"अबे ये तो सुअर है.." पुलिसवाले ने ये बोलकर नाक बंद कर ली, बिहार में मर्डर केस की ऐसी जांच जो न किसी ने देखी न सुनी

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"अबे ये तो सुअर है.." पुलिसवाले ने ये बोलकर नाक बंद कर ली, बिहार में मर्डर केस की ऐसी जांच जो न किसी ने देखी न सुनी
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बेगूसराय पुलिस की सबसे अनोखी तफ्तीश

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मर्डर केस में बोरा बंद लाश भेजी मुर्दाघर

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बोरा खुला तो पुलिसवालों के उड़ गये होश

Begusarai: बिहार और बिहार की पुलिस के तौर तरीकों का जिक्र यूं ही पूरे हिंदुस्तान में नहीं होता है। बेगुसराय से मर्डर का ये अजीबोगरीब वाकया सुनेंगे तो आपको भी यकीन हो जाएगा कि बिहार की पुलिस आम नहीं कुछ खास है। तभी तो वो जितना दूर की सोचती है और जिस कॉन्फिडेंस के साथ काम करती है उसकी दूसरी मिसाल कम से कम इस देश में तो नहीं मिलेगी। दरअसल हुआ यूं कि बेगुसराय में पुलिस को शहर के बाहर एनएच-31 के पास एक लाश बरामद होने की खबर मिली। ये भी पता चला कि लाश एक बोरे में बंद है। लोगों ने बताया कि लाश कुछ दिन पुरानी हो सकती है क्योंकि उसके पास से जबरदस्त बदबू आ रही है। पुलिस वाले पूरी मुस्तैदी से मौके पर पहुंच गये और लाश को कब्जे में ले लिया। इसके बाद लाश को बोरे समेत सरकारी गाड़ी में डाला और जिला अस्पताल की ओर कूच कर दिया। मगर लाश किसकी है ये जानने के लिये न तो पुलिस ने बोरा खोलकर उसका चेहरा देखा, न सामान तलाशा और न ही सुराग की तलाश में उसके कपड़े जांचे, बल्कि सीधा लाश को पोस्टमॉर्टम के लिये मुर्दाघर भेज दिया।

नहीं देखा लाश का चेहरा

वैसे आमतौर पर पुलिस लावारिस लाशों की शिनाख्त के लिये उनकी तस्वीरें खिंचवाती है। फिर तस्वीर के साथ मरने वाले का हुलिया, उम्र, चेहरा-मोहरा, कद-काठी और कपड़ों का रंग बताते हुए पोस्टर बनवाया जाता है। इस पोस्टर को शहर भर में लगाया जाता है ताकि इसके जरिये पुलिस मरने वाले की शिनाख्त कर सके। ऐसे ही पोस्टर इश्तेहार के तौर पर अखबारों में भी छपवाए जाते हैं। क्योंकि कानून के मुताबिक किसी भी लावारिस लाश के अंतिम संस्कार से पहले कम से कम 72 घंटे तक उसे मुर्दाघर में रख कर उसकी पहचान करने की कोशिश की जानी चाहिये। पर ये ठहरी बिहार की पुलिस, लिहाजा इन सारे नियम-कानूनों को ताक पर रख कर पुलिस ने लाश को सीधे पोस्टमॉर्टम के लिये भेज दिया। पुलिसवाले जब लाश लेकर सरकारी अस्पताल पहुंचे तो शाम हो चुकी थी। लिहाजा डॉक्टरों ने उन्हें लाश को मुर्दाघर में ही छोड़ कर पोस्टमॉर्टम के लिये अगली सुबह आने को कहा। पुलिसवालों ने वैसा ही किया जैसा डॉक्टरों ने कहा।

मुर्दाघर में पुलिस की बोलती बंद

अगली सुबह अस्पताल के डॉक्टर और पुलिस दोनों लाश के पोस्टमॉर्टम के लिए मॉर्चुरी पहुंच गए। एक तो मुर्दाघर दूसरा सड़ांध मारती बोरा बंद लाश,  पुलिसवालों ने अपनी-अपनी नाक रुमाल से ढक रखी थी। मगर डॉक्टरों के लिये ये रोज का काम था। तो डॉक्टर का असिस्टेंट लाश को बोरे समेत खींचता हुआ चीर-फाड़ वाली टेबल पर लाया और एक बड़ी सी कैंची की मदद से बोरे को काटना शुरु कर दिया। जैसे-जैसे बोरा खुलता गया पुलिसवालों की आंखें भी फैलती चली गईं। "अबे ये तो सुअर है.." एक पुलिसवाले ने ये कहकर अपनी नाक रुमाल से दोबारा ढक ली। मुर्दाघर में मौजूद पुलिसवालों और डॉक्टरों की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई, क्योंकि सचमुच बोरे में बंद लाश किसी इंसान की नहीं बल्कि एक सुअर की थी। और पुलिसवाले पूरी लापरवाही से आम लोगों से मिली शिकायत की बिनाह पर बोरे में बंद लाश को इंसानी लाश समझ कर पोस्टमॉर्टम हाउस ले आए थे।  

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मर्डर केस की ये कैसी जांच?

पोस्टमॉर्टम करने वाले सरकारी डॉक्टर सुअर की लाश देख कर पुलिसवालों पर बुरी तरह भड़क गये। इस लापरवाही पर अपनी सफाई में कहने के लिये खुद पुलिसवालों के पास कुछ नहीं था। लिहाजा बुरी तरह झेंप चुके पुलिसवाले एक-एक कर मुर्दाघर से खिसक लिए। बस जाते-जाते वो मुर्दाघर के सफाई कर्मचारी से मरे हुए सुअर को मिट्टी में दफनाने को कह गये। मीडिया के सवालों पर नगर थानाध्यक्ष शैलेंद्र कुमार ने शर्माते हुए बताया कि यह गलती किस वजह से हुई इसकी जांच की जा रही है। पुलिस क्यों गुमराह हुई ये सवाल तो है ही, मगर सूअर का मर्डर किसने किया लोग अब ये सवाल भी पुलिस से ही पूछ रहे हैं। ऐसी अजीबोगरीब खबर जिसने सुनी लोटपोट हो गया। जाहिर है सुअर के पोस्टमॉर्टम की खबर फैलने के बाद इलाके के लोग और दूसरे थानों में तैनात पुलिसवाले भी बेगुसराय के नगर थाने की पुलिस का माखौल उड़ा रहे हैं। हर कोई चर्चा कर रहा है कि आखिर बिना समझे-बूझे बोरे में बंद सूअर की लाश को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजने की क्या जरूरत थी? जाहिर है बिहार पुलिस की इसी लापरवाही के चलते हर ओर जग हंसाई हो रही है। 

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