बांग्लादेश में मंदिर जलाए गए, घरों पर हमले हुए, कैसे बांग्लादेश में हिंदू बने दंगाईयों का निशाना? क्या है सोशल मीडिया के Video की सच्चाई

बांग्लादेश की कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी ने स्वीकार किया है कि शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद देश में हिन्दू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। आखिर हमलों का सच क्या है?

CrimeTak

08 Aug 2024 (अपडेटेड: Aug 8 2024 7:30 PM)

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मुसलमानों ने हिंदू लड़की के हाथ-पैर बांध?

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वीडियो का सच कुछ और है।

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लिटन कुमार के घर में लगाई गई आग का सच

Bangladesh: बांग्लादेश में बवाल जारी है। सरकारी नौकरियों के लिए आरक्षण प्रणाली के विरोध के उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं। पूरे देश में बड़े पैमाने पर लूट और दंगे हो रहे हैं। इन दंगों में अल्पसंख्यक समुदाय, मुख्य रूप से कई हिंदू परिवार हमले की चपेट में आ गए हैं। शेख हसीना के भारत भागने और एक अंतरिम सरकार के गठन के साथ, मंदिरों में आग लगाने और हिंदुओं के घरों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर हमले के वीडियो ने सोशल मीडिया पर बाढ़ ला दी है। हालाँकि, उसी समय, बांग्लादेश के मुस्लिम मौलवियों के कमिला में एक हिंदू मंदिर की रखवाली करते हुए सामने आए हैं। एक अन्य वीडियो में छात्रों के एक समूह को ढाका में ढाकेश्वरी मंदिर की रक्षा करते हुए दिखाया गया है।

वीडियो का सच कुछ और है!

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बांग्लादेश के डेली स्टार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सोमवार को भीड़ ने हिंदुओं के घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर हमला किया और कम से कम 27 जिलों में उनके कीमती सामान भी लूट लिए गए। जमात-ए-इस्लामी ने हिंदू मंदिरों को निशाना बनाने की बात स्वीकार की है। बांग्लादेश के खुलना डिवीजन में स्थित मेहरपुर में एक इस्कॉन मंदिर और एक काली मंदिर में तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई। मेहरपुर में हमारे एक इस्कॉन केंद्र को जला दिया गया था, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बालदेव और सुभद्रा देवी के देवता शामिल थे। इस्कॉन के प्रवक्ता युधिष्ठिर गोविंद दास ने ट्वीट किया, "केंद्र में रहने वाले तीन श्रद्धालु किसी तरह बचने और जीवित रहने में कामयाब रहे। 

सोशल मीडिया पर भ्रामक वीडियो की भरमार

इन सब के बीच सोशल मीडिया पर कई तरह के भ्रामक वीडियो और तस्वीरों की बाढ़ सी आ गई है। कई मामलों में तो हिंसा के दो दो साल पुराने वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में सोशल मीडिया पर एक लड़की का वीडियो वायरल हो रहा है जिसके मुंह पर टेप लगा है और उसके हाथ-पैर बंधे हुए हैं। लोगों ने दावा किया कि ये वीडियो बांग्लादेश का है, जहां मुसलमानों ने एक हिन्दू लड़की का अपहरण किया और हाथ-पैर बांधकर उसे सड़क पर बैठाया गया है। जबकि आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये इसी साल मार्च का ढाका की जगन्नाथ यूनिवर्सिटी का वीडियो है, जहां ये लड़की एक छात्रा की आत्महत्या को लेकर प्रदर्शन कर रही थी। 

ऐसे पता लगाई सच्चाई?

कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर फैक्ट चेक की टीम को ये वीडियो 18 जुलाई के कुछ फेसबुक पोस्ट्स में मिला, जिनके बांग्ला कैप्शन में इसे जगन्नाथ यूनिवर्सिटी का बताया गया है। इसके बाद हमने गूगल मैप्स पर बांग्लादेश के ढाका में स्थित जगन्नाथ यूनिवर्सिटी की तस्वीरें देखी। टीम को यूनिवर्सिटी के कैंपस में मौजूद एक मूर्ति और बस दिखी, जो वायरल वीडियो में भी देखी जा सकती है। इससे साफ हो जाता है कि वीडियो यहीं का है। 

बांग्लादेशी क्रिकेटर लिटन कुमार दास मामला

इसी तरह सोशल मीडिया पर एक पोस्ट काफी वायरल हो रहा है जिसमें एक तरफ बांग्लादेशी क्रिकेटर लिटन कुमार दास और दूसरी तरफ आग में जलते हुए एक घर की तस्वीर दिख रही है। दोनों तस्वीरों को पोस्ट करने वाले ने दावा किया बांग्लादेश क्रिकेट टीम के हिंदू खिलाड़ी लिटन के घर में आग लगाई गई है। यूजर ने लिखा कि बंगलादेश के हिंदू क्रिकेटर लिटन दास के घर में आग लगा दी गई है। भाईचारा... सेक्यूलरिज़्म और भाई-भाई शुरू हो गया। आज तक फैक्ट चेक में ये दावा सरासर गलत है। तस्वीर में जलता हुआ ये मकान लिटन दास का नहीं बल्कि बांग्लादेश के एक पूर्व मुस्लिम खिलाड़ी का है जो हसीना की पार्टी के सांसद भी हैं। 

इस तरह टीम ने पता लगाई सच्चाई

रिवर्स इमेज सर्च की मदद फैक्ट चेक टीम को पता चला कि ये तस्वीर 5 अगस्त की है। ये तस्वीर द बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट में मौजूद है। इस खबर के मुताबिक, ये घर मशरफी बिन मुर्तजा का है जो नाराइल-2 इलाके के सांसद हैं और पूर्व क्रिकेटर रह चुके हैं। दरअसल ये माना जा रहा है कि जमात-ए-इस्लामी ने बांग्लादेश में हिंदू परिवारों और मंदिरों को निशाना बनाया है। ये सच है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं को आमतौर पर शेख़ हसीना की पार्टी आवामी लीग का समर्थक माना जाता है। कई हिंदू नेता शेख हसीना की पार्टी से जुड़े रहे हैं। 

हिंदुओं पर हमले के पीछे कौन?

ये भी सच है कि शेख़ हसीना के देश छोड़ने के बाद उनकी पार्टी से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हमले तेज हुए हैं। ये भी सच है कि जिन नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हमले हुए हैं उनमें हिंदू और मुसलमान दोनों ही शामिल हैं। बांग्लादेशी में मौजूद विदेश मामलों के जानकार भी मानते है कि बांग्लादेश में हिंदू सॉफ्ट टारगेट होते हैं। ऐसे में जब भी आवामी लीग की सत्ता की साख दरकती है या सत्ता से बेदखल होती है हिंदुओं हमले होते हैं। बांग्लादेश में हिंदुओ पर सबसे हमले साल 1992 में भी हुए थे जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद तोड़ी गई थी। 

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