पूरी दुनिया में अफगानिस्तान में तालिबान की खुशी अगर किसी को हुई है तो वो है पाकिस्तान, शायद इसीलिए तालिबान की तारीफ़ में कसीदे पढ़ रहे हैं 'तालिबान खान'। इमरान खान को यूं भी तालिबान खान कहा जाता रहा है क्योंकि उनका झुकाव हमेशा से तालिबान की तरफ रहा है। अब अफगानिस्तान में तालिबान के आने से जहां दुनिया के हर देश काबुल में अपने दूतावास बंद कर रहे हैं, वहीं पाकिस्तान ने काबुल में अपने दूतावास को बंद नहीं करने का फैसला लिया है। अफगानिस्तान की हालिया स्थिति पर इमरान खान पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने तालिबान की तारीफ की है।
तालिबान की तारीफ़ में कसीदे पढ़ रहे हैं 'तालिबान खान'
pakistan china and iran openly supports taliban government in afghanistan imran khan praised
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16 Aug 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:03 PM)
अफगानिस्तान में तालिबान के आने से खुश इमरान
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अफगानिस्तान में तालिबान का राज लौटने से भले ही लाखों लोग बेचैन हैं और अपने ही वतन को छोड़ने के लिए मजबूर हैं, लेकिन 'तालिबान खान' कहे जाने वाले इमरान खान ने एक बार फिर से अपने खतरनाक मंसूबे जाहिर कर दिए हैं। पाक पीएम इमरान खान ने तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने का स्वागत किया। यही नहीं उन्होंने तालिबान की वापसी को 'दासती की जंजीरों को तोड़ने वाला' बताया है।
इमरान खान ने कहा, 'जब आप दूसरे का कल्चर अपनाते हैं तो फिर मानसिक रूप से गुलाम होते हैं। याद रखें कि ये वास्तविक दासता से भी बुरा है। सांस्कृतिक गुलामी की जंजीरों को तोड़ना आसान नहीं होता है। अफगानिस्तान में इन दिनों जो हो रहा है, वो गुलामी की जंजीरों को तोड़ने जैसा है।' बता दें कि तालिबान ने काबुल शहर पर भी कब्जा जमा लिया और अमेरिका समर्थित सरकार के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर ही भाग गए हैं। वहीं काबुल एयरपोर्ट पर लोगों का हुजूम उमड़ रहा है, जो देश छोड़कर निकलना चाहते हैं।
तालिबान से क्यों खुश हैं ईरान, रूस, चीन और पाकिस्तान?
महिलाओं, युवाओं और आधुनिकतावादी विचारों को मानने वाले लोगों के लिए खतरनाक तालिबान का चीन और ईरान ने भी स्वागत किया है। एक तरफ चीन ने उम्मीद जताई है कि तालिबान का शासन स्थायी होगा तो वहीं ईरान का कहना है कि अमेरिका की हार से स्थायी शांति की उम्मीद जगी है।
अफगानिस्तान में तालिबान का राज आने के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने अपने दूतावासों को ही बंद कर दिया है और राजनयिकों को वापस निकाल रहे हैं। वहीं ईरान, चीन, रूस और पाकिस्तान जैसे देशों ने तालिबान में अब भी अपने दूतावासों में काम जारी रखा है। इसके अलावा इनकी ओर से तालिबान की सरकार को मान्यता दिए जाने के भी संकेत मिले हैं। चीन ने तालिबान के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई है और कहा है कि वह समावेशी सरकार देगा। चीन ने सोमवार को कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि तालिबान अपने वादे पर खरा उतरेगा और देश में खुली एवं समावेशी विचारों वाली सरकार बनाएगा।'
बता दें कि ईरान, रूस और चीन की अमेरिका से कई मुद्दों पर असहमति रही है। ऐसे में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी को ये तीनों ही देश अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए एक अवसर के तौर पर देख रहे हैं। रूस ने तो तालिबान से पहले ही बात शुरू कर दी थी। चीन ने सोमवार को कहा कि तालिबान को काबुल में मौजूद विदेशी मिशनों को सुरक्षा देने और सभी को लेकर चलने के अपने वादे पर काम करना होगा।
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