10 Cr के कर्ज ने ले ली कारोबारी और उसकी पत्नी की जान, रुला देने वाले सुसाइड नोट ने खोले कई राज, दो दिन बाद भी नहीं मिली मोना की लाश

Saharanpur Couple Suicide: सहारनपुर के सर्राफा कारोबारी ने कर्ज के बोझ में दबकर पत्नी के साथ मिलकर खुदकुशी कर ली। दोनों ने एक साथ गंगा में छलांग लगाई। कारोबारी सौरभ बब्बर की लाश तो पुलिस को मिल गई लेकिन उसकी पत्नी मोना बब्बर की लाश दो दिन बाद भी अभी तक नहीं मिली है। लेकिन उन दोनों के लिखे हुए सुसाइड नोट से पुलिस को कई बातें पता चली हैं।

CrimeTak

14 Aug 2024 (अपडेटेड: Aug 14 2024 1:30 PM)

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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सौरभ की पत्नी मोना की लाश अब तक नहीं मिली

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सुसाइड नोट से पुलिस ने खोल दिए कई राज

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10 करोड़ रुपये के कर्ज में दबा था सर्राफा कारोबारी

 Saharanpur Couple Suicide: कर्ज का बोझ कितना भारी होता है, जिसके भार के नीचे दबकर न जाने कितनी सांसें टूट गईं। सहारनपुर के सर्राफा कारोबारी सौरभ बब्बर का भी शायद कुछ ऐसा ही हाल था, तभी तो बीते सोमवार को उसने अपनी पत्नी मोना बब्बर का हाथ पकड़ा और इस दर्द से हमेशा हमेशा के लिए छुटकारा पाने की गरज से गंगा में छलांग लगा दी।

मोना बब्बर का कहीं पता नहीं चला

कितना अजीब इत्तेफाक है कि जिस मोना के साथ उसने साथ साथ जीने की कसम खाई थी जिंदगी में कभी न छोड़ने का वायदा किया था, हर दम हर पल साथ निभाने का वचन दिया था, उसी पत्नी के संग वो उस रोज मोटरसाइकिल में बैठकर गंगा बैराज तक गया, वहां उसने अपनी जिंदगी की आखिरी सेल्फी ली, और एक दूसरे का हाथ पकड़कर गंगा की तेज धारा में छलांग लगा दी। इस घटना को दो रोज हो चुके हैं। कारोबारी सौरभ का शव सोमवार को गंगनहर के किनारे से बरामद हो गया, जबकि पत्नी मोना बब्बर का अभी तक कुछ पता नहीं लग सका।

सुसाइड नोट की दर्दनाक इबारत

पुलिस और गोताखोर महिला की तलाश कर रहे हैं। सौरभ और मोना के दो बच्चे हैं, जिन्हें वो नानी के घर छोड़ आए थे। बेटी की उम्र 11 साल जबकि बेटा अभी 7 साल का है। बीते रोज जब बेटे ने पिता सौरभ को मुखाग्नि दी तो उसे देखकर सारा घर और सारा मोहल्ला तिलमिलाकर रो पड़ा। मरने से पहले कारोबारी सौरभ ने वॉट्सऐप पर एक सुसाइड नोट अपने रिश्तेदारों को भेज दिया था। इस नोट पर लिखी इबारत इतनी दर्दनाक है कि पढ़ने वाला सिहर उठता है। सुसाइड नोट पर लिखा है- 'मैं इस कर्ज के दलदल में इस कदर फंस गया हूं कि बाहर ही नहीं निकला पा रहा हूं। मरने से पहले की फोटो हम सभी को शेयर कर देंगे।'

सुसाइड करने वाले सौरभ की डेड बॉडी से मिल गई लेकिन मोना बब्बर की लाश का कहीं कोई अता पता नहीं

