उस रात मुंबई पुलिस को ऐसे चकमा देकर डोंगरी से दुबई जा पहुँचा था दाऊद इब्राहिम

Operation Against Dawood Ibrahim: ये किस्सा अपने आप में हैरान करने वाला है कि दाऊद पुलिस के चंगुल में आने से पहले ही कैसे फरार हुआ और डोंगरी से दुबई जा पहुँचा।

दाऊद इब्राहिम अपने गुर्गों के साथ

दाऊद इब्राहिम अपने गुर्गों के साथ

18 Dec 2023 (अपडेटेड: Dec 18 2023 3:45 PM)

follow google news

Dawood Ibrahim Escape: 1993 में सिलसिलेवार हुए बम धमाकों के बाद चारो तरफ अफरा तफरी का आलम था। पुलिस भी इस धमाकों के पीछे छुपे चेहरों को तलाशने के लिए मुंबई के चप्पे चप्पे को खंगाल रही थी। खबर मिली कि इस काम के पीछे दाऊद इब्राहिम और उसके गुर्गों का हाथ है। 

बिना पासपोर्ट विदेश भागा दाऊद

तब पुलिस बुरी तरह हैरत में पड़ गई क्योंकि परिंदा उड़ चुका था। पुलिस जब दाऊद के दफ्तर पर पहुँची तो पता चला कि वो कुछ वक्त पहले ही वहां से चला गया। चूंकि पुलिस इस गुमान में ही थी कि दाऊद इब्राहिम को जब पहले गिरफ्तार किया गया था तो उसका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया था। लिहाजा पुलिस इसी भुलावे में रही कि बिना पासपोर्ट दाऊद इब्राहिम विदेश तो नहीं भाग सकता। मगर ये पुलिस की पहली और सबसे बड़ी चूक थी। खुलासा हुआ कि दाऊद इब्राहिम के मुखबिर पुलिस महकमें में भी थे, जिन्होंने उसके खिलाफ होने वाली कार्रवाई के बारे में उसे पहले ही खबर दे दी थी। लिहाजा वो अपने नेटवर्क के जरिए वो मुंबई से रफूचक्कर हो गया और अपने रसूख और ऊंची पहुंच के जरिए वो बिना पासपोर्ट मुंबई से बाहर निकलने और फ्लाइट पकड़कर दुबई भागने में कामयाब हो गया। और एक बार हिन्दुस्तान की हद से बाहर निकलने के बाद दाऊद के तो जैसे पर लग गए थे। वो दुबई के रास्ते पाकिस्तान जा पहुँचा। 

मुंबई का मुसाफिरखाना जहां से दाऊद पहली बार पुलिस को चकमा देकर फरार हुआ था

दाऊद की मदद की ISI ने

खुलासा यही है कि दाऊद और उसके परिवार को दुबई से पाकिस्तान तक पहुँचाने में वहां की खुफिया एजेंसी ISI ने बड़ी मदद की। क्योंकि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ये बात अच्छी तरह जानती थी कि अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम का मुंबई में खासा नेटवर्क है जो पुलिस के नेटवर्क के बराबर काम करता है। ऐसे में वो उनके काम का साबित हो सकता है। लिहाजा आईएसआई ने उसे पूरी तरह से अपनी पनाह में रखा और कराची के एक उस महफूज इलाके में उसका ठिकाना बनाया जहां किसी परिंदे को भी पर मारने की इजाजत नहीं थी। 

डोंगरी टू दुबई’ में लिखा कच्चा चिट्ठा

मुंबई के एक पत्रकार एस हसन जैदी की एक किताब ‘डोंगरी टू दुबई’ में दाऊद के पाकिस्तान में पनाह लेने और दुबई तक अपना नेटवर्क बनाने का सारा किस्सा लिखा हुआ है। 

1986 में ऐसे दिया था पुलिस को चकमा

‘डोंगरी टू दुबई’ किताब के मुताबिक ये किस्सा 1986 के आस पास का है। उस वक़्त मुंबई पुलिस ने अंडरवर्ल्ड पर लगाम कसने की मुहिम तेज कर दी थी। ऐसे में दाऊद को इस बात की भनक मिल चुकी थी कि पुलिस कभी भी उसके खिलाफ एक्शन ले सकती है और उसे उठा भी सकती है। ऐसे में उसका मुंबई में रहना अब मुश्किल हो सकता है। 

