलेश का नया ख्वाब

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अब बनना है डॉक्टर

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मिथिलेश के खिलाफ दर्ज हो चुका है मुकदमा

Bihar News: बिहार में दो लाख रुपये देकर फर्जी आईपीएस अधिकारी बनने वाले मिथिलेश कुमार का अब नया ड्रीम है। वो अब डॉक्टर बनना चाहता है। मिथिलेश का कहना है कि वो डॉक्टर बनकर लोगों की जान बचाएगा। मिथिलेश ने कहा, 'अब वो पुलिस वाला नहीं बनेंगे। अब डॉक्टर बनेंगे। ऊ सब नहीं बनना है, हां डॉक्टर बनना है। डॉक्टर बनकर सबको बचाएंगे।'

मिथिलेश के खिलाफ दर्ज हुआ था मुकदमा, पर थाने से ही छोड़ दिया गया था

उसके खिलाफ खैरा पुलिस थाने में केस दर्ज किया था, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया। आपको बता दें कि मिथिलेश कुमार 10वीं पास हैं। 19 साल का मिथलेश कुमार लखीसराय जिला के हलसी थाना क्षेत्र के गोवर्धन बीघा गांव का रहना वाला है। खैरा इलाके के मनोज सिंह नाम के एक व्यक्ति ने उसे पुलिस में नौकरी लगाने का ऑफर दिया था और इसके लिए उससे दो लाख तीस हजार रुपये की मांग की गई थी। इसके लिए मिथलेश ने अपने मामा से दो लाख रुपये लेकर मनोज सिंह को दिए ताकि उसकी नौकरी पुलिस में लग जाए। 

आरोपी मनोज सिंह की तलाश कर रही है पुलिस

इसके बाद मनोज सिंह ने उसके शरीर का नाप लिया और उसके दूसरे दिन बुलाकर उसे आईपीएस की वर्दी, आईपीएस का बैच और नकली पिस्टल दे दिया। मिथलेश वर्दी पहनकर आरोपी मनोज सिंह से मिलने निकला ही था कि इतने में सिकंदरा चौक के पास पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया। 

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पुलिस के मुताबिक, मामले में सिकंदरा थाना के सब इंस्पेक्टर मोजम्मिल अंसारी की शिकायत के आधार पर मिथलेश कुमार और मनोज सिंह को आरोपी बनाया गया और मुकदमा दर्ज किया गया। मिथलेश कुमार से पूछताछ के दौरान यह बात सामने आई है कि मनोज सिंह ने उसे खैरा चौक पर वर्दी, लाइटर पिस्तौल और एक बैग देते हुए कहा कि उसकी आईपीएस में नौकरी लग गई है। वर्दी पहन कर हलसी थाना में अपना योगदान दे दे। मिथलेश ने पुलिस को बताया कि वह वर्दी पहनकर और कमर में लाइटर पिस्तौल रख कर अपनी बाइक से हलसी थाना जा रहा था,  मगर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। सवाल ये भी उठ रहा है कि मिथिलेश के मामा पैसे देते वक्त पूछा क्यों नहीं? क्यों मिथलेश के परिवार जनों को समय रहते घटना का पता तक नहीं चला? 

क्या कहा डीएसपी ने?

जमुई के डीएसपी सतीश सुमन ने कहा - सात या सात साल से कम सजा वाले मामले में गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि फर्जी आईपीएस वाले मामले में आरोपी मिथलेश कुमार को इसी के तहत बॉन्ड भरवा कर जेल न भेजते हुए छोड़ा गया है। जिन लोगों की भी इस मामले में संलिप्तता पाई जाएगी, उन्हें आरोपी बनाकर कार्रवाई की जाएगी। पुलिस मनोज को तलाश रही है। 

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