भिखारी को कार में बिठा जिंदा जला दिया, लाश को अपना बता 60 लाख बीमा लिया; 18 साल बाद कातिल तक कैसे पहुंची पुलिस?

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Agra News: उत्तर प्रदेश के आगरा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति ने बीमा के पैसे हासिल करने के लिए एक भिखारी को जिंदा जला दिया. इस घटना का खुलासा 18 साल बाद हुआ है. आरोपी को बीमा की रकम पाने के लिए खुद को मृत घोषित करना था, इसी लालच में उसने यह घिनौना काम किया. उसने भिखारी की हत्या कर दी और बीमा पॉलिसी से 60 लाख रुपये भी प्राप्त कर लिए.

भिखारी को कार में बिठा जिंदा जला दिया

यह घटना 30 जुलाई 2006 को घटी थी. साजिश के तहत अनिल सिंह ने अपनी कार आगरा किला के सामने वाले रोड पर एक खंभे से टकरा दी, जिससे कार में आग लग गई और उसमें बैठे व्यक्ति की मौत हो गई. घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और कार के नंबर के आधार पर उसके मालिक से संपर्क किया. कार के मालिक अनिल सिंह के पिता थे, लेकिन घटना के समय कार चला रहे व्यक्ति अनिल थे. लेकिन सच्चाई यह थी कि कार में अनिल नहीं, बल्कि एक भिखारी था, जो जलकर मर गया.

60 लाख के लिए रची नकली मौत की साजिश

अनिल सिंह ने अपनी साजिश को पूरा किया और बीमा के 60 लाख रुपये लेकर अहमदाबाद चला गया. पकड़े जाने के डर से उसने अपना नाम बदलकर राजकुमार चौधरी रख लिया और एक फर्जी आधार कार्ड भी बनवा लिया. कुछ समय बाद पुलिस को उनके सूत्रों से अनिल के जिंदा होने की सूचना मिली. जब पुलिस ने मामले की जांच की तो सच्चाई सामने आई कि जिस व्यक्ति को मृत घोषित किया गया था, वह अहमदाबाद में अच्छा जीवन जी रहा था.

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18 साल बाद गिरफ्तार

पुलिस की पूछताछ और जांच में सामने आया कि कार में मिला शव अनिल का नहीं बल्कि एक भिखारी का था. डीजीपी सूरज कुमार के मुताबिक, अनिल के खिलाफ हत्या और धोखाधड़ी के तहत केस दर्ज किया गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है. अनिल ने और उसके साथियों ने फुटपाथ पर बैठे एक भिखारी को खाना खिलाने के बहाने अपने पास बुलाया. उसे अपने कपड़े पहनाए और खुद भिखारी के कपड़े पहन लिए. अनिल और उसके साथियों ने भिखारी के खाने में नशीली दवा मिला दी, जिससे वह बेहोश हो गया. बेहोश होते ही उसे कार की ड्राइविंग सीट पर बैठा दिया और कार में आग लगा दी। लेकिन झूठ ज्यादा दिन तक नहीं टिकता और आखिरकार इस मामले का खुलासा हो गया.

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