खुल गया रेप की रात का सच, CBI की स्टेटस रिपोर्ट में Kolkata Rape Case को लेकर चौंकाने वाले खुलासे
सूत्रों के मुताबिक सीबीआई को मिली फॉरेंसिक रिपोर्ट में जूनियर डॉक्टर और आरोपी यानी संजय रॉय के डीएनए प्रोफाइल मैच कर गए। इतना ही नहीं फॉरेंसिक जांच में पीड़ित के प्राइवेट अंगों से संजय रॉय के अलावा किसी और का डीएनए प्रोफाइल नहीं मिला। इसका मतलब ये हुआ कि पीड़िता के साथ गैंगरेप नहीं हुआ था।
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न्यूज़ हाइलाइट्स
जज बोले- 30 साल में ऐसा मामला नहीं देखा
CBI बोली क्राइम सीन पर सबूत मिटाए गए
CBI रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले ख़ुलासे
Kolkata Rape Murder Case: सुबह का वक्त। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र इस वक़्त कोलकाता जूनियर डॉक्टर केस की वो स्टेटस रिपोर्ट पढ़ रहे हैं, जो सीलबंद लिफाफे में सीबीआई ने उन्हें कुछ देर पहले ही सौंपी थी। कई पन्नों की ये स्टेटस रिपोर्ट तीनों जस्टिस काफी देर तक पढते रहे। चूंकि ये स्टेटस रिपोर्ट फिलहाल गोपनीय है, इसलिए इसे तीनों ने खामोशी से पढ़ा। यही वो रिपोर्ट थी, जिसमें कोलकाता की जूनियर डॉक्टर के क़त्ल और रेप या गैंगरेप का शुरुआती सच लिखा था। इस रिपोर्ट में सीबीआई ने अब तक अपनी जांच की पूरी रिपोर्ट लिखी थी। कोर्ट की कार्रवाई खत्म होने से पहले सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बाकायदा कोर्ट से अपील की कि इस स्टेटस रिपोर्ट को वापस लिफाफे में सील कर कोर्ट अपनी कस्टडी में रख ले।
कोलकाता रेप-मर्डर केस
कोर्ट के अंदर दोनों तरफ से दर्जनों वकील मौजूद थे। लेकिन उन तक को सीबीआई की इस स्टेटस रिपोर्ट को देखने-पढ़ने का मौका नहीं मिला। वजह ये थी कि जांच अभी जारी है और इस स्टेटस रिपोर्ट के खुलासे से शायद जांच पर असर पड़ सकता है। लेकिन जाहिर है सुप्रीम कोर्ट की इस पूरी कार्यवाही की लाइव स्ट्रिमिंग को सोशल मीडिया और मीडिया के जरिए पूरा देश देख रहा था। इस उम्मीद से कि पिछले दस दिनों में सीबीआई ने इस केस में क्या जांच की, इस केस की सच्चाई क्या है और कोलकाता पुलिस की जांच सीबीआई की जांच से कितनी मिलती जुलती या हट कर है? लेकिन चूंकि स्टेटस रिपोर्ट बेहद गोपनीय थी, इसलिए इन सवालों के जवाब सामने नहीं आ पाए।
CBI बोली क्राइम सीन बदला गया
सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई सीबीआई की इस स्टेटस रिपोर्ट के अंदर क्या-क्या है, ये तो पता नहीं.. लेकिन क्राइम तक को सीबीआई के सूत्रों से जो जानकारी हाथ लगी है, वो बेहद चौंकाने वाली है। तो स्टेटस रिपोर्ट से हट कर आईए आपको बताते हैं कि आखिर पिछले 10 दिनों की जांच के बाद सीबीआई इस केस को लेकर किस नतीजे पर पहुंची है। तो सीबीआई सूत्रों से क्राइम तक को मिली जानकारी के मुताबिक आरजे कर अस्पताल की जूनियर डॉक्टर के साथ गैंगरेप नहीं हुआ था। बल्कि ये मामला रेप का ही है। और ये रेप और रेप के बाद जूनियर डॉक्टर का क़त्ल करने वाला एक अकेला संजय रॉय ही था। वही संजय रॉय जिसे 9 अगस्त को ही कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। और वही संजय रॉय जो फिलहाल सीबीआई की कस्टडी में है।