कॉपी के पन्ने पर सुसाइड नोट

ये भी अजीब इत्तेफाक है कि सौरभ और मोना के दस्तखत वाला सुसाइड नोट जिस कॉपी के पन्ने पर लिखा गया, उस पन्ने के सबसे ऊपर 'प्रदीप' लिखा हुआ है। प्रदीप का मतलब होता है रोशनी, और ये इत्तेफाक ही है कि जिस पन्ने पर लिखी इबारत से अंधेरे में भटकते इंसान को जिंदगी की रोशनी दिखनी चाहिए, उसी पन्ने पर मौत का गहरा अंधेरा और कर्ज का अंधेर छाया हुआ मिला।

सुसाइड नोट में छुपा राज

पुलिस का अंदाजा है कि ये सुसाइड नोट खुद सौरभ ने नहीं लिखा बल्कि उसने बोला और उसे कॉपी के पन्ने पर सौरभ की पत्नी मोना ने लिखा। इस अंदाजे के पीछे पुलिस का तर्क ये है कि उस सुसाइड नोट में सौरभ और मोना बब्बर के दस्तखत भी हैं। उन्हीं दस्तखतों से पुलिस को ये अंदाजा मिला कि सुसाइड नोट लिखने वाली शायद मोना होगी क्योंकि दस्तखत करते समय मोना ने अपने दस्तखत के नीचे दो लाइनें खींची थी, जबकि सौरभ के दस्तखत प्लेन हैं। उसी तर्ज पर सुसाइड नोट की इबारत के नीचे इस दुनिया को अलविदा लिखने के बाद भी दो लाइनें खींची गई हैं। पुलिस के एक्सपर्ट बताते हैं कि हरेक के लिखने का एक पैटर्न होता है, जो उसके दस्तखत और उसकी लिखने के तरीके में झलकता है। इसलिए ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि दोनों पति पत्नी ने शायद घर पर ही बैठकर पहले ये सुसाइड नोट लिखा और उसके बाद खुदकुशी के लिए दोनों बाइक पर घर से निकले। 

सौरभ बब्बर को उसके सात साल के बेटे ने दी मुखाग्नि

सौरभ ने कुछ रोज पहले ही खरीदी थी बाइक

पता चला है कि सौरभ बब्बर की मोहल्ले में ही श्री साई ज्वेलर्स की दुकान है। रविवार की रात सौरभ बब्बर पत्नी मोना बब्बर के साथ हरिद्वार गए थे। सोमवार को उनका शव हरिद्वार में हर की पेड़ी पर मिला है। पत्नी लापता है। दोनों बहादरा बाद गंग नहर में कूदे हैं। सौरभ ने हाल ही में बाइक खरीदी थी। सौरभ के यहां कमेटी भी डाली जाती थी। 

सौरभ पर था 10 करोड़ का कर्ज

रानीपुर थाना के प्रभारी विजय सिंह ने बताया कि महिला का शव अभी नहीं मिला है और उसकी तलाश की जा रही है। विजय सिंह ने बताया कि जानकारी मिली है कि सौरभ पर करीब 10 करोड़ रुपये का कर्ज था। विजय सिंह ने बताया कि आत्महत्या से पहले सौरभ और उनकी पत्नी ने जो नोट लिखा उसमें यही दर्ज किया है कि वह कर्ज के दलदल में इस कदर फंसे हैं कि अब बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा और इसलिए वे अपना जीवन समाप्त कर रहे हैं।

मकान और दुकान बच्चों के नाम

उसी सुसाइड नोट में सौरभ ने अपनी दुकान व मकान दोनों बच्चों के लिए छोड़ने की बात लिखी। सुसाइड नोट में लिखा कि ‘‘हमने उन्हें अपने नाना-नानी के पास छोड़ दिया है क्योंकि उन्हें केवल उन्हीं पर भरोसा है।’’ सौरभ ने आत्महत्या से पहले अपनी दुकान पर काम करने वाले गोलू को एक ऑडियो संदेश भी भेजा था जिसमें उन्होंने कहा कि ‘‘यह सबको बता देना, हम लोग हरिद्वार में हैं और अब मरने जा रहे हैं।’

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