कोलकाता कांड में सीबीआई को मिले अहम सबूत - सुप्रीम कोर्ट, पीड़िता की तस्वीर और वीडियो का AI के जरिए उपयोग किया जा रहा है!

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कोलकाता कांड में सीबीआई को मिले अहम सबूत - सुप्रीम कोर्ट, पीड़िता की तस्वीर और वीडियो का AI के जरिए उपयोग किया जा रहा है!
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Kolkata Case Updates: कोलकाता कांड की पीड़िता के परिवार ने आरोप लगाया है कि पीड़िता के वीडियो को सोशल मीडिया पर AI का उपयोग करके अपलोड किया जा रहा है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त दिशा-निर्देश जारी किए। कोर्ट ने विकिपीडिया सहित सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पीड़िता की तस्वीरों और वीडियो के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने आईटी मंत्रालय को इसके लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया है। इस दौरान कोर्ट ने कहा - हमने CBI की रिपोर्ट देखी है। जांच में कुछ अहम सुराग मिले हैं।

कोर्ट ने कहा- हमने रिपोर्ट देखी, जांच में कुछ अहम सुराग सीबीआई को मिले 

सॉलिसिटर जनरल ने आश्वासन दिया कि ऐसे सभी पोस्ट, तस्वीरों और वीडियो को हटाने के लिए सोशल मीडिया पर निगरानी रखने के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। उन्होंने 17 सितंबर को कहा था कि वो इस मामले में सीबीआई की स्टेट्स रिपोर्ट में दिए गए निष्कर्षों से परेशान हैं, लेकिन विवरण बताने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा- हमने रिपोर्ट देखी, जांच में कुछ अहम सुराग सीबीआई को मिले हैं।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ''सीबीआई ने 30 सितंबर को चौथी स्टेट्स रिपोर्ट पेश की। इसमें जांच में उठाए गए कदमों और सुरागों का ब्यौरा दिया गया है। सीबीआई रेप-मर्डर केस के साथ वित्तीय अनियमितताओं की जांच भी कर रही है।''

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अभी तक क्या-क्या हुआ केस में?

कोलकाता रेप-मर्डर केस और वित्तीय अनियमितताओं की जांच सीबीआई कर रही है। सीबीआई ने रेप-मर्डर केस में संजय राय, जब कि इस केस में लापरवाही बरतने के आरोप में पूर्व प्रिसिंपल संदीप घोष , अभिजीत मंडल समेत कई लोगों को अरेस्ट किया है। 

सीबीआई का कहना था कि संदीप घोष ने किन्हीं वजहों से गलत जानकारियां दी और जानबूझकर कर जांच को गुमराह किया। CBI की जांच में ये बात सामने आई थी कि आरोपी संदीप घोष इस मामले में FIR दर्ज नहीं करवाना चाहते थे। ये भी पता चला था कि सुबह 9.58 बजे सूचना मिलने के बाद भी वह कॉलेज नहीं पहुंचे थे। कॉलेज के वाइस प्रिसिंपल ने पुलिस के सामने खुदकुशी की बात कही थी। अब सवाल ये उठता है कि जब वो इस केस में शामिल नहीं थे तो वो क्यों पुलिस को गलत जानकारियां मुहैया करा रहे थे? क्या ऐसा इसलिए ताकि कॉलेज की बदनामी न हो और उसकी वित्तीय गड़बड़ियों का पता न चले? 

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इस मामले से संबंधित कुछ अहम मुद्दों पर संदीप घोष का बयान भ्रामक था। पॉलीग्राफ टेस्ट की CFSL रिपोर्ट में कहा गया है कि संदीप घोष ने जानबूझकर जांच करने वाले लोगों को कुछ अहम मुद्दों पर गुमराह करने की कोशिश की। 

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डॉक्टर संदीप घोष को इस मामले की जानकारी सुबह करीब 10 बजे मिलने के बाद भी वह कॉलेज नहीं पहुंचे। संदीप घोष ने हत्या की शिकायत नहीं की।आखिरकार वाइस प्रिंसिपल ने शिकायत की और वह भी आत्महत्या की बात पुलिस को बताई, जब कि मौका ए वारदात पर बिखरे सबूत कुछ और ही गवाही दे रहे थे।

सीबीआई का कहना था कि आरोपी ने जानबूझ कर अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया और जानबूझकर गलत तथ्य दर्ज किए। क्या संदीप घोष और अभिजीत मंडल की मंशा संजय रॉय को बचाने की थी? ये भी सवाल बना हुआ है।

सीबीआई का दावा था कि आरोपी ने जानबूझकर FIR दर्ज करने में देरी की। उसे घटना की जानकारी सुबह 10 बज कर 3 मिनट पर मिल गई थी। मृतका के परिवार से शाम 7:30 बजे हरी झंडी मिलने के बाद भी FIR 11:30 बजे दर्ज की गई, जिससे करीब 14 घंटे की देरी हुई। 

अभिजीत मंडल ने साक्ष्यों और सैंपल्स को सील करने की प्रक्रिया का वीडियोग्राफी नहीं किया। उन्होंने जल्दबाजी में दाह संस्कार की अनुमति दे दी, जबकि परिवार ने दूसरे पोस्टमार्टम की मांग की थी। आरोपी अभिजी मंडल ने अपराध के दिन पहने गए आरोपी के कपड़ों को बचाकर रखने में 2 दिन की देरी की। 

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