Mumbai News: 90 के दशक के शुरुआत के बॉम्बे की तस्वीरें याद होगी आपको। उस बॉम्बे की जो अंडरवर्ल्ड और गैंगवार से परेशान था। दाऊद इब्राहिम तब तक एक बड़ा डॉन बन चुका था। ये वो दौर था, जब तब के बॉम्बे और आज के मुंबई के सीने पर लगभग हर रोज गैंगवार या एनकाउंटर के नाम पर खून बहाए जाते थे। ये वो दौर था, जब हर साल औसतन 100 से सवा सौ लोग गैंगवार या एनकाउंटर के नाम पर मारे जाते थे। बालीवुड, बिल्डर, बार मालिक और छोटे-बड़े बिजनेस मैन से वसूली करना आम बात थी। तब मुंबई पुलिस पर चौतरफा दबाव था। इसी दबाव के चलते मुंबई पुलिस ने आखिरकार ये तय किया कि वो मुंबई से अंडरवर्ल्ड का सफाया करके रहेगी। इसी के तहत पहले एनकाउंटर की परंपरा की शुरुआत हुई, जिसमें 500 से ज्यादा गैंगस्टर पुलिस की गोलियों का शिकार बने। ऐसे कई एनकाउंटर पर सवाल भी उठे, लेकिन इन्हीं एनकाउंटर ने कई एनकाउंटर स्पेशलिस्ट को तब सुर्खियां भी दी। एनकाउंटर के साथ-साथ अंडरवर्ल्ड पर लगाम कसने के लिए सख्त कानून की जरूरत महसूस हुई तो मकोका जैसे कानून लाए गए। धीरे-धीरे ये तमाम कदम रंग दिखाने लगे। हजारों छोटे-बड़े गैंगस्टर अब जेल में थे। 2000 आते-आते धीरे-धीरे अब मुंबई अंडरवर्ल्ड से क्लीन होती जा रही थी।
D कंपनी की दहशत खत्म, अब L कंपनी का दौर, लॉरेंस बिश्नोई का नाम बाबा सिद्दीकी केस में आने से एजेंसियां भी परेशान!
Mumbai News: अब डी कंपनी का दौर खत्म हो गया है। अब L कंपनी का दौर शुरू हो गया है। एल कंपनी मतलब लॉरेंस बिश्नोई गैंग। बाबा सिद्दीकी केस में लॉरेंस का नाम आने से एजेंसियां सकते में हैं।
ADVERTISEMENT
बाबा की हत्या के पीछे मुंबई अंडरवर्ल्ड के नए किंग की कहानी भी है
17 Oct 2024 (अपडेटेड: Oct 17 2024 6:39 PM)
डी-कंपनी की दहशत
ADVERTISEMENT
नवंबर 2002 में आखिरी बार दाऊद गैंग या डी कंपनी की तरफ से मुंबई में कोई शूटआउट हुआ था। अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली के गैंग ने 2008 में मुंबई में आखिरी मर्डर किया था। 2011 में क्राइम पत्रकार जय डेय का कत्ल वो आखिरी कत्ल था, जो छोटा राजन गैंग के हाथों हुआ। गैंगस्टर अश्नविन नायक अंडरवर्ल्ड छोड़ कर बिल्डर बन चुका था। 2002 में पुर्तगाल में गिरफ्तारी के बाद अबू सलेम का गैंग तितर-बितर हो चुका था। कुल मिलाकर एक दो को छोड़ कर बाकी सभी डॉन और डॉन के गुर्गें जेलों में पहुंच चुके थे। मुंबई अब अंडरवर्ल्ड के नासूर से उबर चुका था।
2003 में दाऊद के छोटे भाई एकबाल कासकर को दुंबई से डिपोर्ट कर मुंबई लाए जाने के बाद धीरे-धीरे दाऊद गैंग ने भी मुंबई में अपना आपरेशन पूरी तरह बंद तो नहीं लेकिन कम कर दिया। बाली से गिरफ्तार कर दिल्ली लाए गए छोटा राजन को तिहाड़ में बंद कर दिया गया, जहां वो उम्र कैद की सजा काट रहा है। अबू सलेम, अरुण गवली भी अलग-अलग केसों में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। बंटी पांडे और रवि पुजारी जैसे गैंग्स्टर भी जेल के पीछे ही है। कुल मिलाकर मुंबई में एक तरह से अब अंडरवर्ल्ड का पूरी तरह से खात्मा हो चुका है। और बस यही वो चीज है, जिसने लॉरेंस बिश्नोई को मुंबई की तरफ आकर्षित कर दिया। सामने कोई राइवल गैंग नहीं है। ऐसे में अपने गैंग के लिए जमीन तैयार करना उसके लिए कही ज्यादा आसान है।
लॉरेंस की L कंपनी ने फैलाई दहशत
