इसलिए Trend हो रहा यूपी पुलिस में 'अग्निवीर' योजना, Letter के Viral होते ही सामने आई DGP की सफाई

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Lucknow: क्या सेना में 'अग्निवीर' योजना लागू होने के बाद अब बारी यूपी पुलिस की है? असल में ये सवाल इस वक्त सोशल मीडिया (Social Media) पर जबरदस्त तरीके से वायरल (Viral) हो रहा है और इस सवाल के वायरल होने की एक बड़ी वजह भी है। दरअसल यूपी पुलिस का एक आधिकारिक लेटर (Official Letter) सोशल मीडिया पर सामने आया और तभी से 'यूपी पुलिस में अग्निवीर' ट्रेंड करने लगा। 

Outsourcing से बहाली

असल में उत्तर प्रदेश पुलिस में बहाली को लेकर सोशल मीडिया पर एक लेटर वायरल हो गया। वायरल लेटर में आउटसोर्सिंग (Outsourcing) के जरिए UP पुलिस में भर्तियां करने को लेकर राय मांगी गई है। खास बात ये है कि ये लेटर डीजीपी मुख्यालय की ओर से जारी किया गया है। इसमें साफ-साफ लिखा है कि पुलिस विभाग में कई पदों पर आउटसोर्सिंग के विकल्प पर विचार किया जा रहा है। बाहर आते ही इस लेटर ने यूपी में बवाल खड़ा कर दिया, जैसे ही चिट्ठी सामने आई तो सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठाने लगे। और तो समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने भी इस पर बढ़ चढ़ कर बयान देने शुरु कर दिये। 

UP Police की सफाई

हालांकि सोशल मीडिया पर बढ़े इस विवाद के बाद युपी पुलिस की तरफ से सफाई दी गई है। इसमें कहा गया है कि ये लेटर किसी स्टाफ की गलती से जारी हो गया, जबकि यूपी पुलिस ऐसी किसी भर्ती की योजना नहीं बना रही है। मगर अब इस सफाई को तवज्जो न देकर लोग पुलिस में अग्निवीर योजना के जरिये भर्ती को लेकर अपनी राय दे रहे हैं। ज्यादातर लोग इस तरह की भर्ती के सख्त खिलाफ दिखे। 

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Police Headquarter की चिट्ठी वायरल

आउटसोर्सिंग (Outsourcing) के जरिये यूपी पुलिस में भर्ती के आधिकारिक पत्र में डीजीपी मुख्यालय (DGP Headquarter) की ओर से सूबे के सभी पुलिस कमिश्नर और एडीजी जोन से कहा गया है कि पुलिस विभाग में आउटसोर्सिंग के जरिये तमाम खाली पद भरे जाने हैं। बवाल बढ़ता देख यूपी पुलिस की ओर से देर रात सफाई जारी की गई। सफाई में कहा गया है कि ये चिट्ठी गलती से जारी हो गई थी जिसे अब निरस्त कर दिया गया है।  

Tweet के जरिए दिया स्पष्टीकरण

यूपी पुलिस की ओर से जारी स्पष्टीकरण में कहा गया है कि इस प्रकार का कोई भी प्रकरण पुलिस विभाग एवं शासन स्तर पर विचाराधीन नहीं है। यूपी पुलिस ने ट्वीट कर बताया-

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सोशल मीडिया में पुलिस विभाग में 'आउटसोर्सिंग' के संबंध में एक लेटर प्रसारित हो रहा है, जिसके संबंध में अवगत कराना है कि यह पत्र त्रुटिवश जारी हुआ। पुलिस विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की 'आउटसोर्सिंग' की व्यवस्था पहले से ही चल रही है। इसी सिलसिले में पत्र जारी किया जाना था जो कि त्रुटिवश मिनिस्टीरियल स्टाफ के लिए जारी हो गया। ऐसा कोई प्रस्ताव पुलिस विभाग और शासन स्तर पर विचाराधीन नहीं है। यह पत्र गलत जारी हो गया है, जिसे निरस्त कर दिया गया है।

लेकिन सोशल मीडिया पर जो लेटर वायरल हुआ है उसकी इबारत कुछ और ही कह रही है। पत्र में लिखा है-
 

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अवगत कराना है कि पुलिस विभाग के कार्यों में हो रही उत्तरोत्तर वृद्धि को देखते हुए लिपिकीय संवर्ग में स्वीकृत पदों के अतिरिक्त वर्तमान में विभाग की तात्कालिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सहायक उप निरीक्षक (लिपिक), सहायक उप निरीक्षक (लेखा) और उप निरीक्षक (गोपनीय) के पदों पर आउटसोर्सिंग के माध्यम से सेवाएं लिए जाने पर विचार करना प्रस्तावित है।

Action में पुलिस महकमा

इसी लेटर में आगे कहा गया है कि आउटसोर्सिंग के माध्यम से सेवाएं लिए जाने के संबंध में अपने विचार इस मुख्यालय को एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराने की कृपा करें, जिससे यूपी शासन को अवगत कराया जा सके। जैसे ही इस अग्निवीर जैसी योजना का लेटर सोशल मीडिया के जरिए सामने आया, यूपी पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। लिहाजा पुलिस के आला अफसर फौरन एक्शन में आ गए।

अखिलेश ने लपका मुद्दा

लोकसभा के चुनाव तो खत्म हो गए लेकिन अब इस अग्निवीर जैसी योजना को लेकर फिर यूपी की सियासत के गर्माने का अंदेशा है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस मुद्दे को अपनी चुनावी सभाओं में उठाया था। अखिलेश अक्सर अपनी सभाओं में कहते दिखे कि मुझे पुलिस के अंदरूनी सूत्रों से पता चला है कि भारतीय सेना की तरह यूपी पुलिस की भर्ती भी अब तीन साल के लिए होगी। यानी पुलिस में भी अब अग्निवीर जैसी ही योजना आने वाली है।

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