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30 सालों में ऐसा मामला नहीं देखा
सूत्रों के मुताबिक पहले कोलकाता पुलिस और फिर सीबीआई दोनों की लाईन ऑफ इनवेस्टिगेशन मौका ए वारदात यानी उस सेमिनार हॉल को लेकर एक ही जैसी थी। दरअसल सेमिनार हॉल की तरफ जाने वाले सीसीटीवी फुटेज में सिर्फ एक ही संदिग्ध नजर आया था। और वो संजय रॉय ही था। इसके अलावा रात तीन से लेकर सुबह साढ़े पांच बजे तक सेमिनार हॉल की तरफ जाता कोई संदिग्ध मिला ही नहीं। जो कुछ लोग कैमरे में वहां से गुजरते दिखाई भी दिए, उनमें से ज्यादतर लोग तीन से पांच मिनट में अपने-अपने वार्ड या अपने-अपने काम में जुटे नजर आए। जिसका सबूत उन-उन जगहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे ने दिया। यानी एक अकेला संजय रॉय था, जो 40 मिनट से ज्यादा सेमिनार हॉल में रहा। सेमिनार हॉल से बरामद ब्लूटूथ नेकबैंड और उसका कनेक्शन संजय रॉय के मोबाइल से होना भी इस केस में एक अहम सबूत बना।
पुलिस की भूमिका पर भी संदेह
सूत्रों के मुताबिक संजय रॉय ने 9 अगस्त को ही कोलकाता पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया था। इसके बाद 14 अगस्त को जब वो सीबीआई हिरासत में गया, तब भी उसने ना सिर्फ अपना जुर्म कबूला, बल्कि घटना वाली रात और सुबह की पूरी कहानी बयान कर दी थी। लेकिन आरोपी के इकबालिया बयान के बावजूद पहले कोलकाता पुलिस और फिर सीबीआई ठोस सबूतों की तलाश में थी। और ये तलाश खत्म हुई फॉरेंसिक रिपोर्ट पर। सूत्रों के मुताबिक सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब कोलकाता ने सीबीआई को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट का इसलिए इंतजार था, क्योंकि इससे ये पता चलना था कि केस रेप का है या गैंगरेप का। और फॉरेंसिक रिपोर्ट ने इसका जवाब दे दिया।
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संजय रॉय के डीएनए प्रोफाइल मैच कर गए
सीबीआई को मिली फॉरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक पीड़ित और आरोपी यानी संजय रॉय के डीएनए प्रोफाइल मैच कर गए। इतना ही नहीं फॉरेंसिक जांच में पीड़ित के प्राइवेट अंगों से संजय रॉय के अलावा किसी और का डीएनए प्रोफाइल नहीं मिला। इसका मतलब ये हुआ कि पीड़िता के साथ रेप हुआ था। गैंगरेप नहीं। यानी रेप के मामले में कम से कम अकेला संजय रॉय ही शामिल था। और इसी रेप के दौरान संजय रॉय ने ही जूनियर डॉक्टर का क़त्ल किया। यानी सीबीआई की रिपोर्ट हु ब हू वही है, जो कोलकाता पुलिस की शुरुआती चार दिनों की तफ्तीश में सामने आई थी। अब सवाल ये है कि सीबीआई ने अब तक की अपनी इस जांच का खुलासा क्यों नहीं किया?