बाबा सिद्दीकी की मौत के बाद मौत की वजह को लेकर फिलहाल तस्वीर साफ नहीं है। ज्यादातर लोगों के गले ये बात नहीं उतर रही कि बाबा सिद्दीकी का कत्ल सलमान खान को डराने के लिए किया गया था। हालांकि पुख्ता तौर पर बाबा सिद्दीकी के कत्ल के पीछे लॉरेंस गैंग का हाथ होने की बात अभी मुंबई पुलिस ने नहीं कही है, लेकिन लॉरेंस गैंग से तार जुड़ने की वजह से मीडिया में इस कत्ल के लिए लॉरेंस का ही नाम लिया जा रहा है। और यही से ये सवाल उठता है कि अगर सचमुच बाबा सिद्दीकी के कत्ल के पीछे लॉरेंस गैंग का ही हाथ है तो फिर वजह क्या है? कही वजह वो ही तो नहीं, जिसका डर है। यानी मुंबई अंडरवर्ल्ड में लॉरेंस गैंग की दस्तक।
मुंबई में 93 के सीरियल धमाके के बाद अंडरवर्ल्ड भी दो हिस्सों में बंट गया था। एक राष्ट्रभक्त अंडरवर्ल्ड और दूसरा राष्ट्र विरोधी अंडरवर्ल्ड और इसी के साथ अंडरवर्ल्ड में हिंदू-मुस्लिम को लेकर भी बंटवारा हो गया। छोटा राजन ने खुद को राष्ट्र भक्त डॉन घोषित करवा दिया, जब कि 93 के ब्लास्ट के बाद दाऊद को राष्ट्र विरोधी डॉन। 2000 के शुरुआत से शुरू हुआ ये सिलसिला छोटा राजन और दाऊद से होते हुए अब लॉरेंस बिश्नोई गैंग तक पहुंच गया है। लॉरेंस गैंग की तरफ से सोशल मीडिया पर जब भी कोई पोस्ट डाला जाता है, उसमें जय श्रीराम और जय भारत जैसे शब्दों का इस्तेमाल खास इसी मकसद से किया जाता है। अंडरवर्ल्ड पर काम कर चुके कुछ सीनियर पुलिस अफसरों के मुताबिक, लॉरेंस डी कंपनी से भी बड़ा अपना गैंग बनाना चाहता है। डी कंपनी की तरह वो अपने गैंग को इंटरनेश्नल लेवल तक ले जाना चाहता है। और इसी लिए वो दाऊद की तरह ही मुंबई पर भी अपना गैंग का कंट्रोल चाहता है।
90 के दशक में जिन पुलिसवालों ने अंडरवर्ल्ड को करीब से देखा, उससे निपटे और फिर उसका सफाया किया, उनमें से लगभग ज्यादातर रिटायर हो चुके हैं। अब पुलिस की जो नई खेप है, उसे मुंबई में संगठित अपराध या अंडरवर्ल्ड जैसी चीजों से निपटने का उतना अनुभव नहीं है, न ही उनके पास मुखबिरों का ऐसा कोई नेटवर्क है। लॉरेंस गैंग का काम करने का तरीका भी मुंबई पुलिस के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है। असल में 90 के दशक में जिस तरह से दाऊद इब्राहिम या अबू सालेम बिहार और यूपी के बिल्कुल नए लड़कों को मुंबई बुलाकर उनसे काम करवाते थे। ठीक वही तरीका लॉरेंस गैंग का भी है। इन लड़कों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होता है, जिसकी वजह से पुलिस का उन तक पहुंचना सबसे मुश्किल होता है।
एनआईए ने लॉरेंस को दाऊद से बड़ा अपराधी बताया
एनआईए यानी नेश्नल इंवेस्टिगेटिव एजेंसी ने कुछ वक्त पहले लॉरेंस और लॉरेंस गैंग के बारे में एक डोजियर तैयार किया था। इस डोजियर में भी एनआईए ने साफ साफ ये कहा कि लॉरेंस डी कंपनी जैसा ही अपना नेटवर्क खड़ा करना चाहता है। एनआईए की डोजियर के हिसाब से दस साल पहले तक लॉरेंस का गैंग सिर्फ पंजाब तक ही सीमित था। लेकिन अब हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, यूपी, झारखंड और महाराष्ट्र तक में छोटे-बडे़ गैंग के साथ मिलकर ये अपना गैंग खड़ा कर रहा है। सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि देश के बाहर छह और देशों में भी लॉरेंस गैंग एक्टिव है। इसमें कनाडा, अमेरिका, अजरबेजान, पुर्तगाल, यूएई और रूस भी शामिल है।
लॉरेंस बिश्नोई के अलावा उसके गैंग के कुछ खास मैंबर है, जो अलग-अलग राज्य और देश संभालते हैं। लॉरेंस का खासमखास गोल्डी बराड़ कनाडा, पंजाब और दिल्ली गैंग को संभालता है। रोहित गोदारा राजस्थान, एम पी और अमेरिका में गैंग को देखता है। पुर्तगाल, दिल्ली एनसीआर, महाराष्ट्र, बिहार और पश्चिम बंगाल की कमान लॉरेंस के भाई अनमोल बिश्नोई के पास है, जब कि काला जठेड़ी हरियाणा और उत्तराखंड में गैंग को देखता है। सभी गैंग सरगना सीधे अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई को रिपोर्ट देते हैं।
