Wayanad में 4 घंटे में 4 Landslide, ऐसे तबाह हो गए 22 हजार की आबादी वाले चार गांव, जो रात बिस्तर पर सोया, सुबह मलबे में दबा मिला

Wayanad Landslide: केरल के वायनाड में चार घंटे के दौरान चार लैंडस्लाइड हुई और 22 हजार की आबादी वाले चार गांव सुबह मलबे में दबे मिले। यहां मरने वालों की संख्या अब तक 156 का आंकड़ा पार कर चुकी है जबकि 100 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं। मौसम यहां राहत और बचाव के काम में सबसे बड़ा विलेन बनकर खड़ा हो गया है। खराब मौसम की वजह से हेलीकॉप्टर तक उड़ान नहीं भर पा रहे।

CrimeTak

30 Jul 2024 (अपडेटेड: Jul 31 2024 2:34 PM)

follow google news

न्यूज़ हाइलाइट्स

point

वायनाड में चार घंटे में चार बार लैंडस्लाइड

point

22 हजार की आबादी वाले बह गए चार गांव

point

कई बस्तियों तक पहुँचने के सारे रास्ते ही खत्म हो गए

Kerala Wayanad Landslide: भयंकर तबाही, 4 घंटे में 4 लैंडस्लाइड, पल भर 4 गांव त्राहि-त्राहि, जहां पहले गांव...वहां अब मलबा। 158 से ज्यादा मौत, 100 से ज्यादा लापता, रात-दिन राहत बचाव, मोर्चे पर डटी सेना, रेस्क्यू में बारिश की आफत। ये कहानी है वायनाड की। जहां चारो तरफ सिर्फ और सिर्फ तबाही की ही कहानी बिखरी हुई है। जहां कहीं गांव थे, जहां बस्तियां थीं जहां घर थे, जहां जिंदगी सांस ले रही थी वहां अब मलबों का ढेर है। 
पल भर में कई जिंदगी खत्म हो गई। पहाड़ों से आया सैलाब-पत्थरों मलबों के अंबार में सब कुछ तहस-नहस हो गया। अब तो बस मौत का सन्नाटा है। चीख-पुकार है सिसकियां है। और है लापता हुए अपनों की तलाश। 

ऐसी तबाही, चार गांवों का अता पता तक नहीं

केरल के वायनाड में अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी आई। महज चार घंटे में चार जगहों पर ऐसा सैलाब आया कि चार गांवों को कोई अता-पता नहीं है। अब तो बस मलबा बचा है और मलबे के अंदर से निकलते बेजान जिस्म। ड्रोन की तस्वीरें बताने के लिए काफी हैं कि तबाही का मंजर कैसा है। घर, सड़क हर तरफ मलबों का कब्जा है। यहां तक कि सड़कों और पुलों को कैमरे भी तलाश नहीं कर पा रहे है। लैंडस्लाइड सोमवार देर रात 2 बजे और 4 बजे के करीब मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में हुई थीं। 

वायनाड में तबाही का मंजर

राहत और बचाव के काम में लगे 1200 लोग

सेना, वायुसेना और नौसेना सभी राहत और बचाव में रात-दिन जुटी हैं। करीब 1200 से ज्यादा लोग राहत के काम में लगे हुए हैं। जहां कहीं रास्ते नहीं बचे वहां हेलिकॉप्टर की मदद ली जा रही है। लेकिन राहत और बचाव के काम में भी मौसम दुश्मन बनकर बैठा हुआ है। असल समस्या ये है कि मुंडक्कई और चूरलमाल के बीच पुल ढहने से पीछे का पूरा इलाका अलग-थलग पड़ गया। करीब 100 मीटर चौड़ी चुन्नरमाला नदी उफान पर है। NDRF की एक छोटी टीम किसी तरह नदी पारकर दूसरी दूसरी ओर पहुंचने में कामयाब रही। इसी टीम की मदद से अबतक करीब 800 लोगों को रेस्क्यू किया गया। 

मौसम बन गया विलेन

आफत अभी खत्म नहीं हुई। बारिश का अब भी अलर्ट है...। डर है कि कहीं फिर से अरब सागर से बादलों का ऐसा अंबार न खड़ा हो जाए कि - तबाही का एक और दौर चल पड़े। 
इसी बीच केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने सीनियर अधिकारियों और मंत्रियों के साथ मिलकर एक समीक्षा बैठक की। बैठक में तय किया गया कि जैसे भी हो राहत और बचाव के काम को जितनी तेज हो सके चलाया जाए ताकि मलवों में फंसी और दबी जिंदगियों को बचाया जा सके। मीटिंग में बताया गया कि अभी तक मलबों में तब्दील हो चुके गांवों से 128 शव बरामद किए गए हैं जिनमें से 73 शवों की पहचान हो चुकी है। खुलासा ये भी है कि अभी तक सुबह 11 बजे तक 91 शवों का पोस्टमॉर्टम किया जा चुका है। 

