Crime IPC: जी हां भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी (IPC) ब्रिटिश काल में 1862 में 1 जनवरी को लागू हुई थी। इसके बाद लगातार वक्त-वक्त पर आईपीसी में संशोधन (Amendment) होते रहे धाराओं को शामिल किया जाता रहा। भारत के स्वतंत्र होने के बाद इसमें बहुत बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए। भारतीय दंड संहिता में 23 चैप्टर हैं और 511 धाराएं मौजूद हैं।
क्या है आईपीसी? आईपीसी (IPC) का इस्तेमाल कब और क्यों किया जाता है? भारतीय दंड संहिता में क्या है ख़ास?
नाम तो सुना होगा कि आईपीसी (IPC) आखिर क्या होती है? आईपीसी का इस्तेमाल कब और क्यों किया जाता है? भारतीय दंड संहिता में क्या है ख़ास? कैसे मिलती है सज़ा?
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13 Jul 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:22 PM)
यह जो धाराएं हैं जिनके तहत अदालत में आरोपियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जाते हैं और सज़ा का प्रावधान किया जाता है। इनमें कई तरह के बड़े और संगीन जुर्म भी शामिल हैं। आईपीसी भारत में रहने वाले किसी भी नागरिक द्वारा किए गए अपराधों की परिभाषा और दंड प्रावधान करती है। ये आईपीसी भारत की सेना पर लागू नहीं होती। पहले जम्मू कश्मीर में भी आईपीसी के स्थान पर रणबीर दंड संगीता यानी आरपीसी लागू होती थी। धारा 370 को हटाए जाने के बाद अब जम्मू कश्मीर में पूरे देश की तरह भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी लागू हुई है।
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यह भारतीय दंड संहिता यानि आईपीसी ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने तैयार की थी। स्वतंत्रता के बाद भारत में इस में बड़े बदलाव किए गए। पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी भारतीय दंड संहिता को ही अपने कानून में शामिल किया है। भारतीय दंड संहिता दरअसल 1807 में अस्तित्व में आई थी इसका खाका लॉर्ड मैकाले ने तैयार किया था। इसके तहत क्रिमिनल लॉ आते हैं। आईपीसी यानि इंडियन पीनल कोड अपराध की नेचर को परिभाषित करती है और इसमें किस तरह का दंड का प्रावधान होगा यह तय करती है।
आईपीसी की मुख्यधारा में 302 यानी हत्या 307 हत्या की कोशिश 376 यानि रेप जैसी तमाम बड़ी धाराएं शामिल है। आईपीसी धारा 300- हत्या, आईपीसी धारा 301- जिस व्यक्ति की मॄत्यु कारित करने का आशय था उससे भिन्न व्यक्ति की मॄत्यु करके आपराधिक मानव वध करना, आईपीसी धारा 302- हत्या के लिए दण्ड, आईपीसी धारा 303- आजीवन कारावास से दण्डित व्यक्ति द्वारा हत्या के लिए दण्ड, आईपीसी धारा 304- हत्या की श्रेणी में न आने वाली गैर इरादतन हत्या के लिए दण्ड, आईपीसी धारा 304क- उपेक्षा द्वारा मॄत्यु कारित करना का प्रावधान है।
इसके अलावा मुख्य धाराओं में आईपीसी धारा 304ख- दहेज मृत्यु, आईपीसी धारा 305- शिशु या उन्मत्त व्यक्ति की आत्महत्या का दुष्प्रेरण, आईपीसी धारा 311- ठगी के लिए दंड, आईपीसी धारा 312- गर्भपात कारित करना, आईपीसी धारा 313- स्त्री की सहमति के बिना गर्भपात कारित करना, आईपीसी धारा 314- गर्भपात कारित करने के आशय से किए गए कार्यों द्वारा कारित मृत्यु, आईपीसी धारा 315- शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी मॄत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य शामिल है।
आईपीसी धारा 306- आत्महत्या का दुष्प्रेरण, आईपीसी धारा 307- हत्या करने का प्रयत्न, आईपीसी धारा 308- गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास, आईपीसी धारा 309- आत्महत्या करने का प्रयत्न, आईपीसी धारा 310- ठगी, आईपीसी धारा 320- घोर आघात जैसी अहम धाराएं शामिल हैं।
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