एनआईए के डोजियर के मुताबिक, लॉरेंस गैंग ने इस वक्त 700 से ज्यादा शूटर्स है, जिनमें से सबसे ज्यादा 300 शूटर्स अकेले पंजाब से है। शूटरों या लड़कों को अपने गैंग में शामिल कराने का लॉरेंस का तरीका लगभग वैसा ही है, जैसा अबू सलेम का था। अपने दुश्मनों को धमकाने या उन्हें ठिकाने लगाने के लिए वो कभी अपने गैंग के खास मैंबर का इस्तेमाल नहीं करता। बल्कि नौजवान लड़कों को ,जिनका क्रिमिनल रिकॉ्ड नहीं होता, उन्हें ही कुछ पैसे देकर उनसे अपना काम निकलवा लेता है। ऐसे कई केस में देखा गया है कि लॉरेंस गैंग के लिए काम करने वाले लडकों ने गिरफ्तारी के बाद ये खुलासा किया कि उन्हें पैसे के अलावा काम हो जाने के बाद भारतीय कानून से बचा कर विदेशों में बसाने का भी भरोसा दिया गया।
लॉरेंस गैंग के शूटरों के पास हथियारों के खेप की भी कमी नहीं है। एनआईए के डोजियर के मुताबिक, पंजाब से लगे पाकिस्तानी बार्डर से स्मगल होकर हथियार लॉरेंस गैंग तक पहुंचते हैं। हथियारों की खेप मध्य प्रदेश के मालवा यूपी के मेरठ, मुजफ्फरनगर , अलीगढ़ और बिहार में मुंगेर और खगड़िया से भी गैंग के पास पहुंचती है। डोजियर के मुताबिक, भारत के अलावा पाकिस्तान, अमरेकिा, रूस, कनाडा और नेपाल से भी लॉरेंस गैंग को हथियार मिलते हैं।
लॉरेंस गैंग के बारे में एनआईए के इस डोजियर और चार्जशीट के बावजूद सच्चाई यही है कि पिछले 10 सालों से भी ज्यादा वक्त से जेल में रहते हुए भी लॉरेंस का गैंग लगातार बढ़ा होता जा रहा है। अंडरवर्ल्ड की दुनिया में उसका कद भी लगातार बढ़ रहा है। और इसकी वजह है जेल के अंदर रह कर भी उसका बेरोक टोक गैंग चलाना। पहले तिहाड़, फिर पंजाब की अलग अलग जेलों में रहने के बाद पिछले साल भर से ज्यादा वक्त से लॉरेंस अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद है, लेकिन इसके बावजूद जेल के बाहर की दुनिया या अपने गैंग से उसका संपर्क कटा नहीं है। कहते हैं जेल के अंदर आज भी लॉरेंस को मोबाइल मुहैया है। और उसी मोबाइल का एक कॉल किसी की जिंदगी और मौत का सबब बन जाती है।
लॉरेंस बिश्नोई को साल भर पहले ही अहमदाबाद की साबरमती जेल भेज गया था। असल में सिद्धु मुसेवाला मर्डर केस के बाद जब पंजाब पुलिस उसे पूछताछ के लिए पंजाब ले गई, तब लॉरेंस ने पंजाब में अपनी जान को खतरा बताया था। बाद में लॉरेंस को साबरमती जेल शिफ्ट कर दिया गया। साबरमती जेल जाने के बाद ही गृह मंत्रालय ने लॉरेंस को लेकर एक आदेश भी जारी कर दिया था।
असल में 2023 में गृह मंत्रालय ने सीआरपीसी की धारा 268(1) के तहत ये आदेश जारी किया था कि लॉरेंस बिश्नोई को पूछताछ के नाम पर या उसके खिलाफ दर्ज किसी और केस में कहीं ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। यानी वो साबरमती जेल के अंदर ही रहेगा। किसी केस में किसी भी राज्य की पुलिस को अगर उससे पूछताछ करनी है तो अदालत से जरूरी इजाजत लेकर वो साबरमती जेल के अंदर ही उससे पूछताछ कर सकती है। हालांकि ये आदेश अगस्त 2024 तक के लिए था, लेकिन सूत्रों के मुताबिक अब इसे एक्सटेंड कर दिया गया है। साबरमती जेल जाने से पहले लॉरेंस दिल्ली की तिहाड़ जेल में था। हालाकि कमाल ये है कि लॉरेंस और बाहर बैठे उसके गैंग के बीच के जिस कनेक्शन को काटने के लिए गृह मंत्रालय ये खास आदेश लाया था। वो कनेक्शन ही आजतक नहीं कटा, वरना जेल मे रहते हुए भी लॉरेंस गैंग इस तरह ना किसी की सुपारी ले पाता और ना किसी को धमका पाता।
ADVERTISEMENT