Ghaziabad Crime: एक थप्पड़ और तेरह कत्ल की खौफनाक कहानी!
Ghaziabad Murder: क्राइम की यह कहानी दुनिया के सबसे खूनी थप्पड़ की है। क्या सिर्फ एक थप्पड तेरह लोगों की जान ले सकता है? आप शायद यकीन नहीं कर रहे होंगे। मगर यकीन मानिए ये सच है।
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Ghaziabad Crime: ये कहानी है गाजियाबाद के एक गांव की है। जहां के लोग आज भी उस मनहूस थप्पड़ को याद कर सिहर उठते हैं जो अब तक 13 लोगों को मौत के घाट उतार चुका है। दरअसल थप्पड़ की यह कहानी गाजियाबाद के बझैडा गांव की है। सचमुच सुनने में अजीब लगता है मगर ये सौ फीसदी सच है कि इस गांव में एक थप्पड का शिकार बन कर अब तक दर्जन भर लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
यह सिलसिला साल 2005 से शुरु होता है। उस वक्त पूरे उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों का माहौल गर्म था। गाजियाबाद के बझैडा गांव में भी चुनाव का रंग अपने पूरे शबाब पर था। और तभी वो दिन भी आया जिस दिन उम्मीदवारों के नसीब पर मोहर लगनी थी। गांव के रहने वाले इश्ते और इस्तकबाल के बीच कांटे का मुकाबला था।
इसी दौरान फर्जी मतदान करने आये एक आदमी को लेकर दो गुटों में भिडंत हो गई और हाथापाई के दौरान इश्ते ने इस्तकबाल को एक थप्पड़ जड दिया। होते होते बात शब्बीर ठेकेदार यानि इस्तकबाल के पिता तक भी पहुंची और शब्बीर ने अपने बेटे की बेइज्जती का बदला भी सरेआम इश्ते को थप्पड मार कर ले लिया।
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बहरहाल चुनावों के नतीजे आए और इश्ते चुनाव जीत गया। लेकिन थप्पड की टीस उस के दिल से गई नहीं थी। चुनाव जीतने के बाद इश्ते बेहद ताकतवर हो चुका था और उसने उन सब से बदला लेना शुरू कर दिया जो उसके खिलाफ थे और इस कडी में सबसे पहले कत्ल हुआ नाजिमा और उसके शौहर कय्यूम का। कत्लोगारत का जो सिलसिला इसके बाद शुरू हुआ उसने एक दर्जन से ज्यादा लोगों की जान ले ली।
धीरे धीरे वक्त बीतता गया। मगर इस गांव में थप्पड़ की गूंज कम नहीं हुई बल्कि हर लाश के साथ उसकी गूंज पहले से तेज होती गई। वो एक थप्पड़ अब तक एक दर्जन लोगों की जान ले चुका था। अब उसे अगले शिकार की तलाश थी और इस बार शिकार बना खुद वो शख्स जिसने इस कातिलाना थप्पड की शुरूआत की थी।
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शब्बीर ठेकेदार, इस इलाके का एक रसूखदार आदमी था। वही शख्स जिसने इश्ते को सरेआम थप्पड मारा था और उस थप्पड का बदला लेने की आग इश्ते के सीने में अब तक नहीं बुझी थी। अब तक उस एक थप्पड की वजह से बारह लोगों की जान जा चुकी थी और उसी का अगला शिकार बना शब्बीर ठेकेदार।
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सत्ताईस दिसंबर की रात जब शब्बीर घर की बैठक में कुछ लोगों के साथ बैठा था तब कुछ हथियार बंद हमलावरों ने आकर उसे गोलियों से छलनी कर दिया। वो उस पर तब तक गोलिया चलाते रहे जब तक उसने दम तोड नहीं दिया। जाहिर था चूंकि अब तक एक दर्जन कत्ल हो चुके थे लिहाजा वारदात के लिए एक बार फिर इश्ते का ही नाम लिया गया।
इधर इश्ते के घरवालों का कहना है कि इश्ते को बेवजह बदनाम किया जा रहा है ताकि हत्याओं के इस सिलसिले के शुरू होने के बाद पिछले छह महीनों से फरार इश्ते कभी गांव ना लौट सके। चुनाव गुजरे दो साल से ज्यादा बीत चुका था। लेकिन अब तक उसी एक थप्पड ने पूरे गांव में लोगों का जीना हराम कर रखा है। शब्बीर के कत्ल की रात से ही इलाके में पीएसी तैनात की गई।
इस थप्पड़ का सबसे पहला शिकार बनी नाजिमा और उसका शौहर कय्यूम। दरअसल नाजिमा और कय्यूम दोनो शब्बीर के कट्टर समर्थक थे। और शायद शब्बीर से यही रिश्ता उनकी जान का दुश्मन बन गया। दोनों शाम के वक्त अपने घर में आराम से बैठे थे कि तभी हथियारबंद लोगों ने घर में दाखिल होकर ताबडतोड फायरिंग शुरू कर दी इसके बाद दोनो ने मौके पर ही दम तोड दिया। यह वो कहानी है जिसमें ये गांव भी खून की होली देखते देखते थक गया था। लाशों का बोझ उठाते उठाते गांव वालों के कंधे जवाब दे चुके थे।
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