अफ़ग़ानिस्तान में लड़कियों की पढ़ाई पर रोक नहीं, लेकिन महिलाओं पर रोक, बिना हिजाब ना निकलें: तालिबानी प्रवक्ता ने इंटरव्यू में कहा

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Afghanistan Taliban Spokesperson Suhail Shaheen Interview :

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान के कब्जे के बाद दुनिया भर में महिलाओं और बच्चों की ख़ासतौर पर चिंता जाहिर की जा रही है. चिंता इस बात की है कि 20 साल पहले जैसे तालिबान ने कहर बरपाया था. अब फिर से वैसे ही हालात होने वाले हैं. इसी वजह से काबुल एयरपोर्ट पर अफरातफरी से लेकर महिलाएं और बच्चे अपना घर छोड़कर रिफ्यूजी कैंप में चले गए हैं.

ऐसे में अफ़ग़ानिस्तान में नई इस्लामिक सरकार बनाने का दावा करने वाले तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन (Suhail Shaheen) ने एक इंटरव्यू दिया है. एक इंटरनेशनल अंग्रेजी मीडिया को दिए इंटरव्यू में उसने दावा किया है कि लड़कियों को पहले की सरकार की तुलना में ज्यादा बेहतर पढ़ाई का मौका मिलेगा.

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लेकिन कई सवालों के जवाब में तालिबान प्रवक्ता ऐसी बातें करते नजर आए जिससे ये साफ होता है कि वो सिर्फ दुनिया की नजरों में तालिबान को अच्छा बताने के लिए दावा कर रहे हैं. हाल में हयात प्रांत में लड़कियों को जबरन स्कूल से बाहर निकाला गया था. उस पर तालिबान प्रवक्ता ने गलती मानने के बजाय कह दिया कि ये व्यक्तिगत हो सकता है. तालिबानी लड़ाके ऐसा नहीं कर सकते हैं. जानिए तालिबान प्रवक्ता ने क्या कहा है.

सवाल : काबुल में काफी अफरातफरी की स्थिति है. ऐसे में अफ़ग़ानिस्ता में तालिबान शासन कैसा होगा. आगे का क्या प्लान है? अभी क्यों भ्रम की स्थिति बनी हुई है.

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तालिबानी प्रवक्ता :
इसमें कोई भ्रम नहीं होना चाहिए. काबुल शहर में लोगों की संपत्ति और उनकी ज़िंदगी दोनों सुरक्षित है. तालिबान की तरफ से किसी तरह के बदले की भावना नहीं होगी. हम इस देश में लोगों की सेवा के लिए आए हैं. इसलिए तालिबान की सेना काबुल के एंट्री गेट पर तैनात है. फिलहाल, वहां से बाहरी के एंट्री पर रोक लगी है. हम सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण की तैयारी में हैं.

सवाल : सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण का क्या मतलब है?

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तालिबानी प्रवक्ता :
इसका मतलब ये है कि हम यहां पर शांति व्यवस्था चाहते हैं. अफ़ग़ानिस्तान में इस्लामिक कानून लागू हो. भविष्य में यहां पर हम इस्लामी सरकार बनाएंगे.

सवाल : दुनिया भर में महिलाओं को लेकर चिंता की जा रही है. लड़कियां स्कूल नहीं जा सकती हैं. नौकरी नहीं कर सकतीं हैं. आखिर ऐसा होगा तो कैसी शांति व्यवस्था?

तालिबानी प्रवक्ता :
देखिए, हमने पहले भी कई प्रांतों में नियंत्रण किया था. क्या, वहां लड़कियां स्कूल नहीं जातीं थीं. वो जातीं थीं. वहां लड़कियों के लिए सैकड़ों स्कूल हैं और यूनिवर्सिटी भी हैं. जहां छात्राएं पढ़ती हैं वहां उन पर कोई रोक नहीं है. वो अपनी पढ़ाई जारी रखें. इसमें कोई रोक नहीं है. लेकिन मैं ये जरूर कहना चाहता हूं कि महिलाएं स्कूल नहीं जा सकती हैं. वो पढ़ाई नहीं कर सकती हैं. लेकिन वो काम पर जा सकती हैं. लेकिन उन्हें बस हिज़ाब पहनकर निकलना होगा.

