Rakesh Tikait: किसान आंदोलन से क्यों दूर हैं राकेश टिकैत, इस बार कौन कर रहा है किसान आंदोलन की अगुवाई?

Farmer Protest: हजारों की संख्या में किसान पंजाब से दिल्ली की ओर कूच कर चुके हैं.

Crime Tak

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13 Feb 2024 (अपडेटेड: Feb 16 2024 2:05 PM)

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Farmer Protest: हजारों की संख्या में किसान पंजाब से दिल्ली की ओर कूच कर चुके हैं. इन किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों की खरीद की गारंटी दी जाए. 2020 के बड़े किसान आंदोलन की तरह इसमें 50 से ज्यादा किसान संगठन शामिल हैं. लेकिन एक बात चौंकाने वाली है और हर किसी के मन में ये सवाल आ रहा है कि 2020 में किसान आंदोलन का चेहरा बनने वाले राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) कहां हैं. वो इस आंदोलन में नजर नहीं आ रहे हैं, जो उस दौरान इसका चेहरा बने थे और उनके विचार भी हर दिन मीडिया कवरेज मिला. उनकी एक अपील पर भी पश्चिमी यूपी और हरियाणा से हजारों की संख्या में किसानों ने गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर पर डेरा डाल दिया था.

राकेश टिकैत कहां हैं? 

तो फिर सवाल ये है कि इस वक्त राकेश टिकैत कहां हैं? दरअसल, नवंबर 2020 में सभी किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा का गठन किया गया था. इस संगठन में गुरनाम सिंह चादुनी, जोगिंदर सिंह उगराहां, बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शन पाल जैसे नेता शामिल थे. इसके अलावा राकेश टिकैत भी गाज़ीपुर बॉर्डर पर मोर्चा संभाले हुए थे. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. खबरों के मुताबिक संयुक्त किसान मोर्चा में फूट पड़ गई है. इस संगठन का गठन किसानों के मुद्दे पर सरकार से बातचीत के लिए किया गया था. सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच 11 दौर की बातचीत भी हुई और कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया.

कहां हैं टिकैत और गुरनाम सिंह चादुनी जैसे नेता? | File photo

सिंघु बॉर्डर बंद

इसके बाद आंदोलन खत्म हो गया और यूपी, हरियाणा, पंजाब समेत विभिन्न राज्यों के किसान घर लौट गए. लेकिन चीजें तब खराब हो गईं जब 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव आए. यह चुनाव किसानों के एक समूह ने लड़ा था जो आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन चाहता था. एक समूह दूर रहना चाहता था. आख़िरकार बलबीर सिंह राजेवाल के नेतृत्व में संयुक्त किसान मोर्चा बना और 93 सीटों पर चुनाव लड़ा. हालांकि सभी सीटों पर उनकी जमानत जब्त हो गई. पिछले महीने ही बलबीर सिंह राजेवाल के नेतृत्व में वे 5 संगठन संयुक्त किसान मोर्चा में लौट आए, जिन्होंने चुनाव लड़ा था.

फिर भी मतभेद ख़त्म नहीं हुए. इस बार आंदोलन का नेतृत्व जगजीत सिंह दल्लेवाल कर रहे हैं और उन्होंने एकतरफा तौर पर दिल्ली कूच का ऐलान किया है. इसके अलावा नए संगठन किसान मजदूर संघर्ष समिति के प्रमुख सरवन सिंह पंधेर भी आंदोलन का चेहरा बन गए हैं. कहा जा रहा है कि पुराने नेताओं को विश्वास में नहीं लिया गया है. बताया जा रहा है कि फंड के दुरुपयोग, विदेशी फंडिंग जैसे कई मुद्दों पर किसान नेताओं के बीच मतभेद हैं। कई पुराने नेताओं का कहना है कि वे इस आंदोलन का हिस्सा नहीं हैं. वहीं कुछ ने इंतजार करो और देखो की रणनीति अपनाई है.

कहां हैं टिकैत और गुरनाम सिंह चादुनी जैसे नेता?

इस बारे में पूछे जाने पर गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि मुझे कोई निमंत्रण नहीं मिला है. मेरे इस आंदोलन को लेकर कोई सुझाव नहीं लिया गया. कुछ संगठनों ने अपने स्तर पर यह निर्णय लिया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी कर कहा है कि हम हिस्सा नहीं लेंगे और ये गलत रुख है. जिन संगठनों ने इस आंदोलन से खुद को अलग कर लिया है उनमें भारतीय किसान यूनियन (चढूनी), भारतीय किसान यूनियन (टिकैत), भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) शामिल हैं। एकता उगराहां ग्रुप का कहना है कि वे 24 फरवरी से चंडीगढ़ में पंजाब सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. इसके अलावा हरियाणा और यूपी के तमाम किसान आंदोलन भी इससे दूर हैं. इसी वजह से यूपी और हरियाणा से लगी दिल्ली की सीमाओं पर फिलहाल ज्यादा तनाव नहीं है.

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