पुलिस का सिपाही कैसे बना लाखों लोगों का भगवान, सूरजपाल से साकार हरि उर्फ भोले बाबा बनने की पूरी कहानी

TANSEEM HAIDER

03 Jul 2024 (अपडेटेड: Jul 3 2024 3:23 PM)

उत्तर प्रदेश पुलिस में मौजूद रिकार्ड के मुताबिक पुलिस में नौकरी के दौरान सूरजपाल जाटव लगभग 18 पुलिस थानों के अलावा स्थानीय अभिसूचना इकाई यानि यूपी की एलआईयू (LIU) में भी अपनी सेवाएं दे चुका है। नौकरी में बहाली के बाद सूरजपाल ने अचानक ही वीआरएस (VRS) ले लिया।

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UP Hathras: यूपी के हाथरस में हुए हादसे के बाद संत भोले बाबा की जिंदगी के बरसों से बंद पन्ने भी अब पलटे जा रहे हैं। हादसे में 121 से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। यूं तो हादसे के बाद सवालों का अंबार लगा है लेकिन इन सवालों में सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि बाबा भोले दरअसल है कौन? बाबा का इतिहास क्या है? तो आइए आपको बाबा की पैदाइश से लेकर अब तक की पूरी कहानी सिलसिलेवार बताते हैं।

कौन हैं संत भोले बाबा?

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दरअसल बाबा का असली नाम सूरज पाल सिंह है। नारायण साकार हरि एटा ज़िले से अलग हुए कासगंज ज़िले के पटियाली में बहादुरपुर गांव के रहने वाले हैं। सूरज पाल सिंह ने उत्तर प्रदेश पुलिस की नौकरी की। इस दौरान वो यूपी पुलिस की एलआईयू यानि लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (LIU) में तैनात थे। सूरज पाल सिंह यानि नारायण साकार पुलिस विभाग में कांस्टेबल की नौकरी करते थे।

'बाबा' पर लगे हैं यौन शोषण के आरोप

जानकार बताते हैं कि साल 1990 के आसपास सूरज पाल ने पुलिस की नौकरी छोड़ दी। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक हेड कांस्टेबल की नौकरी के दौरान 28 साल पहले बाबा यूपी के इटावा में भी पोस्टेड रहे। नौकरी के दौरान ही रेप व छेड़छाड़ का मुकदमा लिखे जाने के बाद सूरज पाल को जेल जाना पड़ा। छेड़खानी वाले मामले में सूरजपाल एटा जेल में काफ़ी लंबे समय तक क़ैद रहे।

पुलिस की एलआईयू में तैनात थे बाबा

यौन शोषण का केस दर्ज होने बाद पुलिस विभाग ने पहले तो सूरज पाल को सस्पेंड किया और बाद में उसे बर्खास्त कर दिया गया। हालांकि जानकारों के मुताबिक पुलिस सेवा से बर्खास्त होने के बाद सूरजपाल अदालत की शरण में गए और फिर कोर्ट से उनकी नौकरी बहाल हो गई। बाबा के जानने वालों का दावा है कि साल 2002 में आगरा ज़िले से सूरजपाल ने पुलिस विभाग से वीआरएस (VRS) ले लिया था।

यूपी के 18 पुलिस थानों में थी तैनाती

उत्तर प्रदेश पुलिस में मौजूद रिकार्ड के मुताबिक पुलिस में नौकरी के दौरान सूरजपाल जाटव लगभग 18 पुलिस थानों के अलावा स्थानीय अभिसूचना इकाई यानि यूपी की एलआईयू (LIU) में अपनी सेवाएं दे चुके थे। नौकरी में बहाली के बाद सूरजपाल ने अचानक से वीआरएस (VRS) ले लिया और पटियाली के गांव बहादुरनगर में अपनी झोपड़ी से ही सत्संग की शुरुआत कर दी। 

बाबा के दामन पर लगें हैं कई दाग़

सूरजपाल उर्फ़ भोले बाबा की प्राइवेट लाइफ की बात करें तो पता चलता है कि सूरजपाल को मिलाकर परिवार में तीन भाई हैं। सबसे बड़े सूरजपाल हैं, दूसरे नंबर पर भगवान दास हैं, जिनकी मौत हो चुकी है जबकि तीसरे नंबर पर राकेश कुमार हैं, जो पूर्व में ग्राम प्रधान भी रह चुके हैं। अब तक के खुलासों की बात करें तो संत भोले बाबा पर यौन शोषण समेत पांच अन्य गंभीर मुकदमे दर्ज हैं।

मुर्दों को जिंदा कर देने का दावा

बाबा के जानने वाले बताते हैं कि उनके समर्थकों की तादाद मुर्दे को जिंदा कर देने के एक दावे के बाद बढ़ी। दरअसल आगरा में एक बच्ची की मौत हो गई थी। बच्ची की मौत के बाद बाबा ने दावा किया था कि वो बच्ची को जिंदा कर सकते हैं। जिसके बाद बाबा पर मुकदमा दर्ज किया गया था। सूरजपाल को डर था कि उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है यही वजह रही कि उन्होंने पांच साल पहले ही गांव छोड़ दिया था। सूरजपाल ने फिलहाल राजस्थान में अपना ठिकाना बना रखा है। 

क्या है पूरा मामला?

उत्तर प्रदेश के हाथरस में सिकंदराराऊ थाना इलाके में बाबा का सत्संग था। सत्संग का आयोजन फुलरई गांव में किया गया था। बाबा का काफिला गुजरने के दौरान सत्संग स्थल पर भगदड़ मच गई। इस हादसे में 121 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में ज्‍यादातर महिलाएं और बच्‍चे हैं। हादसे में 150 से अधिक लोग जख्मी भी हुए हैं। बाबा फिलहाल फरार बताया जा रहा है।

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