Mumbai Crime News : लूट की कोई घटना हो जाए तो जाहिर है हमें रोना आएगा. दुख होगा. लेकिन पहली बार लूट की घटना के बाद किसी के चेहरे पर चमक आई. ये चमक वैसे तो आ रही है पूरे 22 साल बाद.
हैरतअंगेज क्राइम : 22 साल पहले हुई लूट की इस घटना ने एक शख्स को ऐसे दिलाया 8 करोड़ का सोना
क्राइम की वारदात ने कैसे बना दिया करोड़पति, मुंबई के कारोबारी परिवार के घर हुई डकैती में 22 साल बाद आया ये फैसला, Get more Crime news Hindi, क्राइम न्यूज़, वायरल वीडियो and more on CrimeTak.in
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14 Jan 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:12 PM)
लेकिन इसकी जो खुशी है वो उन 22 सालों के वनवास पर फीकी पड़ जाएगी. दरअसल, वारदात के समय जो सामान लूटा गया था उसकी कीमत अब 8 करोड़ रुपये हो चुकी है. जबकि जब वो सामान लूटा गया था तब उसकी कीमत महज 13 लाख रुपये थी. तो हुआ ना एक तरीके से ये फायदे का सौदा.
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अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वो घटना थी क्या? आखिर ऐसा क्या हुआ कि उस क्राइम होने के बाद किसी को करोड़ों का फायदा हुआ. तो उसे पूरा जान लेते हैं. दरअसल, ये पूरा मामला है मुंबई के कोलाबा (Mumabi Kolaba) का. यहां एक कारोबारी अर्जन दासवानी का परिवार रहता है. ये मशहूर गारमेंट फैशन ब्रांड कंपनी चराग डिन (Charagh Din Owner) के मालिक हैं.
मशहूर कारोबारी के घर 8 मई 1998 को हुई थी डकैती
Amazing Crime Incident : मशहूर कारोबारी अर्जन दासवानी (Arjan Daswani) के घर पर 8 मई 1998 में सनसनीखेज लूट की घटना हुई थी. उस समय हथियारबंद बदमाशों ने पहले घर के सिक्योरिटी गार्ड पर धारदार हथियार से हमला किया था.
गार्ड के घायल होने पर घर में धावा बोल दिया था. इसके बाद हथियार के बल पर पूरे परिवार को बंधक बना लिया था. इस दौरान बदमाशों ने उनके घर की तिजोरी से क्वीन विक्टोरिया वाला एक सोने का सिक्का (Gold Coin containing Queen Victoria's picture), 2 गोल्ड ब्रेसलेट (Gold Bracelet) और 100 ग्राम व 200 मिलीग्राम की सोने की दो सिल्लियां लूट ली थी. उस दौरान हुई इस घटना से पूरे मुंबई में हड़कंप मच गया था. क्योंकि जिस तरह के एक नामी कारोबारी के घर डकैती हुई थी उससे पुलिस विभाग में भी हड़कंप मच गया था.
लूटा सोना हमारा ही है, ये साबित करना हुआ मुश्किल
Crime News in Hindi : उस समय लूटे हुए सामान की कीमत करीब 13 लाख रुपये बताई गई थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तेजी से जांच शुरू की. पुलिस की कई टीमों ने 50 से ज्यादा संदिंग्धों से पूछताछ की थी. इसके बाद घटना के एक हफ्ते में ही 3 बदमाशों को गिरफ्तार कर लूटा हुआ सोना बरामद कर लिया था.
लेकिन मामला अब यहां से फंसता है. क्योंकि कोर्ट और कानूनी पचड़े में ये साबित करना मुश्किल हो गया कि लूटा हुआ ये सोना हमारा ही है. इस क्राइम के तीन आरोपियों को साल 1999 में सजा भी मिल गई लेकिन लूटा हुआ सामान दासवानी परिवार को नहीं मिला.
फरार हैं वारदात के अभी भी 3 आरोपी
रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना के 3 आरोपी आज तक यानी 22 साल बाद भी गिरफ्तार नहीं हुए है. लेकिन 3 बदमाशों से बरामद हुआ सोना पुलिस की कस्टडी में रखा था. पीड़ित यानी अर्जन दासवानी के परिवार ने लूटे हुए सामान को लेने के लिए कोर्ट में अपील की थी. जिस पर सुनवाई करते-करते इतने साल गुजर गए.
फरार आरोपी नहीं पकड़े गए, पीड़ित ही हुआ परेशान : कोर्ट
इस पूरे केस में अर्जन दासवानी के बेटे राजू दासवानी (Raju Daswani) पैरवी कर रहे थे. उन्होंने अपनी संपत्ति से जुड़े तमाम दस्तावेज अदालत में पेश किए. इस आधार पर ये साबित हुआ कि बदमाशो के पास से बरामद हुआ सोना उन्हीं का है.
अब कोर्ट के जज ने इस पर बड़ा फैसला दिया है. जज ने कहा कि इस संपत्ति को पुलिस कस्टडी में रखने का कोई मतलब नहीं है. फरार हुए दूसरे आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर तो पुलिस ने कुछ नहीं किया. कोई प्रगति नहीं हुई. लेकिन फरियादी अपना सामान पाने के लिए उससे कहीं ज्यादा परेशान हुआ.
अगर कोई शिकायतकर्ता अपनी लूटी हुई संपत्ति को वापस लेने के लिए सालों साल तक इंतजार करता रहेगा तो ये न्याय का मजाक ही है. ये ना सिर्फ मजाक बल्कि पूरी तरह से कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. इसलिए उन्हें ये सामान तुरंत सौंपा जाए.
इससे पहले, राजू की दो बहनों को भी इस लूटे हुए गोल्ड को भाई को दिए जाने के लिए एक एनओसी यानी अनापत्ति प्रमाण पत्र देना पड़ा था. राजू की दोनों बहनें कनाडा और अमेरिका में रहतीं हैं.
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