शतरंज की बिसात पर लाशें बनीं मोहरा, कातिल बोला "अफ़सोस कि 64 क़त्ल नहीं कर पाया"! हैरान कर देगी Chessboard Killer की ये दास्तां

ये कहानी है एक सनकी हत्यारे की जो शतरंज के 64 खानों को 64 लाशों से भर देना चाहता था। तभी तो उसकी शतरंज की बिसात में प्यादे नहीं थे बल्कि प्यादों की जगह रखी थी लाशें। लोगों के खून से खेलना जिसकी मजबूरी नहीं बल्कि जुनून था। वो बनना चाहता था दुनिया का सबसे बड़ा कातिल।

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30 Jul 2024 (अपडेटेड: Jul 30 2024 5:49 PM)

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शतरंज पर लिखी लाशों की कहानी

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एक के बाद एक होते रहे कत्ल

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मशहूर होने के लिए बना सीरियल किलर

Serial Killer Checkmate: शतरंज में शह और मात का खेल तो आपने बहुत देखा और सुना होगा। लेकिन शतरंज की बिसात पर इंसानी खून की कहानी आपने पहले कभी नहीं सुनी होगी। ये एक सीरियल किलर (Serial Killer) की ऐसी दास्तान है जिसमें शतरंज के हर खाने पर एक मौत बिखरी पड़ी है। यूं समझ लीजिए कि मौत की ऐसी शतरंज जिसमें पूरी बिसात पर इंसानी खून बिखरा है। ये कहानी है एक सनकी हत्यारे की जो शतरंज के 64 खानों को 64 लाशों से भर देना चाहता था। तभी तो उसकी शतरंज की बिसात में प्यादे नहीं थे बल्कि प्यादों की जगह रखी थी लाशें। लोगों के खून से खेलना जिसकी मजबूरी नहीं बल्कि जुनून था। वो बनना चाहता था दुनिया का सबसे बड़ा कातिल। वो तोड़ना चाहता था हर सीरियल किलर का रिकॉर्ड। जान लेने के उसके इसी फितूर ने उसे बना दिया 'चेसबोर्ड किलर'

Chessboard Killer की खौफनाक कहानी

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चेसबोर्ड किलर जिसकी दहशत की गूंज 2001 से लेकर 2006 तक पूरे रूस में सुनाई देती रही। वो हत्या पर हत्या करता रहा लेकिन फिर भी वो किसी के हाथ नहीं लगा। हैरानी की बात ये है कि ना ही किसी को समझ में आया कि आखिर हत्या की वजह किया है। जब ये हत्यारा पुलिस के हत्थे चढा और उसकी कहानी दुनिया के सामने आई तो पूरी दुनिया हैरान रह गई। रुस की राजधानी मास्को (Moscow)। साल 2006 था। पूरा मास्को शहर एक अनजानी दहशत से गुजर था। ये दहशत थी एक सीरियल किलर की और उसका अड्डा था 2700 एकड़ में फैला बित्सविस्की पार्क जो आए दिन लाश उगल रहा था। हर लाश बने शख्स को एक ही तरीके से मौत के घाट उतारा गया था। सबके सबके सिर पर पीछे से वार हुआ था। साल 2006 में मॉस्को के बिट्सा यानी बिट्सवेस्की पार्क और आसपास एक के बाद एक लाशें मिलने के बाद पूरे इलाके में दहशत फैली हुई थी। 

बिट्सवेस्की पार्क में एक के बाद एक कत्ल का राज़

करीब तीन साल से यहां के लोगों को कुछ-कुछ दिनों में यही खबर मिलती कि पार्क में एक और लाश मिली है। टीवी के नाइट शो में इन हत्याओं की चर्चा होती थी। सबको किसी सीरियल किलर के होने का शक था। पुलिस परेशान थी क्योंकि सीरियल किलर ने अपने पीछे कोई भी सुराग नहीं छोड़ा था और ना ही हत्या की कोई वजह ही मालूम पड़ रही थी। 12 जून 2006 का दिन था। इस रोज़ पार्क में एक और महिला की लाश मिली। ये 36 साल की मारिया थी। जांच के दौरान पुलिस को लाश की जेब से मेट्रो ट्रेन का एक टिकट मिला। ये सीरियल किलर का पहला सुराग था। पुलिस ने मेट्रो स्टेशन की सीसीटीवी फुटेज खंगालनी शुरु की। पुलिस ये जानना चाहती थी कि मरने से पहले मारिया किसके साथ थी। सीसीटीवी फुटेज में पुलिस को दिखा कि मारिया एक जवान लड़के के साथ नजर आ रही थी। आखिरकार धुंधला ही सही वो चेहरा सामने आ गया जिसे सिर्फ पुलिस ही नहीं पूरा रूस देखना चाहता था। 

