Pablo Esco Bear: एक जंगली भालू चट कर गया 165 करोड़ की कोकेन, फिर उसका हुआ ये अंजाम

Pablo Esco Bear: अमेरिका के जॉर्जिया के जंगलों में एक जंगली भालू करीब 165 करोड़ की कोकेन चट कर गया, और उसके बाद इस घटना ने वन विभाग के अधिकारियों को हैरानी में डाल दिया। बाद में तफ्तीश के दौरान जो सच सामने आया उसने सभी को चौंका दिया।

'Cocaine Bear’ फिल्म कोकेन खाकर आदमखोर हुए एक भालू की कहानी सच्ची घटना पर है

'Cocaine Bear’ फिल्म कोकेन खाकर आदमखोर हुए एक भालू की कहानी सच्ची घटना पर है

01 Mar 2023 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:37 PM)

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'Cocaine Bear: पिछले हफ्ते यानी 24 फरवरी को हॉलीवुड की एक फिल्म रिलीज हुई। नाम है कोकेन बेयर। इस फिल्म में एक जंगली भालू कोकेन खाकर आदमखोर बन जाता है और फिर उसी के इर्द गिर्द ये पूरी कहानी घूमती है। लेकिन इस खबर तो इस फिल्म के डिस्क्लेमर में छुपी हुई थी। जिसमें ये बात लिखी हुई थी कि ये कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है। बस यहीं से खोजबीन का सिलसिला शुरू हो जाता है। आखिर ये घटना कब कहां और कैसे घटी? और इससे भी बड़ा सवाल कि आखिर किसी जंगली भालू के पास कोकेन पहुँची कैसे? और उसने जब उसे खाया तो उसके रवैये में कैसे बदलाव आया...वगैराह वगैराह...

इस खोजबीन का नतीजा सामने आया तो पता चला कि इससे मिलती जुलती घटना अमेरिका के जॉर्जिया में घटी थी। जब एक भालू की मौत कोकेन के ओवरडोज से हो गई थी। और इस घटना के बारे में सबसे पहले जॉर्जिया ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन यानी GBI को पता चला था। क्योंकि GBI की टीम को घने जंगलों के भीतर एक भारी भरकम भालू मरा पड़ा मिला था। जिसके चारो तरफ कोकेन के पैकेट फैले हुए थे और उनमें से कुछ फटे हुए थे। भालू के खून और उसके शरीर की जांच में कोकेन मिलने की बात पक्की हो गई। लेकिन सभी के सामने एक सवाल जरूर खड़ा हो गया कि आखिर एक भालू के पास ये कोकेन के पैकेट कहां से पहुँचे। 

अंदाजा लगाया गया है कि मुमकिन है जंगल के रास्ते से ड्रग तस्कर गुज़र रहे हों और भालू ने उन पर हमला कर दिया हो और वो अपना सारा माल छोड़कर जान बचाकर भाग गए हों। 

तहकीकात हुई तो पता चला कि असल में ड्रग्स तस्करों की एक खेप जंगल के ऊपर से हवाई जहाज से ले जाई जा रही थी लेकिन अचानक उससे कोकेन के कई पैकेट जंगल में गिर पड़े। और इत्तेफाक से वो पैकेट भालू को मिल गए। और वन अधिकारियों के मुताबिक भालुओं की एक फितरत होती है उनके सामने कोई भी नई चीज पड़ती है तो वो जिज्ञासावश उसे या तो निगल जाते हैं या फिर उससे खेलना शुरू कर देते हैं। ऐसे में ये अंदाजा लगाया गया है कि उसी लिए भालू की कोकेन के ओवरडोज़ से मौत हो गई। 

जिस भालू की कोकेन खाने से मौत हुई थी उसका नाम बाद में रिकॉर्ड पर पाब्लो एस्कॉ बेयर रखा गया। पाब्लो नाम देने के पीछे यही तर्क था चूंकि पाब्लो दुनिया का सबसे बड़ा ड्रग लॉर्ड माना जाता था, जिसकी दहशत उस दौर में पूरी दुनिया में छाई हुई थी, लिहाजा कोकेन के ओवरडोज़ से मरने वाले भालू को पाब्लो का नाम दे दिया गया था। 

जांच में पाया गया था कि पाब्लो ने करीब 40 किलो कोकेन को निगल लिया था। जिसकी क़ीमत उस दौर में 165 करोड़ रुपये आंकी गई थी। हालांकि जंगल में कुल कितनी कोकेन गिरी थी और कितने पैकट जंगल में कहां कहां बिखर गए थे...इसका पता पुलिस उस वक़्त नहीं लगा सकी थी। 

लेकिन इस खबर के सामने आने के बाद ये बहस जरूर छिड़ गई जब कोकेन जैसा नशा कोई जानवर खा लेता है तो उस पर क्या असर होता है? यकीनन कोकेन के खाते ही तो किसी जानवर की मौत नहीं हो जाती होगी...कोकेन की मामूली सी मात्रा उसके शरीर में जाने के बाद वो अपना असर भी दिखाती होगी और वो जानवर उसके असर में कुछ न कुछ ऐसी हरकतें जरूर करता होगा जो सामान्य तौर पर उस तरह के जानवर नहीं करते होंगे। 

लेकिन जब उस तरह के नशे का असर खत्म होता होगा तो क्या वो जानवर फिर से उसी तरह के नशे की तरफ भागते हैं। 

हालांकि ये भी देखा गया है कि पशु पक्षी भी नशे के आदी हो जाते हैं। अक्सर ऐसी तस्वीरें इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल होती देखी गई हैं जिसमें पशु पक्षी शराब, चरस या दूसरे किसी भी नशे के असर में ऊल जुलूल हरकत करते दिख जाते हैं। 

एक रिसर्च कहती है कि जानवरों के नशेड़ी होने की बात 19वीं सदी में ही पहली बार सामने आई थी। क्योंकि उस दौर में अफ्रीका में कुछ हाथियों के बिदकने और हिंसक होने के कुछ खबरें सामने आईं थीं और बाद में तहकीकात में ये बात भी सामने आई थी कि हाथियों ने जरूरत से ज़्यादा कोई ऐसा फल खा लिया जिसमें नशा होता है। 

इसी बीच कुछ ऐसी खबरें सामने आईं कि किसी शराब के गोदाम से शराब के चोरी होने के किस्से सामने आए...जब गौर किया गया तो कुछ बंदरों की टोली ऐसा करती थी और गोदाम से शराब चुराकर बाकायदा एक पेड़ पर जाकर उसे पीकर झूमती रहती थी। बाद में अध्ययन में ये बात भी सामने आई कि इंसानों की तुलना में बंदर अल्कोहल का ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं। 

कई तरह के पक्षियों को भी नशे का आदी होते हुए दुनिया में देखा गया है। देखा गया है कि डॉल्फिन नशे के लिए इस कदर बेताब हो जाती हैं कि वो ढूंढ़ ढूंढ़कर ऐसी मछलियों का सेवन करती हैं जिनको खाने के बाद नशा हो जाता है। 

 

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