Loudspeaker Rules: लाउडस्पीकर को लेकर क्या है नियम?, नियम तोड़ने पर है इतनी सजा?
Loudspeaker Rules: लाउडस्पीकर को लेकर क्या है नियम?, नियम तोड़ने पर है इतनी सजा?
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Loudspeaker Rules In India: देशभर की मस्जिदों में लाउडस्पीकर (Loudspeaker) को लेकर विवाद शुरू हो गया है. इस विवाद की शुरुआत महाराष्ट्र से हुई थी. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने धमकी दी कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए, नहीं तो मस्जिदों के बाहर जोर-जोर से हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा.
Loudspeaker Controversy: बात यहीं नहीं जाकर नहीं रुकी, अब राज ठाकरे ने सीधे धमकी दी है कि अगर 3 मई तक सभी मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटाए गए तो उनके कार्यकर्ता मस्जिदों के बाहर लाउडस्पीकर से हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे.
महाराष्ट्र से निकली यह आग धीरे-धीरे बाकी राज्यों में भी पहुंच गई.
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लेकिन सवाल ये है कि क्या मंदिर या मस्जिद में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जा सकता है?
इस पर कानून क्या कहता है?
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लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की मनाही नहीं है, लेकिन इसके इस्तेमाल को लेकर कुछ शर्तें भी हैं. लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर संविधान में नॉयज पॉल्यूशन (रेगुलेशन एंड कंट्रोल) रूल्स, 2000 में प्रावधान है.
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यदि सार्वजनिक स्थान पर लाउडस्पीकर या किसी उपकरण का प्रयोग किया जा रहा है तो पहले प्रशासन से लिखित में अनुमति लेना आवश्यक है.
- रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर या कोई वाद्य यंत्र (instrument) बजाने पर रोक है. हालांकि, इसे ऑडिटोरियम, कॉन्फ्रेंस हॉल, कम्युनिटी और बैंक्वेट हॉल जैसे बंद स्थानों पर इसे बजा सकते हैं.
-राज्य सरकार चाहे तो कुछ मौकों पर रियायतें दे सकती है. राज्य सरकार किसी भी संगठन या धार्मिक कार्यक्रम के लिए लाउडस्पीकर या अन्य स्पीकर बजाने की अनुमति रात 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक बढ़ा सकती है. हालांकि, ऐसी अनुमति साल में सिर्फ 15 दिन के लिए ही दी जा सकती है.
What are the rules regarding loudspeakers?
- लाउडस्पीकर या किसी वाद्य से कितनी आवाज बजेगी, यह भी इन नियमों में तय है. इन नियमों के अनुसार साइलेंस जोन के 100 मीटर के दायरे में लाउडस्पीकर या कोई भी शोर करने वाले उपकरण नहीं बजाए जा सकते.
(अस्पताल, कोर्ट और शिक्षण संस्थान साइलेंस जोन में आते हैं.)
इसके अलावा इंडस्ट्रियल इलाकों में ध्वनि का स्तर दिन में 75 डेसिबल और रात में 70 डेसिबल से अधिक नहीं होगा. कमर्शियल इलाकों में दिन में 65 डेसिबल और रात में 55 डेसिबल की सीमा होती है.
इसी तरह रिहायशी इलाकों में दिन में 55 डेसिबल और रात में 45 डेसीबल शोर का स्तर है. वहीं, साइलेंस जोन का स्तर दिन में 50 डेसिबल और रात में 40 डेसिबल रहेगा.
इन नियमों का उल्लंघन कारावास और जुर्माना दोनों से दंडनीय है. इसके लिए एन्वार्यमेंट (प्रोटेक्शन) एक्ट, 1986 (Environment (Protection) Act, 1986) में प्रावधान है. इसके तहत इन नियमों का उल्लंघन करने पर 5 साल की कैद और 1 लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है.
October 2005: 28 अक्टूबर 2005 को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश दिया. अदालत ने आदेश दिया कि राज्य सरकार साल में 15 दिनों के लिए धार्मिक या त्योहार के अवसरों पर दोपहर 12 बजे तक लाउडस्पीकर या साउंड इंस्ट्रुंनेट बजाने की अनुमति दे सकती है।
August 2016: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किसी का मौलिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला देकर कोई भी धर्म यह नहीं कह सकता कि लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करना मौलिक अधिकार है।
June 2018: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने लाउडस्पीकरों के लिए 5 डेसिबल की सीमा तय की। वहीं, पिन गिरने और सांस लेने वाले व्यक्ति की आवाज 10 डेसीबल होती है। हाईकोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति या संगठन बिना लिखित अनुमति के लाउडस्पीकर नहीं बजा सकता। हाईकोर्ट ने मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के लिए अनुमति लेना भी जरूरी कर दिया।
July 2019: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सार्वजनिक स्थानों पर लाउडस्पीकर या किसी भी ध्वनि उपकरण के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया। कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति या संगठन बिना अनुमति के लाउडस्पीकर नहीं बजा सकता, चाहे वह मंदिर हो, मस्जिद हो या गुरुद्वारा।
May 2020:15 मई 2020 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि मस्जिद में बिना लाउडस्पीकर के अजान की जा सकती है। हाईकोर्ट ने कहा कि अजान इस्लाम का हिस्सा है, लेकिन लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का हिस्सा नहीं है। कोर्ट ने कहा कि लाउडस्पीकर से अजान करना दूसरे लोगों के अधिकारों में दखल देना है।
July 2020: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जून 2018 में दिए अपने फैसले को 'गलती' माना। हाईकोर्ट ने धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर लगी रोक को भी हटा लिया।
January 2021: 11 जनवरी 2021 को कर्नाटक हाईकोर्ट ने अवैध रूप से लाउडस्पीकर का उपयोग करने वाले धार्मिक स्थलों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया।
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