रात के वक्त लैरिसा और एलेक्ज़ेंडर की मुलाकात 

ये 14 जून 2006 का दिन था। दरअसल  बित्सविस्की पार्क के पास एक सुपरमार्केट भी था जहां लैरिसा नाम की लड़की काम करती थी। इसी लैरिसा के साथ ही एलेक्जेंडर भी क्लर्क का काम करता था। इस रोज एलेक्जेंडर वॉक करते करते एलेक्जे़ंजर लैरिसा के साथ बित्सविस्की पार्क में चहलकदमी कर रहा था। एलेक्ज़ेंडर प्यार मुहब्बत की बातें कर रहा था। इन बातों को लैरिसा काफी एन्जॉय भी कर रही थी। कुछ देर बात दोनों की बात एक सीरियस नोट पर पहुंच चुकी थी। प्यार क्या है? इस विषय पर चर्चा चल रही थी। एलेक्ज़ेंडर प्यार को कभी सबसे बड़ा सच कहता तो अगले ही पल प्यार को बहुत बड़ा धोखा करार देता था। धीरे-धीरे रात होती जा रही थी। तभी एलेक्ज़ेंडर ने लैरिसा को एक सिगरेट पीने को दी। लैरिसा ने सिगरेट होंठों के बीच रखी तो एलेक्ज़ेंडर ने लाइटर से सुलगा दी। 

मेरे कुत्ते की कब्र पर चलोगी?

सिगरेट पर जोक करते हुए एलेक्ज़ेंडर ने कहा कि गर्लफ्रेंड से बेहतर होती है सिगरेट जिसे आप कभी भी होंठों से लगा सकते हैं और वो कभी कोई नखरा नहीं करती। लैरिसा जोर से हंस पड़ी। थोड़ी ही देर बाद एलेक्ज़ेंडर ने कहा कि वो अपने चहेते कुत्ते की कब्र पर जाना चाहता है लैरिसा साथ चले तो उसे खुशी होगी। लैरिसा को यह बात अटपटी लगी कि एलेक्ज़ेंडर उसे अपने कुत्ते की कब्र पर ले जाना चाहता है। लैरिसा को एलेक्ज़ेंडर की कंपनी में मज़ा तो आ रहा था इसलिए वह तैयार हो गई। उसने अपने बेटे को मैसेज करते हुए बताया कि वह एलेक्ज़ेंडर के साथ पार्क में वॉक पर जा रही है और थोड़ी देर बाद लौटेगी। इस मैसेज पर उसने एलेक्ज़ेंडर का नंबर भी छोड़ दिया। दोनों ने अपने बैग्स उठाए और पार्क के आगे चल पड़े। पार्क में घने पेड़ों के बीच वॉक करते हुए दोनों काफी दूर एक सुनसान जगह पर पहुंच गए जहां रास्ता खत्म हो रहा था। यहां पहुंचकर एलेक्ज़ेंडर ने इस पार्क में लाशें मिलने का ज़िक्र छेड़ दिया। 

कत्ल की कहानियां सुना रहा था वो

एलेक्ज़ेंडर ने लैरिसा से पूछा कि तो यहां आने में उसे डर नहीं लग रहा। तब लैरिसा को हल्का सा डर लगा। एलेक्ज़ेंडर के चेहरे के भाव बदल रहे थे। इन हत्याओं के बारे में एलेक्ज़ेंडर ऐसी बातें कर रहा था जिनके बारे में अब तक लैरिसा ने टीवी या सोसायटी में किसी से नहीं सुना था। चूंकि एलेक्ज़ेंडर लैरिसा को इस वॉक के दौरान कुछ और सिगरेट्स भी पिला चुका था लिहाजा वो थकन महसूस कर रही थी। एलेक्ज़ेंडर ने लैरिसा से कहा कि तुम जिस पेड़ से चिपक कर खड़ी हो इसी पेड़ के पिछले हिस्से में कुछ दिन पहले एक लड़की की लाश मिली थी। लड़की का सिर इसी पेड़ के तने से बार-बार फोड़ा गया था। थकान से चूर लैरिसा ने पूछा कि तुम्हें कैसे पता? एलेक्ज़ेंडर ने जवाब देते हुए कहा कि तुम्हें भी सब पता चल चुका है। एलेक्ज़ेंडर पेड़ की छाल से लैरिसा के गाल खुरचने लगा। लैरिसा बोली क्या अब तुम मेरा कत्ल करने वाले हो? एलेक्ज़ेंडर ने कहा कि मेरे पास और क्या चारा है? तुम समझ सकती हो ना लैरिसा कि मेरे पास इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है।

