Independence Day 2022: 75 सालों में कितनी तरक्की की हमने ?

Independence Day 2022: देश को आजाद हुए 75 साल पूरे हो गए हैं। इन 75 साल में काफी कुछ बदल गया है। आबादी बढ़ी, कमाई बढ़ी, सोने की कीमत बढ़ी। जीडीपी 147 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की हो गई है।

CrimeTak

15 Aug 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:24 PM)

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प्रियंक द्विवेदी के साथ चिराग गोठी की रिपोर्ट

Independence Day 2022: देश को आजाद हुए 75 साल हो गए हैं। आपको बताते है हमने असल मेें कितनी तरक्की की ? इस दौरान देश की जनसंख्या तो बढ़ी, लेकिन प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोत्तरी हुई या फिर नहीं ? इन 75 साल में देश में बहुत कुछ बदला है। हालांकि इस दौरान आबादी बढ़ी, कमाई बढ़ी, सोने की कीमत बढ़ी। जीडीपी 147 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की हो गई है।

देश में आबादी में बढ़ोत्तरी

1951 में देश की पहली जनगणना हुई। उस वक्त हमारी आबादी 36 करोड़ से थोड़ी ही ज्यादा थी। आखिरी बार 2011 में जनगणना हुई थी, तब आबादी बढ़कर 121 करोड़ के पार पहुंच गई। हालांकि, आधार बनाने वाली संस्था UIDAI ने जुलाई 2022 तक देश की आबादी 137.29 करोड़ से ज्यादा होने का अनुमान लगाया है।

कमाई भी पड़ा असर

74 साल में आम आदमी की कमाई भी बढ़ी है। 1950-51 में देश में एक आदमी की सालाना कमाई 274 रुपये थी। 2021-22 में प्रति व्यक्ति औसत आय 1.50 लाख रुपये से ज्यादा रही थी।

27 करोड़ से ज्यादा लोग अब भी गरीबी रेखा से नीचे

आजादी के वक्त देश के 25 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचे थे, जो उस वक्त की आबादी का 80% होता है। गरीबी रेखा के सबसे ताजा आंकड़े 2011-12 के हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक, देश की 26.9 करोड़ आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। देश की 22% आबादी गरीबी रेखा के नीचे आती थी।

बेरोजगारी के हालात

बेरोजगारी को लेकर नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस (NSSO) ने 1972-73 में पहला सर्वे किया था। उस सर्वे के मुताबिक, उस वक्त देश में बेरोजगारी दर 8.35% थी। 2020-21 में हुए सर्वे के मुताबिक, देश में बेरोजगारी दर 4.2% थी।

50 गुना से ज्यादा बढ़ी जीडीपी

आजादी के बाद से अब तक हमारी जीडीपी 50 गुना बढ़ी है। 1950-51 में हमारी जीडीपी 2.93 लाख करोड़ रुपये थी, जो 2020-21 में 147 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होने का अनुमान है।ॉ

स्वास्थ्य सेवाएं

आजादी के समय देश में 30 मेडिकल कॉलेज थे, लेकिन अब 612 कॉलेज हैं। आजादी के समय देशभर में 2,014 सरकारी अस्पताल थे और अब इनकी संख्या 41 हजार से ज्यादा है। डॉक्टरों की संख्या भी 13 लाख से ज्यादा बढ़ी है।

बाल मृत्यु दर, सेक्स रेशो और औसत आयु में बदले हालात

आजादी के बाद से अब तक बाल मृत्यु दर और औसत आयु में हालात सुधरे हैं। सेक्स रेशो में भी हम अच्छी स्थिति में पहुंच गए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 1951 में एक हजार बच्चों पर मृत्यु दर जहां 146 थी, वो 2019 में घटकर 30 हो गई। वहीं, बात अगर औसत आयु की करें तो आजादी के वक्त देश की औसत आयु 34 साल थी। अब औसत आयु बढ़कर 69.7 साल हो गई। 1951 में हर एक हजार पुरुषों पर 946 महिलाएं थीं, लेकिन अब ये आंकड़ा बढ़कर 1,020 महिलाओं का हो गया है।

सोना अब 50 के पार

आज 10 ग्राम सोने की कीमत 50 हजार के आसपास पहुंच गई है, लेकिन जब हम आजाद हुए थे, तब 10 ग्राम सोने की कीमत 90 रुपये भी नहीं थी।

पेट्रोल आम आदमी के बस की बात नहीं

पेट्रोल की कीमतें लगातार बढ़ रही है। देश में पेट्रोल की कीमतें 100 का आंकड़ा पार कर चुकी हैं, लेकिन आजादी के वक्त एक लीटर पेट्रोल की कीमत महज 27 पैसे थी। साल 2000 तक एक लीटर पेट्रोल की कीमत बढ़कर 29 रुपये के आसपास पहुंच गई।

स्कूलों की संख्या बढ़ी

स्कूलों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। 31 मार्च 1948 तक देश में 1.40 लाख के आसपास प्राइमरी और 12,693 मिडिल और हाई स्कूल थे, लेकिन आज देश में 15 लाख से ज्यादा स्कूल हैं। इसी तरह उस वक्त महज 414 कॉलेज हुआ करते थे और आज इनकी संख्या 42 हजार से ऊपर चली गई है। उस वक्त बजट भी मात्र 74 करोड़ रुपये हुआ करता था और 2022-23 में केंद्र सरकार ने शिक्षा मंत्रालय को 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा दिए हैं।

क्राइम कितना बढ़ा?

केंद्र सरकार की एजेंसी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 1953 से अपराधों का लेखा-जोखा रख रही है। 1953 में NCRB की पहली रिपोर्ट आई थी। उसके मुताबिक, 1952 में देश में 6.25 लाख आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। उस वक्त 10 हजार से ज्यादा मामले तो मर्डर के ही थे। NCRB की आखिरी रिपोर्ट 2020 के आंकड़ों पर आई है। इसकी मानें तो 2020 में देश भर में 66 लाख से ज्यादा केस दर्ज किए गए थे, जिनमें 29 हजार से ज्यादा मर्डर के केस थे। बलात्कार के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। 1971 में देश में 2,487 केस बलात्कार के दर्ज किए गए थे, जबकि 2020 में 28 हजार से ज्यादा केस दर्ज किए गए।

कभी जीडीपी में कृषि का योगदान 52% था, अब 20% से भी कम

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 1950-51 में देश की जीडीपी में कृषि का योगदान 52% के आसपास था, जो 2021-22 तक घटकर 20% से भी कम हो गया है। हालांकि, इस दौरान कृषि उत्पादन में जमकर बढ़ोतरी हुई है।

3 लाख से बढ़कर 30 करोड़ वाहन

आजादी के वक्त देश में सिर्फ 3 लाख के आसपास गाड़ियां रजिस्टर्ड थीं, लेकिन अभी देश में रजिस्टर्ड गाड़ियों की संख्या करीब 30 करोड़ हो चुकी है। इसी तरह 1951 के वक्त देश में 3.99 लाख किमी की सड़क ही थी, लेकिन अब देश में सड़कों का जाल 63.31 लाख किमी से भी ज्यादा हो गया है।

केंद्र सरकार का बजट

आजादी के बाद पहला बजट जो आया था वो 15 अगस्त 1947 से 31 मार्च 1948 तक के लिए था। उस बजट में सरकार ने 197 करोड़ रुपये रखे थे। इसी साल फरवरी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया है, वो करीब 40 लाख करोड़ रुपये का है।

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