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तो सूत्रों के मुताबिक इस केस में कई ऐसे पहलू अब भी बाकी हैं, जिनकी जांच जारी है। दरअसल सीबीआई ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वारदात के बाद मौका ए वारदात से क्या सबूतों को मिटाने की कोशिश की गई थी। क्या जानबूझ कर एफआईआर देरी से दर्ज की गई? क्या केस को रफा दफा करने के लिए प्रिंसिपल ने कोई साज़िश रची? और क्या ये सब खुद की और अस्पताल की साख बचाने के लिए किया गया? यही वजह है कि पिछले पांच दिनों से सीबीआई लगातार आरजी कर अस्पताल के प्रिंसिपल संदीप घोष से पूछताछ कर रही है। वारदात के बाद की तमाम लापरवाहियों की कड़ियों को जोड़ने के लिए ये पूछताछ हो रही है। और सीबीआई सूत्रों की मानें तो अगर ये सबूत मिल गए कि 9 अगस्त की सुबह से लेकर रात तक अस्पताल परिसर के अंदर सबूतों के छेड़छाड़ की गई है, तो फिर इसी इल्जाम में प्रिंसिपल घोष को सीबीआई गिरफ्तार भी कर सकती है।
कितने आरोपियों ने दिया अपराध को अंजाम
वारदात वाले दिन यानी 9 अगस्त को अस्पताल प्रशासन की तरफ से हुई देरी और लापरवाही को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी आज तमाम सवाल उठाए थे। कोर्ट बार-बार ये पूछ रहा था कि घटना वाले दिन कब डीडी एंट्री हुई, कब केस डायरी दर्ज हुई, कब एफआईआर लिखी गई, पोस्टमार्टम कितने बजे हुआ, लाश घर वालों को कब सौंपी गई, अंतिम संस्कार कब हुआ, पंचनामा कितने बजे किया गया। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा डीडी एंट्री सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर दर्ज की गई, जबकि एफआईआर रात साढ़े ग्यारह बजे लिखी गई। ये बात परेशान करने वाली है। इसके साथ ही जस्टिस पारदीवाला ने पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि जब आप बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए लेकर गए, तो ये मामला अननैचुरल डेथ का था या नहीं?? अगर ये अननैचुरल डेथ नहीं थी, तो फिर पोस्टमार्टम की क्या ज़रूरत थी? उन्होंने कहा कि आप ये बताइए कि एफआईआर से पहले आपने पुलिस की डायरी में ये कब मेंशन किया कि ये अननैचुरल डेथ थी?
जानें कौन-कौन हैं शामिल
जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि अननैचुरल डेथ रात साढ़े ग्यारह बजे और एफआईआर रात 11 बज कर 45 मिनट पर दर्ज की गई, क्या ये तथ्य सही है? इस पर पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि पोस्टमार्टम शाम 6 से 7 बजे के बीच हुआ और अननैचुरल डेथ दोपहर 1 बज कर 45 मिनट पर दर्ज की गई। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम दोनों रिपोर्टों को कैसे मिला सकते हैं? अननैचुरल डेथ के रजिस्ट्रेशन से पहले पोस्टमार्टम होता है, ये आश्चर्यजनक है। पश्चिम बंगाल सरकार और खास कर पुलिस के रवैये से कोर्ट बेहद नाराज़ नजर आया। चीफ जस्टिस ने कहा-- आप अपने दस्तावेज में देखें पुलिस डायरी में एंट्री सुबह 5 बज कर 20 मिनट की है। अस्पताल से पुलिस को सुबह 10 बज कर 10 मिनट पर सूचना दी गई कि एक महिला अर्द्धनग्न हालत में पड़ी हुई है। मेडिकल बोर्ड ने राय दी कि उसके साथ रेप हुआ और पुलिस की जीडी एंट्री ये पता चलता है कि मौका ए वारदात की घेरेबंदी पोस्टमार्टम के बाद की गई।
कोर्ट ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है?