नुकीली छाल से लैरिसा के गले को रेता

फिर एलेक्ज़ेंडर ने पेड़ की एक नुकीली छाल से लैरिसा के गले को रेत दिया। लैरिसा कुछ कहने की कोशिश करती रही और एलेक्ज़ेंडर धीरे-धीरे उसे तड़पता देखता रहा। कुछ ही पलों के बाद एलेक्ज़ेंडर ने ताकत से लैरिसा के गले और सिर पर ऐसा वार किया कि लैरिसा का दम निकल गया और वह उसी पेड़ से चिपकी हुई एक लाश बनकर रह गई। कुछ देर लैरिसा की लाश से अकेले बैठे बातें करता रहा एलेक्ज़ेंडर फिर अपने घर चला गया। घर पहुंचकर एलेक्ज़ेंडर ने शावर लिया। गुनगुनाते हुए वोदका की बॉटल खोली और अपने पैग बनाए। फ्रिज और किचन से खाने का बंदोबस्त करने के बाद टीवी देखने लगा। देर रात उसने डिनर किया और सोने चला गया। अगले दिन रोज़ की तरह एलेक्ज़ेंडर ने अपने सारे काम किए और अपनी डायरी लिखी। डायरी के बाद उसने अपने पसंदीदा चेसबोर्ड यानी शतरंज को निहारा और एक पेन से उस पर कुछ लिख दिया था।

अफ़सोस है मैं पूरे 64 कत्ल नहीं कर पाया

इसके अगले दिन यानी 16 जून को एलेक्ज़ेंडर के दरवाज़े पर दस्तक हुई। एलेक्ज़ेंडर ने दरवाज़ा खोला तो कुछ पुलिस अफसर दरवाज़े पर खड़े थे। उसने उन्हें अंदर आने को कहा और बाकायदा पानी पीने को दिया। इन अफसरों ने कहा कि उसकी कलीग लैरिसा की लाश मिली है और इसी सिलसिले में वो उससे कुछ पूछताछ करना चाहते हैं क्योंकि आखिरी बार एक कैमरे में लैरिसा उसके साथ देखी गई थी। इसके बाद एलेक्ज़ेंडर ने जो किया, उसने पुलिस अफसरों को हैरान कर दिया। एलेक्ज़ेंडर ने मुस्कुराते हुए कहा कि आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। रुकिए मैं आपको सबूत देता हूं। ये लीजिए..यह डायरी मेरे लिए बहुत कीमती है क्योंकि इसमें मैंने बहुत कुछ ऐसा लिखा है जो आपके बहुत काम आएगा और हां.. ये देखिए. ये मुझे बेहद अज़ीज़ चेसबोर्ड है। इसमें 64 खाने होते हैं। मुझे याद नहीं रहता इसलिए मैंने हर कत्ल की तारीख एक-एक खाने में लिखी है। मुझे बेहद अफसोस है ऑफिसर कि इस चेसबोर्ड के दो खाने खाली रह गए। अगर आप थोड़े वक्त के बाद आते तो। 

कत्ल किए बिना ज़िंदगी कैसी

ये सब सुनने के बाद पुलिस अफसरों की हैरानी का कोई ठिकाना नहीं रहा क्योंकि एलेक्ज़ेंडर ने यह भी कहा कि वो घबराएं नहीं, वह कोर्ट में भी सब कुछ सच कहेगा। पुलिस ने एलेक्जेंडर नाम के इस लड़के को गिरफ्तार कर लिया लेकिन किसी को यकीन नहीं आ रहा था कि जिसकी दहशत से पूरा रुस कांप रहा था वो एक क्लर्क होगा। हर न्यूज पेपर, टीवी चैनल में जिसकी चर्चा थी वो एक मामूली सा दिखने वाला लड़का था। एलेक्जेंडर की उम्र 32 साल थी। लेकिन एक सवाल पुलिस और आम लोगों के बीच गूंज रहा था कि आखिर ये लड़का हत्यारा कैसे बन गया। आखिर क्या दुश्मनी थी उसकी इन लोगों से? क्यों करता रहा ये मासूमों का कत्ल? लेकिन इन सवालों के जवाब में पिकुस्किन ने जो जवाब दिए उसे सुनकर पुलिस भी चौंक गई। 

