Gandhi Assassination: शाम 5.10 बजे गोडसे ने की थी हत्या और 5.45 बजे लिखी गई थी पहली FIR, टेलिफोन भी नहीं था तुगलक रोड थाने में

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Gandhi Assassination: शाम 5.10 बजे गोडसे ने की थी हत्या और 5.45 बजे लिखी गई थी पहली FIR, टेलिफोन भी...
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Nathuram Godse Murder Gandhiji: मोहनदास करमचंद गांधी ...यानी बापू यानी फॉदर ऑफ द नेशन यानी महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की हत्या (Assassination) 30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिड़ला हाउस में हुई थी। ये वारदात शाम 5 बजकर 10 मिनट पर अंजाम दी गई थी। और इसकी सबसे पहली FIR शाम को 5.45 मिनट पर दिल्ली के तुगलक रोड थाने में दर्ज करवाई गई थी।

रिपोर्ट लिखवाने वाले का नाम नंदलाल मेहता था जो गांधी जी के सहयोगी हुआ करते थे। तुगलक रोड थाने में दर्ज वो एफआईआर उर्दू में लिखी गई थी। जो आज भी बड़े ही संभालकर रखी गई है।

महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने की थी। गोडने ने बिड़ला भवन में शाम के वक़्त प्रार्थना सभा में जाते समय महात्मा गांधी के सीने में एक के बाद एक तीन गोलियां चलाईं, जिससे गांधी की मौके पर ही मौत हो गई।

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गांधी जी की हत्या के बाद बिड़ला हाउस से एक शख्स साइकिल पर सवार हो कर तुगलक रोड थाने पहुँचा था। उसका नाम नंदलाल मेहता बताया जाता है। हत्या की वारदात के वक्त वो वहीं गांधी जी के साथ ही था।

Father of the nation Story: उस दौर में हिन्दुस्तान के थानों में ज़्यादातर एफआईआर उर्दू में ही लिखाई जाती थी। लिहाजा वो एफआईआर भी उर्दू में ही लिखी गई है। एफआईआर लिखे जाने के बाद पुलिस ने तुरत कार्रवाई करते हुए नाथू राम गोडसे को बिड़ला भवन में जाकर गिरफ्तार कर लिया था।

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थाने में लिखी एफआईआर के मुताबिक शाम को 5.20 बजे जिस वक्त गांधी जी प्रार्थना सभा के लिए जा रहे थे ऐन उसी वक़्त उनके सामने नाथू राम गोडसे आया...उसने पहले झुककर प्रणाम किया  और फिर जेब से पिस्तौल निकालकर गांधी जी के सीने में एक के बाद एक तीन गोलियां मार दी।

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ये वो दौर था जब हिन्दुस्तान में थानों में भी टेलिफोन की सुविधा नहीं थी। इसीलिए नंदलाल मेहता को साइकिल से जाकर थाने में सूचना देने की नौबत आई थी। असल में नाथूराम गोडसे ने जैसे ही गांधी जी को गोली मारी तो वहां बिड़ला हाउस में मौजूद गांधी जी के तमाम सहयोगियों ने उसे पकड़ लिया था और बाद में थाने की पुलिस के पहुँचने के बाद उसे उनके हवाले कर दिया।

First FIR Of Gandhi Assassination तुगलक रोड थाने के इंस्पेक्टर दसौंधा सिंह और संसद मार्ग के थाने के डीएसपी जसवंत सिंह तुगलक रोड थाने लेकर नाथूराम को पहुँचे थे। और गोडसे को वहीं तुगलक रोड थाने की हवालात में ही रखा गया था। और उसी हवालात में नाथूराम गोडसे पुलिस ने पूछताछ की थी।

मामला कितना गंभीर था इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इस वारदात का मुकदमा लाल किले में विशेष अदालत बनाकर चलाया गया था। इस मुकदमें की सुनवाई जस्टिस आत्मचरण ने की थी।

न्यायाधीश आत्मचरण की अदालत में नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे सहित पांच और लोगों पर हत्या का मुकदमा चला। जिसमें नाथू राम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी की सज़ा सुनाई गई थी। जबकि विष्णु करकरे, मदनलाल पाहवा, शंकर किस्तैया, गोपाल गोडसे और दत्तात्रेय परचुरे को आजीवन कारावास की सज़ा दी गई थी। हालांकि बाद में हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद दो लोगों किस्तैया और परचुरे को बरी कर दिया गया था।

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