सवाल : आप कह रहे हैं कि लड़कियों की पढ़ाई पर रोक नहीं है. लेकिन हयात प्रांत में ऐसा नहीं है. वहां तालिबानी लड़ाके जबरन लड़कियों को स्कूल से बाहर निकाल दिए थे. तो क्या लड़ाके तालिबान की बात नहीं मानते?

तालिबानी प्रवक्ता :
देखिए, हमारे सभी लड़ाके बात मान रहे हैं. ऐसा नहीं है. ऐसा कुछ व्यक्तिगत जरूर हो सकता है. अगर ऐसा पाया जाता है तो हम जांच कराएंगे. कहीं गड़बड़ी हुई है तो उसे ठीक किया जाएगा.

सवाल : लेकिन क्या महिलाओं को शरीयत क़ानून का पालन करना होगा? अगर ऐसा रहा तो सभी को न्याय कैसे मिलेगा?

तालिबानी प्रवक्ता :
जहां तक शरीयत क़ानून की बात है तो उसे मानना ही पड़ेगा. बिल्कुल, हम इस्लामी सरकार चाहते हैं. और ये बात सिर्फ तालिबान की नहीं है. बल्कि ये अफ़ग़ानिस्तान के लोगों की मांग है. तालिबान लोगों के साथ मिलकर काम करेगा. जहां हर किसी अभियुक्त को स्वतंत्र अदातल में लाया जाएगा. यानी हर किसी को बराबर मौका मिलेगा. और सही सुनवाई होगा और न्याय भी मिलेगा.

सवाल : तो क्या नए अफ़ग़ानिस्तान में महिलाएं भी जज होंगी?

तालिबानी प्रवक्ता :
इसमें कोई दो राय नहीं है. अगर वे काम करने में सक्षम होंगी तो निश्चित तौर पर उन्हें काम मिल सकता है.

सवाल : तो फिर क्या सरकार तय करेगी कि लोग क्या करें और कहां जाएं? उनके अपने कोई अधिकार होंगे या नहीं?

तालिबानी प्रवक्ता :
ये सबकुछ तो भविष्य तो निर्भर पर होगा. तालिबान की नई सरकार स्कूल के लिए ड्रेस कोड बनाएगा. उसी ड्रेस को पहनकर हर छात्र-छात्राओं को स्कूल जाना होगा. मैं मानता हूं कि हमें शिक्षा पर काम करना है. हमें आर्थिक मोर्चे पर काफी काम करना है. इसके लिए नीति बनाई जाएगी. पढ़ाई करने की आज़ादी होगी. सरकार बेहतर प्रयास करेगी.

सवाल : लेकिन 1996 से 2001 तक तालिबान की जब पहले सरकार थी तब ऐसा नहीं था. हमेशा महिलाओं को घर से बाहर निकलने के लिए भाई या पिता के साथ ही जाना होता था. अकेले नहीं जा सकतीं थीं.

तालिबानी प्रवक्ता :
अफ़ग़ानिस्तान में सबकुछ इस्लामी क़ानून के अनुसार ही होगा. इस बात को फिर से बता देता हूं. अतीत में भी महिलाएं अकेले सड़क पर चलतीं थीं. उन्हें डरने की जरूरत नहीं है. हम उनकी इज्जत करेंगे. पढ़ाई के लिए माहौल देंगे. वो बिल्कुल भी चिंता ना करें. हमारा दावा है कि तालिबान सरकार में पढ़ाई के लिए पिछली सरकार से भी बेहतर माहौल मिलेगा.
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