जस्टिस पारदीवाला ने तो गुस्से में कहा कि इस केस में राज्य सरकार ने जिस तरह से काम किया, वैसा उन्होंने अपने 30 साल के करियर में कभी नहीं देखा। उन्होंने अस्पताल की असिस्टेंट सुपरिंटेडेंट की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि उनका आचरण संदिग्ध है। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि वो एक महिला हैं। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को कोलकाता पुलिस और सीबीआई दोनों की ओर से केस की टाइमलाइन सौंपी गई.. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि दोनों की टाइम लाइन में सिक्वेंस की टाइमिंग अलग-अलग है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है? आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष को अब पॉलिग्राफ टेस्ट का सामना करना होगा। इसके साथ ही वारदात का शिकार बनी ट्रेनी डॉक्टर को आखिरी बार जिंदा देखने वाले यानी उसके साथ डिनर करने वाले उसके चार डॉक्टर दोस्तों से भी पॉलिग्राफ टेस्ट के ज़रिए सीबीआई सवाल पूछेगी।
पॉलिग्राफ टेस्ट के ज़रिए सीबीआई सवाल पूछेगी
गुरुवार को इन पांचों के पॉलिग्राफ टेस्ट के लिए सीबीआई ने कोलकाता के सियादह कोर्ट में अर्जी दी थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। सीबीआई की शुरुआती छानबीन में ये तो साफ हो गया कि 8 और 9 अगस्त की दरम्यानी रात को आरजी कर अस्पताल की ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर में सिर्फ एक ही शख्स शामिल था। संजय रॉय। लेकिन क्या इस वारदात के सामने आने के बाद आरजी कर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष ने जानबूझ कर मामले को रफा दफा करने की कोशिश की? क्या जानबूझ कर ही उन्होंने सीन ऑफ क्राइम को खराब करवा दिया? और क्या उन्होंने ही इस मामले में ढिलाई बरतने के लिए पुलिस पर दबाव बनाया था? अगर हां, तो क्यों? कुछ ऐसे ही सवालों की तह तक जाने के लिए सीबीआई आज डॉक्टर संदीप घोष को लेकर कोलकाता के सियालहद कोर्ट में पहुंची, जहां उनके पॉलिग्राफ टेस्ट की अर्जी दी गई। जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।
पॉलिग्राफ टेस्ट की अर्जी दी गई
सीबीआई इस सिलसिले में पहले ही डॉक्टर संदीप घोष के अलावा चारों डॉक्टरों से पूछताछ कर चुकी है। लेकिन इस पूछताछ में कुछ ऐसे विरोधाभास सामने आए हैं, जिसके बाद सीबीआई को लगता है कि शायद इस केस से जुड़े लोग सारी बातें खुल कर बताने से गुरेज कर रहे हैं। यही वजह है कि सीबीआई पॉलीग्राफ टेस्ट के जरिए उनके सीने में दफ्न राज उगलवाना चाहती है। डॉ. संदीप घोष गुरुवार को भी सीबीआई के सवालों का सामना करने के लिए कोलकाता के सीजीओ कांप्लेक्स में हाजिर हुए। ये उनसे पूछताछ का लगातार सातवां दिन है। इससे पहले बुधवार को सीबीआई ने डॉ. घोष की गाड़ी की तलाशी ली और उसकी जांच की। उनके ड्राइवर से भी पूछताछ की गई।
संजय रॉय को बचाने के लिए ये सारा ड्रामा रचा?
डॉ. घोष स्वास्थ्य मंत्रालय की एक गाड़ी यूज़ करते हैं। सीबीआई ये देखने समझने की कोशिश कर रही है कि कहीं सबूत मिटाने के सिलसिले में डॉ. घोष ने अपनी गाड़ी का कोई बेजा इस्तेमाल तो नहीं किया। कोई सामान लाने-जाने या छुपाने में उसकी कोई भूमिका तो नहीं थी। सीबीआई इस मामले के इकलौते गिरफ्तार आरोपी संजय रॉय के पॉलीग्राफ टेस्ट की पहले ही इजाजत ले चुकी है। यानी जल्द ही सीबीआई संजय रॉय का भी पॉलीग्राफ टेस्ट करा सकती है। ज़ाहिर है, इस मामले में कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ छुपाने की कोशिश जरूर हो रही है, तभी सीबीआई इस तकनीक का सहारा ले रही है। असल में जिस तरह क़त्ल के बाद सबूत मिटाने की कोशिश हुई, उसे देखते हुए ये शक होने लगा कि शायद मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. घोष ने संजय रॉय को बचाने के लिए ये सारा ड्रामा रचा। यानी अब सीबीआई रॉय और घोष का कनेक्शन जानने की कोशिश कर रही है।
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