Sagar Dhankar Murder : सुशील पहलवान के साथ मर्डर में शामिल 2 आरोपी मजदूर बन छुपे थे, ऐसे पकड़े गए

Sagar Dhankar Murder : सागर धनकड़ की हत्या में शामिल सुशील पहलवान के अलावा दो फरार साथियों को अब पुलिस ने गिरफ्तार किया है. दोनों पहचान छुपाकर रह रहे थे. दिल्ली क्राइम ब्रांच Delhi Police ने दबोचा.

CrimeTak

08 Dec 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:31 PM)

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Sagar Dhankar Murder Case : दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सागर धनकड़ मर्डर में शामिल रहे सुशील पहलवान (Wrestler Sushil Kumar) के अलावा फरार रहने वाले 2 साथियों को गिरफ्तार किया है.  पुलिस ने इन दोनों आरोपियों के बागपत के एक गांव से गिरफ्तार किया है. पकड़ में आए आरोपियों के नाम अंकित डबास और जोगिंदर काला है.

पुलिस के मुताबिक, दोनों आरोपी चकमा देने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहे थे. कभी किसान आंदोलन के दौरान किसान बनकर टिकरी बॉर्डर पर रहे तो कभी हरिद्वार के धर्मशाला में नाम बदल कर छिपे हुए थे. अभी जब इनकी गिरफ्तारी हुई तब ये दोनों मजदूर बनकर बागपत के गांव में खेतों में काम कर रहे थे. दोनों आरोपियों पर पुलिस ने 50-50 हजार रुपयों का इनाम घोषित कर रखा था.

5 मई 2021 को हुआ था सागर धनकड़ मर्डर कांड

5 मई 2021 को ओलंपियन सुशील पहलवान और उसके साथियों ने दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में यंग रेसलर सागर धनकड़ और उसके दो साथियों की लाठी-डंडों से पिटाई कर दी थी. इतनी बुरी तरह से पिटाई की गई थी कि इलाज के दौरान सागर धनकर की अस्पताल में मौत हो गई थी. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने सुशील पहलवान समेत 18 लोगों को गिरफ्तार किया था. लेकिन अंकित और जोगिंदर काला फरार थे. पुलिस ने को कई जगहों पर तलाशी की और जब यह नहीं मिले तो इनकी गिरफ्तारी पर इनाम भी रखा.

क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर को इनके बागपत में छिपे होने की जानकारी जिसके बाद पुलिस कितनी वहां पर पहुंची और खुद मजदूर बनकर वहां खेतों पर काम तलाशने लगी और मजदूरों के बीच आरोपियों को ढूंढने लगी. उसके बाद फिर कहीं जाकर पुलिस ने दोनों आरोपियों को 7 दिसंबर बुधवार की देर शाम गिरफ्तार किया.

पुलिस के मुताबिक, 5 मई के बाद से ही दोनों फरार हो गए थे.  वारदात वाले दिन इन्हें अजय ने फोन करके छत्रसाल स्टेडियम बुलाया था. वारदात के बाद भागने के दौरान ये सबसे पहले तो टिकरी बॉर्डर पर किसान बन कर रहे फिर वहां से जब किसान आंदोलन समाप्त हो गया तो यह हिमाचल प्रदेश चले गए. वहां पर मजदूरी किए और फिर बागपत में खेतों में काम करने लगे।

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