खराब मौसम की वजह से नहीं उड़ पा रहे हैं हेलीकॉप्टर

मलबे में दबी जिंदगियां

 यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि कल तक जहां हरियाली ही हरियाली का नजारा था वहां वहां मौत का मलबा नजर आ रहा है। जो तस्वीरों में सामने आई हैं उसमें सिर्फ कीचड़, तबाही और कोहराम के अलावा कुछ भी नहीं है। जो मंजर नज़र आ रहा है उसमें कीचड़ और बाढ़ का पानी बहता नजर आ रहा है। जहां तक कल बस्तियां हुआ करती थी वहां अब सिर्फ तबाही का मंजर है। बारिश के बाद खिसकी जमीन के साथ दफ्न हुए मकानों के मलबे हैं। रिहाइशी इलाके से बहकर आई एक कार की हालत और उसकी तस्वीर को देखकर साफ साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि देर रात केरल के इस इलाके में कैसे कहर टूटा था। 

केरल में भूस्खलन के बाद आई भारी तबाही

कीचड़ के मलबे में दबी बस्तियां 

30 जुलाई की पौ फटने से बहुत पहले ही मौत के इस मलबे में जिंदगी की तलाश शुरू होने लगी थी। पता चला था कि केरल के वायनाड (Wayanad) जिले के मेपाड्डी, मुंडक्काई, चूरलमाला, अत्तामाला, नूलपुझा जैसे इलाकों में जबरदस्त बारिश के बाद भूस्खलन हुआ है और तमाम बस्तियां कीचड़ के मलबे में दब गई हैं। 

नदियों ने बदल लिया रास्ता

इस हालात का पता चलते ही फौरन रेस्क्यू का काम भी शुरू हुआ। लेकिन जो भी इस मौके पर पहुँचा उसके वहां का मंजर देखकर होश उड़ गए। क्योंकि वहां न तो कोई मकान साबूत नहीं बचा था। जो एक दो बच भी गए थे तो उनका ढांचा पहचानना मुश्किल हो गया था। सैकड़ों पेड़ उखड़कर बह चुके थे, जिधर भी नज़र जाती बस तबाही के सबूत नज़र आते। भूस्खलन के बाद हालात कुछ ऐसे बन गए कि नदियों तक ने अपना रास्ता बदल लिया।रात भर में दो बार टूटा कहर।

हेल्पलाइन नंबर जारी

हादसे की भयावहता को देखते हुए सेना से रेस्क्यू ऑपरेशन का अनुरोध किया गया था, जिसके बाद सेना ने 4 टुकड़ियां जुटाई गई हैं. इनमें 122 इन्फैंट्री बटालियन (प्रादेशिक सेना) की दो टुकड़ियां और कन्नूर के DSC सेंटर की 2 टुकड़ियां शामिल हैं. बचाव अभियान के लिए अब तक तैनात सेना की कुल संख्या लगभग करीब 1200 है, जिसमें चिकित्साकर्मी भी शामिल हैं। इलाके के सीएमओ के मुताबिक भारी बारिश के बाद वायनाड में भूस्खलन हुआ है. यहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने एक कंट्रोल रूम स्थापित कर लिया है। सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर 9656938689 और 8086010833 भी जारी किए गए हैं।

वायनाड में आई इस तबाही के बाद बस्तियों की बस्तियां मलबे में दब गईं

तबाही के बीचो बीच

वायनाड के कलपेट्टा शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर हुई इस त्रासदी में  चूरलमाला इलाके में सबसे ज्यादा तबाही हुई है। सुबह जब राहत बचाव का काम शुरू हुआ तो सिविल डिफेंस, पुलिस, दमकल विभाग, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ के करीब 250 जवान राहत बचाव में जुटे। सेना ने 122 इनफैन्ट्री से करीब 225 सैन्यकर्मियों को राहत बचाव के लिए भेजा और इंडियन एयरफोर्स ने कोयंबटूर के सुलूर एयरबेस से 2 हेलिकॉप्टर रवाना किए। 
वायनाड के चूरलमाला इलाके में तो राहत बचाव शुरू हुआ लेकिन मुंडाकाई इलाके में सुबह सुबह कोई पहुंच भी नहीं पाया क्योंकि वहां जाने वाले रास्ते में रोड ब्रिज सब तबाह हो चुके थे।

 

    यह भी पढ़ें...
    follow google newsfollow whatsapp