रात में मुसाफिरखाना पर छापा

इसी बीच मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने रात के वक्त दाऊद के ठिकाने यानी मुसाफिरखाना पर छामा मारा। मगर जब पुलिस वहां पहुँची तो चारो तरफ सन्नाटा छाया हुआ था। इस दुमंजिला इमारत में श्मशान जैसा सन्नाटा देखकर पुलिस का माथा ठनका। क्योंकि पुलिस ने सुन रखा था कि ये इमारत कभी सोती हुई किसी ने नहीं देखी। कहते हैं मुंबई रात में सिर्फ तीन घंटों के लिए ही सोती थी मगर दाऊद का दफ्तर यानी मुसाफिरखाना में लोग रात भर जागते थे। ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद दाऊद के आलीशान दफ्तर की बत्तियां कभी किसी ने बुझी नहीं देखी..मगर उस रोज पुलिस को चारो तरफ अंधेरा और सन्नाटा नज़र आया। 

 इस मुसाफिरखाना में पुलिस के ऑपरेशन की खबर दाऊद के पहले ही लग गई थी

पुलिस के हाथ से फिसला दाऊद

क्राइम ब्रांच की टीम ने उस बिल्डिंग का एक एक कोना खंगाला, मगर पुलिस को दाऊद की परछाईं तक वहां नज़र नहीं आई। तब पुलिस उस रात सिर्फ दाऊद के चचेरे और ममेरे भाइयों के अलावा कुछ गुर्गों को पकड़कर अपने साथ ले गई। लेकिन दाऊद उन्हें कहीं नहीं मिला। 

सीक्रेट ऑपरेशन और मुखबिरी

तब उस वक़्त के पुलिस कमिश्नर डी एस सोमण ने दाऊद के खिलाफ एक वारंट जारी किया। हालांकि ये ऑपरेशन पूरी तरह से सीक्रेट रखा गया और पुलिस महकमें में भी किसी को इसके बारे में कोई खबर नहीं थी। इतना ही नहीं पुलिस कमिश्नर सोमण ने ऑपरेशन में लगी टीम को खुली छूट दे रखी थी। लेकिन पुलिस कमिश्नर की सोच से परे दाऊद इब्राहिम पुलिस महकमें की चाल से भी एक कदम आगे निकला। वो पहले ही अपने परिवार को लेकर वहां से रफूचक्कर हो चुका था। और बाद में इस बात का खुलासा हुआ कि वो अपने परिवार के साथ भारत छोड़कर जा चुका है। 

मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर डी एस सोमण ने पहली बार दाऊद को पकड़ने के लिए सीक्रेट ऑपरेशन किया था, लेकिन पुलिस के पहुँचने से पहले ही दाऊद निकल भागा था

हैरान रह गए पुलिस कमिश्नर

दाऊद के इस तरह अचानक रातों रात गायब होने के बारे में जब कमिश्नर सोमण को पता चला तो उनकी भी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा। उनकी हैरानी इस बात को लेकर सबसे ज़्यादा थी कि जिस दाऊद को पकड़ने के लिए पुलिस की टीम जैसे ही उसके ठिकाने पर पहुँची थी  तो सिर्फ दस मिनट पहले ही वो वहां से निकल गया था। जाहिर है पुलिस कमिश्नर के लिए ये बात बेहद चौंकाने वाली थी क्योंकि जिस ऑपरेशन को वो सीक्रेट मानकर चल रहे थे उसकी मुखबिरी हो चुकी थी और दाऊद उनके चंगुल में आने से पहले ही हाथों से फिसल गया था। 

दाउद इब्राहिम और उसकी पत्नी, छोटा राजन की शादी के मौके पर

दाऊद तक पहुँची ऑपरेशन की खबर

तब कमिश्नर सोमण ने इस मामले की तहकीकात की, और उससे जो बात सामने आई उसने कमिश्नर तक के होश उड़ा दिए, क्योंकि उन्हें पुलिस महकमें में ही दाऊद के मुखबिरों के होने का पता चला। जिन्होंने उस रात के ऑपरेशन की जानकारी दाऊद तक पहुँचा दी थी और जिसकी वजह से उसे भागने का मौका मिल गया। 

राजनेता के हाथ होने का शक

डोंगरी टू दुबई किताब के मुताबिक उस रात के सारे ऑपरेशन की जानकारी पुलिस महकमें के अलावा एक राजनेता को भी थी क्योंकि पुलिस ने उस राजनेता से भी इस ऑपरेशन की सहमति ली थी। और सहमति देते हुए राजनेता ने पुलिस को निर्देश दिए थे कि किसी भी सूरत में दाऊद को जिंदा पकड़ा जाए।  किताब के मुताबिक पुलिस कमिश्नर को उस राजनेता की बातचीत और तौर तरीकों पर शक तो हुआ लेकिन बिना किसी सबूत और सुराग के पुलिस के हाथ बंधे रहे। 

    यह भी पढ़ें...
    follow google newsfollow whatsapp