तालिबान को लेकर पाकिस्तान खुशियां ना मनाए, उसके भी बुरे दिन शुरू होने वाले हैं!

Afghanistan taliban update

CrimeTak

16 Aug 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:03 PM)

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जम्मू-कश्मीर से संवाददाता सुनील जी भट्ट की रिपोर्ट

जम्मू-कश्मीर पर होगा असर

तालिबान के सत्ता में आने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों में इजाफा होगा क्योंकि तालिबान की जीत के बाद ना केवल पाकिस्तानी आतंकी संगठनों को एक महफूज ठिकाना मिलेगा बलकि उनका मनोबल भी इस जीत से ऊंचा हुआ है। हालात बहुत खराब हैं लेकिन हिंदुस्तान के सुरक्षाबल इतने तैयार हैं कि किसी भी चुनौती से मुकाबला कर सकते हैं।

अब हालात पर बहुत पैनी नज़र रखनी होगी। जो आतंकी संगठन पाकिस्तान में पैर जमाए हुए हैं चाहे वो लश्कर-ए-तैयबा हो या फिर जैश-ए-मोहम्मद इन्होंने तालिबान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अमेरिकी फौज और अफगानी सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। जिस तरह से पहले तालिबान का शासन अफगानिस्तान में था उस वक़्त इनके ट्रेनिंग कैंप अफगानिस्तान में ही चलते थे।

पाकिस्तान खुशियां ना मनाए, उसके भी बुरे दिन शुरु हो गए हैं

जम्मू कश्मीर ही नहीं असर पूरे दक्षिण एशिया पर अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने का असर पड़ेगा। पाकिस्तान में जो लोग खुशियां मना रहे हैं वो ये भूल रहे हैं कि सबसे पहला असर पाकिस्तान पर पड़ेगा क्योंकि अफगानिस्तान में अगर शरिया कानून लागू होगा तो पाकिस्तान के कट्टरपंथी भी पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करने की मांग करेंगे।

ड्रग ट्रेड पूरी दुनिया में फैलेगा क्योंकि हर कोई जानता है कि तालिबान जो पैसा इकट्ठा करता है वो अफीम की खेती से करता है जिससे हेरोइन के अलावा दूसरे मादक पदार्थ बनाए जाते हैं।

POK से अफगानिस्तान शिफ्ट होंगे आतंकी कैंप

पाकिस्तान जो ट्रेनिंग कैंप पीओके में चलाता है वो दुनिया की नजर में आते हैं। अब ये सारे कैंप फिर से अफगानिस्तान में शिफ्ट कर दिए जाएंगे लेकिन कोई अपने घर में सांप पालता है तो सबसे पहले सांप उसी को डसता है ये इतिहास रहा है।

आतंकवाद को लेकर FATF का काफी दबाव पाकिस्तान पर था, अब पाकिस्तान अपना दामन साफ करने के लिए इन कैंपों को अफगानिस्तान की धरती पर शिफ्ट करेगा। इससे पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय दबाव से बच जाएगा। साथ ही वहां पर लड़ रहे आतंकियों को अब वो जम्मू-कश्मीर की ओर भेजेगा जो भारत के लिए मुसीबत साबित हो सकते हैं।

फिर हो सकता है 9/11 जैसा हमला

हालांकि पूर्व डीजीपी वेद की मानें तो तालिबान अल-कायदा और आईएस के खिलाफ कितनी भी बातें कर ले लेकिन इन आतंकियों को अफगानिस्तान में पनाह भी मिलेगी। अगर अमेरिका और नेटो देशों को लगता है कि इसका असर उन पर नहीं होगा तो ये उनकी गलतफहमी है क्योंकि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल एक बार फिर 9/11 जैसे हमले करने के लिए होगा।

पाकिस्तान, चीन और तालिबान की तिकड़ी बन सकती है सिरदर्द

पाकिस्तान और चीन पहले से ही हिंदुस्तान के खिलाफ साजिश बुनते आ रहे हैं । चीन ने तालिबान के बड़े लीडर अब्दुल गनी बरादर को अपने यहां बुलाकर रेड कारपेट वेलकम दिया। चीन चाहता है कि अफगानिस्तान में उसके हित पूरे होते रहें और उसका BELT AND ROAJ INITIATIVE अफगानिस्तान से गुजरता हुआ मध्य एशिया और यूरोपीय देशों तक पहुंचे।

इसी वजह तालिबान चीन के लिए बेहद अहम है। वो भले ही दुनिया के देशों के साथ तालिबान के खिलाफ उनकी हां में हां मिलाए लेकिन भीतर से वो तालिबान से दोस्ती कर अपना फायदा देख रहा है।

तालिबान की वजह से हुई थी IC 814 हाइजैकिंग

जब इंडियन एयरलांइस के विमान को हाइजैक किया गया तो उसे अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया और वहां तालिबान ने इस विमान को पूरी सुरक्षा दी ताकि भारत कोई कमांडो ऑपरेशन ना कर सके।

अगर तालिबान उस वक़्त अफगानिस्तान पर काबिज नहीं होता तो ये मुमकिन ही नहीं था कि यात्रियों के बदले मौलाना मसूर अजहर और बाकी दो आतंकियों को छोड़ा जाता।

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