1971 की जंग के हीरो भैरों सिंह राठौर ने ली अंतिम सांस, पाकिस्तान टैंक रेजिमेंट को चटाई थी धूल

War Hero: साल 1971 में पाकिस्तान की पूरी टैंक रेजिमेंट को पानी पिलाने वाली लोंगेवाला चौकी के जाबांज सिपाहियों की टुकड़ी में शामिल बीएसएफ के भैरों सिंह राठौड़ ने 81 साल की उम्र में अंतिम सांस ली।

CrimeTak

20 Dec 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:32 PM)

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71' War Hero: बॉर्डर (Border) फिल्म (Film) में जो भैरों सिंह का किरदार (Actor) सुनील शेट्टी ने निभाया था, असल ज़िंदगी के वही भैरों सिंह ने 81 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। सारा हिन्दुस्तान राजस्थान (Rajasthan) की लोंगेवाला चौकी के उस युद्ध को कभी नहीं भूल सकता जब भारत के महज 120 जवानों ने पाकिस्तान (Pakistan) की पूरी टैंक रेजिमेंट को पानी पिला दिया था।

और उन्हें रात भर एक ही जगह पर रोक कर पाकिस्तान की फौज की उस खतरनाक रेजिमेंट को मटियामेट कर दिया था।

उसी टोली के एक जाबांज सिपाही थे सीमा सुरक्षा बल के भैरों सिंह राठौड़। सोमवार को भैरों सिंह राठौड़ ने जोधपुर में 81 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। मिली खबरों के मुताबिक भैरों सिंह राठौड़ को 14 दिसंबर को जोधपुर के एम्स में भर्ती कराया गया था।

India Pakistan War: भैरों सिंह के बेटे सवाई सिंह के मुताबिक उनके पिता की तबीयत बिगड़ने की वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उनके अंगों में लकवा हो गया था। सवाई सिंह के मुताबिक भैरों सिंह को ब्रेन स्ट्रोक का अटैक हुआ था जिसकी वजह से उन्हें ICU में भर्ती कराया गया था।

भैरों सिंह का परिवार जोधपुर से 120 किलोमीटर दूर सोलंकियातला गांव में रहता है। साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में भैरों सिंह राठौड़ को राजस्थान के थार रेगिस्तान में लोंगेवाला चौकी पर तैनात किया गया था।

War Crime News: असल में भैरों सिंह राठौड़ को बीएसएफ की छोटी यूनिट का कमांडेंट बनाकर तैनात किया गया था। लेकिन पूरा युद्ध छिड़ जाने के बाद बीएसएफ की यूनिट को पोस्ट छोड़कर वहां से जाना पड़ा था लेकिन भैरों सिंह को सेना की मदद के लिए वहीं तैनात रखा गया था। सेना की 23 पंजाब रेजिमेंट की एक कंपनी उस चौकी पर मोर्चा संभालने के लिए आई थी।

इसी सच्चे किस्से पर फिल्म निर्देशक जेपी दत्ता ने बॉर्डर फिल्म का निर्माण किया था। और उस फिल्म में सुनील शेट्टी ने बीएसएफ के कमांडेंट भैरों सिंह राठौड़ का किरदार निभाया था। हालांकि फिल्म में भैरों सिंह राठौड़ को शहीद दिखाया गया था। लेकिन असल जिंदगी में भैरों सिंह ने बीएसएफ को अपनी पूरी सेवा देने के बाद कई सालों तक अपने गांव में रिटायर जिंदगी बसर की।

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