हत्याओं के जरिए शोहरत की चाहत

दरअसल शैतान एलेक्ज़ेंडर हत्याओं के जरिए शोहरत पाना चाहता था। वो अपने ही देश के सबसे भयानकर सीरियल किलर एंद्रेई चिकोतिलो के 52 हत्या के रेकार्ड को तोड़ना चाहता था। उसने चिकोतिलो का रिकॉर्ड तो तोड़ दिया लेकिन अभी उसकी एक सनक और सामने आने वाली थी। पुलिस को उसके घर से एक चेसबोर्ड भी मिला जिसके हर खाने पर उसने मरने वाले का नाम लिख रखा था। इस चेस बोर्ड के 62 खाने भरे हुए थे और 2 खाली थे। जिसका मतलब साफ था। एलेक्ज़ेंडर अब तक 62 कत्ल कर चुका है, 64 खाने भरने के लिए वो 2 कत्ल और करने वाला था। इस पूरे हत्याकांड में चौंकाने वाली बात ये थी कि शहर में एक के बाद एक 62 कत्ल हो गए और पुलिस को सिर्फ 15 लाशें मिलीं। दरअसल ये कातिल कुछ इस तरह शातिराना अंदाज में हत्या करता था कि किसी को उस पर शक ना हो।

चेसबोर्ड के 62 खाने मरने वालों के नाम से भरे

ये सभी हत्याएं उसने एक या दो दिन में नहीं की बल्कि पूरे 14 साल में कीं। एलेक्ज़ेंडर ने पूछताछ में खुलासा किया उसने पहली हत्या 1992 में की वो भी सिर्फ 18 साल की उम्र में। उसका पहला शिकार बना उसका अपना ही एक दोस्त। दोस्त की हत्या के बाद पिचुस्किन डर गया और अगले 9 साल तक शांत रहा। 2001 में वो एक बार फिर हत्यारा बन गया। इस साल मई और जून के महीने में उसने 9 कत्ल किए। एलेक्ज़ेंडर बित्सविस्की पार्क के पास ही एक अपार्टमेंट में रहता था। वो पहले अपने शिकार से दोस्ती करता और फिर धोखे से बित्सविस्की पार्क लेकर आता था। यहां वो पहले उनके साथ हंसी मज़ाक करता और अचानक मौका देखकर अपने शिकार के सिर पर पीछे से वार करता और फिर लाश को पार्क की ही सीवर लाइन में बहा देता था। पिचुस्किन के शिकारों की लिस्ट में महिलाएं, बच्चे और मर्द सभी शामिल थे।

एलेक्ज़ेंडर के शिकारों की लिस्ट में महिलाएं, बच्चे और मर्द

वो चाहता था कि उसकी शिकार बनी हर लाश बरामद हो, क्योंकि हर लाश उसके कत्ल के वर्ल्ड रिकॉर्ड में जुड़ने वाली थी। उसका टारगेट था शतरंज के 64 खानों के हिसाब से 64 शिकार करने का। 62 खानों में तो वो मौत की कहानी लिख चुका था और एलेक्ज़ेंडर पकड़ में नहीं आता तो ये चार खाने भी भर जाते। दुनिया में बहुत से सीरियल किलर आए। हर किसी की एक अलग कहानी थी। कत्ल करने का सबका अलग मकसद था लेकिन सिर्फ शोहरत के लिए एलेक्ज़ेंडर बन गया चेसबोर्ड किलर। कत्ल करना एलेक्ज़ेंडर की मजबूरी नहीं उसका शौक था और अपने इस शौक के जरिए वो दुनिया में मशहूर होना चाहता था। अपनी इसी सनक के चलते उसने एक दो नहीं बल्कि पूरे 62 शिकार किए। उसने न सिर्फ लोगों को मारा बल्कि उनकी गिनती भी अपने पास रखी। एलेक्ज़ेंडर पर जब मुकदमा शुरु हुआ तो एक शीशे के चेंबर में बंद एलेक्ज़ेंडर ऐसे टहल रहा था जैसे उसने कुछ किया ही नहीं है।

50 मामलों के लिए दोषी को उम्रकैद की सजा

अदालत खचाखच भरी थी और हर निगाह इस हैवान पर टिकी थीं। एलेक्ज़ेंडर को भी 16 साल से इसी पल का इंतजार था जब दुनिया की नजरें उस पर हों। उसे पता था कि उसे सजा मिलने वाली है लेकिन सजा के खौफ से ज्यादा खुशी उसे इस बात की थी कि वो दुनिया का सबसे बडा सीरियल किलर बन चुका है। तफ्तीश और पड़ताल के बाद एलेक्ज़ेंडर के ट्रायल का आखिरी दिन आया सवा साल बाद यानी 24 अक्टूबर 2007 को एलेक्ज़ेंडर को हत्या और हत्या के प्रयास के करीब 50 मामलों के लिए दोषी पाया गया। अगर हम आपसे पूछें कि अदालत ने इस हैवान सीरियल किलर को क्या सज़ा दी होगी तो यकीनन आपका जबाव होगा सज़ा ए मौत लेकिन अदालत ने इसे सिर्फ उम्र कैद की सज़ा दी, क्योंकि रूस में मौत की सज़ा पर पाबंदी है। 

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