क्या है भारतीय दंड संहिता ? What is Indian Penal Code ? जानिए IPC की धारा 1 से 4 के बारे में
INDIA PENAL CODE : भारतीय दण्ड संहिता भारत के अन्दर भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा बताती है। साथ साथ अपराध करने पर क्या दंड मिलेगा, ये भी बताती है।
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What is India Penal Code ? भारतीय दण्ड संहिता भारत के अन्दर भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा बताती है। साथ साथ अपराध करने पर क्या दंड मिलेगा, ये भी बताती है। यह संहिता भारत की सेना पर लागू नहीं होती। भारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् 1860 में लागू हुई थी।
अब आपको बताते है कि भारतीय दंड संहिता की तमाम धाराओं के बारे में। शुरुआत करते है, IPC की धारा 1 से।
क्या है IPC की धारा 1 ?
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भारतीय दंड संहिता की धारा 1 आईपीसी (IPC Section 1 in Hindi) - भारतीय दंड संहिता की धारा 1 के अनुसार, यह अधिनियम भारतीय दण्ड संहिता कहलाएगा और इसका विस्तार भारत के 28 राज्यों और 8 केद्र शासित प्रदेशों तक रहेगा। यानी संपूर्ण भारत कश्मीर से कन्याकुमारी तक यही कानून लागू होगा।
क्या है IPC की धारा 2 ?
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आईपीसी (IPC Section 2 in Hindi) की धारा 2 का मतलब है कि भारत की परिधि के अंदर किए गए अपराधों का दण्ड।
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भारतीय दंड संहिता की धारा 2 के अनुसार, अगर किसी भारतीय ने भारत के किसी भी हिस्से में अपराध किया तो उस पर आईपीसी की धारा लगेगी और उसे यही उसका ट्रायल झेलना होगा। ये कोर्ट पर निर्भर करेगा कि वो आरोपी को दोषी मानती है या नहीं। यानी कोई शख्स दंड संहिता में दिए गए कानूनों का उल्लंघन करता है तो वो इसी संहिता के हिसाब से सजा भुगतेगा।
क्या है आईपीसी की धारा 3 ?
भारत के बाहर हुए जुर्म और उसका संबंध भारत से होने पर, ऐसे मामलों में आईपीसी की धारा 3 के तहत कार्रवाई होती है। धारा 3 उन आपराधिक मामलों से जुड़ी है, जो भारत से बाहर किए गए हों, लेकिन भारत में कानून के अनुसार विचारणीय हो और उसमें सजा पर फैसला होना हो।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की परिभाषा के मुताबिक जिस शख्स ने भारत से बाहर अपराध किया हो और वह किसी भारतीय कानून के अनुसार विचारण का पात्र हो, तो ऐसे मामले का निपटारा आईपीसी की धारा 3 के उपबन्धों के अनुसार बिल्कुल इस तरह से किया जाएगा, मानो वह अपराध भारत के भीतर किया गया था।
क्या है आईपीसी की धारा 4 ?
आईपीसी की धारा 4 के तहत भारतीय एजेंसियों और न्यायिक संस्थाओं को ऐसे लोगों पर मुकदमा चलाने और इनके अपराधों की जांच करने का अधिकार है। IPC की धारा 4 के मुताबिक भारत से बाहर किया गया ऐसा हर काम आता है, जो अगर भारत में किया जाता तो, इस धारा (Section) के अधीन दंडनीय होता।
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