आज से तारीख पे तारीख का Dialogue हुआ पुराना, FIR से लेकर कोर्ट के फैसलों तक सब बदल जाएगा, तीन नए आपराधिक कानून लागू

GOPAL SHUKLA

01 Jul 2024 (अपडेटेड: Jul 1 2024 9:48 AM)

Three New Criminal Laws Implemented: भारतीय आपराधिक कानून अब से नई सूरत और नई सीरत के साथ लागू हो रहा है। CRPC में जहां 484 धाराएं थीं वहीं अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता BNSS में 531 धाराएं हैं। ऑडियो-विडियो जैसे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से जुटाए गए सबूत अब कोर्ट में माने जाएंगे। जबकि नए कानून में किसी भी अपराध के लिए जेल में अधिकतम सजा काट चुके कैदियों को प्राइवेट बॉण्ड पर रिहा करने का भी प्रावधान है।

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Three New Criminal Laws: 1 जुलाई 2024 बहुत खास है। और उसके खास होने की सबसे बड़ी वजह है भारतीय दंड संहिता में होने वाला बदलाव। सच कहा जाए तो हिन्दुस्तान में इस तारीख से आपराधिक न्याय के एक नए युग की शुरूआत कही जा सकती है। Indian Penal Code (IPC) यानी भारतीय दंड संहिता और THE CODE OF CRIMINAL PROCEDURE (CrPC) यानी दंड प्रक्रिया संहिता जिसे आम तौर पर दंड प्रक्रिया संहिता की सूरत और सीरत बदलने वाली है। अपराध के मामलों से निपटने के लिए अब भारतीय न्याय संहिता में तीन नए कानून 1 जुलाई से ही लागू होने जा रहे हैं। यानी सरकारी दावों पर यकीन किया जाए तो अब तारीख पर तारीख के जमाने लद गए और हर मुकदमें का फैसला होगा ताबड़तोड़। 

मुकदमों को रफ्तार देने आया नया कानून

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रविवार की रात 12 बजे के बाद से देश भर में होने वाले किसी भी जुर्म या अपराध को अब नए कानून की नई धाराओं के तहत दर्ज किया जाएगा। एक जुलाई से देश में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू हो रहे हैं। एक जुलाई से लागू हो रहे आपराधिक प्रक्रिया तय करने वाले तीन नये कानूनों में फटाफट इंसाफ दिलाने को पक्का करने के लिए FIR से लेकर फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है। कोर्ट में किसी मुकदमें की सुनवाई को रफ्तार देने के लिए नए कानून में 35 जगह टाइम लाइन जोड़ी गई है। शिकायत मिलने पर FIR दर्ज करने, जांच पूरी करने, अदालत के संज्ञान लेने, दस्तावेज दाखिल करने और ट्रायल पूरा होने के बाद फैसला सुनाने तक की समय सीमा अब तय कर दी गई है।

तारीख पे तारीख के जमाने लदे

इतना ही नहीं, आधुनिक तकनीक का भरपूर इस्तेमाल और इलेक्ट्रानिक सबूतों को कानून का हिस्सा बनाने से मुकदमों के जल्दी निपटारे का रास्ता अब आसान कर दिया गया है। साथ ही  शिकायत, समन और गवाही के कामकाज में इलेक्ट्रानिक माध्यमों के इस्तेमाल से अदालत की कार्रवाई में जबरदस्त तेजी आएगी। अगर कानून में तय समय सीमा को ठीक उसी मंशा से लागू किया गया जैसा कि कानून लाने का मकसद है तो यकीनन ही नये कानून से मुकदमे जल्दी निपटेंगे, ऐसे में तारीख पर तारीख का डायलॉग गुजरे जमाने की बात हो जाएगा। 

नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद अब FIR कुछ इस तरह की होगी

FIR के लिए Time Line तय

आपराधिक मामलों की शुरुआत FIR से होती है। नए कानून में तय समय सीमा में FIR दर्ज करना और उसे अदालत तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता यानी BNSS में ये इंतजाम किया गया है कि शिकायत मिलने पर तीन दिन के अंदर FIR दर्ज करनी होगी। तीन से सात साल की सजा के केस में 14 दिन में प्रारंभिक जांच पूरी करके FIR दर्ज की जाएगी। 24 घंटे में तलाशी रिपोर्ट के बाद उसे न्यायालय के सामने रख दिया जाएगा।

तय समय में Court को सजा सुनानी होगी

आरोपपत्र यानी चार्जशीट दाखिल करने के लिए पहले की तरह 60 और 90 दिन का समय तो है लेकिन 90 दिन के बाद जांच जारी रखने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होगी और जांच को 180 दिन से ज्यादा लंबित नहीं रखा जा सकता। 180 दिन में आरोपपत्र दाखिल करना होगा। ऐसे में जांच चालू रहने के नाम पर आरोपपत्र को अनिश्चितकाल के लिए नहीं लटकाया जा सकता। पुलिस के लिए टाइमलाइन तय करने के साथ ही अदालत के लिए भी समय सीमा तय की गई है। मजिस्ट्रेट 14 दिन के भीतर केस का संज्ञान लेंगे। केस ज्यादा से ज्यादा 120 दिनों में ट्रायल पर आ जाए इसके लिए कई उपाय किए गए हैं।

Plea Bargaining के लिए वक्त मुकर्रर 

अभी तक CrPC में प्ली बार्गेनिंग (Plea Bargaining) के लिए कोई समय सीमा तय नहीं थी। लेकिन नए कानून में केस में दस्तावेजों की प्रक्रिया भी 30 दिन में पूरी करने की बात है। फैसला देने की भी समय सीमा तय है। ट्रायल पूरा होने के बाद अदालत को 30 दिन में फैसला सुनाना होगा।
असल में प्ली बार्गेनिंग एक तरह से सौदेबाजी की दलील है जिसे आपराधिक कानून की कार्यवाही में एक समझौता कहा जाता है, इसके तहत अभियोजक यानी सरकारी वकील प्रतिवादी यानी मुल्जिम को अपराध या नोलो दावेदार की दलील के बदले में रियायत प्रदान करता है। 
लिखित कारण दर्ज करने पर फैसले की अवधि 45 दिन तक हो सकती है लेकिन इससे ज्यादा नहीं। नये कानून में दया याचिका के लिए भी समय सीमा तय है। सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने के 30 दिन के भीतर दया याचिका दाखिल करनी होगी।

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