'जमानत मिली तो गवाह दबाव में आ सकते हैं', केजरीवाल की जमानत पर अगले हफ्ते आ सकता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

CM Arvind Kejriwal Delhi Liquor Case Supreme Court Reserves Order: दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में आखिरकार दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत अर्जी पर फैसला सुरक्षित रखा दिया है। केजरीवाल को पहले ईडी ने अरेस्ट किया था, लेकिन उस मामले में जमानत मिलने के बाद सीबीआई ने उन्हें जेल से ही गिरफ्तार कर लिया था। 

CrimeTak

• 05:37 PM • 05 Sep 2024

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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केजरीवाल की बेल पर फैसला सुरक्षित

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दोनों पक्षों की दलीलें पूरी

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अगले हफ्ते आ सकता है फैसला

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने CBI मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी पक्ष को लिखित दलील जमा करनी है तो वो शनिवार तक जमा कर दे। केजरीवाल को पहले ईडी ने अरेस्ट किया था, लेकिन उस मामले में जमानत मिलने के बाद सीबीआई ने उन्हें जेल से ही गिरफ्तार कर लिया था। वो पिछले महीनों से जेल में बंद हैं। इससे पहले जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने मामले पर सुनवाई की। केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए, जबकि सीबीआई की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलीलें दी। इस दौरान सीबीआई के वकील ने कहा- अगर अरविंद केजरीवाल को बेल मिलती है तो उनके दबाव में गवाह अपने बयान से मुकर सकते हैं। 

क्या कहा केजरीवाल के वकील ने?

अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा- आज का मामला सिर्फ सीबीआई केस से जुड़ा हुआ है। केजरीवाल समाज के लिए खतरा नहीं है। शुरुआती एफआईआर में केजरीवाल का नाम नहीं है। उन्हें इस मामले में दो साल बाद गिरफ्तार किया गया। ईडी मामले में पहले ही कोर्ट ने सीएम की रिहाई का आदेश दिया था। ये सीबीआई की इन्श्योरेंस अरेस्टिंग है। यानी गिरफ्तारी इसलिए की गई ताकि केजरीवाल को जेल में ही रखा जा सके। दो साल तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई थी। इस बाबत कोर्ट के तीन आदेश मेरे पक्ष में है।

उधर, सीबीआई के वकील ने केजरीवाल की जमानत का विरोध किया।

सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को सत्र न्यायालय जाना चाहिए था। यही बात दिल्ली हाईकोर्ट ने भी अपने आदेश में केजरीवाल से कही थी। हाईकोर्ट ने केजरीवाल को निचली अदालत में जमानत अर्जी दाखिल करने की छूट दी थी, लेकिन केजरीवाल सत्र न्यायालय जाने की बजाय सुप्रीम कोर्ट चले आए। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के केजरीवाल की जमानत पर सुनवाई किए बगैर निचली अदालत जाने के लिए कहने पर सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को इस पर विस्तृत सुनवाई करनी चाहिए थी। 

ASG राजू ने कहा - हर आम आदमी को जमानत के लिए पहले निचली अदालत जाना होता है। सीबीआई ने दलील देते हुए केजरीवाल की गिरफ्तारी को जरूरी बताते हुए कहा कि गिरफ्तारी जांच का ही अहम हिस्सा है। केजरीवाल को नोटिस दिया गया था। यह HC का अचानक लिया गया फैसला नहीं था।

ASG राजू ने कहा - अगर सुप्रीम कोर्ट अरविंद केजरीवाल को जमानत देता है तो इससे दिल्ली हाईकोर्ट का मनोबल गिरेगा। अगर उन्हें राहत मिलती है तो सभी गवाह दबाव में मुकर जाएंगे। 

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा - HC इस पर फैसला ले सकता है। वह जीवन और स्वतंत्रता के मामलों पर निर्णय ले सकता है। 

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। आपकों बता दे कि अब सीबीआई मामले में उनकी जमानत याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इससे पहले कोर्ट संजय सिंह, मनीष सिसोदिया, के कविता, विजय नायर समेत कई आरोपियों को बेल पर रिहा कर चुकी है। उधर, दिल्ली हाईकोर्ट ने इसी साल अगस्त महीने में सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।

क्या आरोप लगाए थे सीबीआई ने केजरीवाल के खिलाफ?

दरअसल, केजरीवाल शराब नीति को प्राइवेट हाथों में सौंपना चाहते थे। इसके लिए साउथ कैंप के नेता उनसे मिले थे। केजरीवाल ने खुद रिश्वत की रकम अपने एकाउंट में नहीं ली, लेकिन उनके सहयोगी Kickbacks  (रकम ) लिए। केजरीवाल की जानकार नेता यानी के कविता ने रिश्वत मांगी, रिश्वत की रकम आई भी, नीति भी लागू हुई, साउथ के वैंडरों को फायदा भी पहुंचा गया और गोवा इलेक्शन में ये पैसा इस्तेमाल भी हुआ। सब कुछ केजरीवाल की गाइडेंस में हुआ।

दिल्ली की नई शराब नीति में CBI द्वारा केजरीवाल से पूछताछ और गिरफ्तारी के पीछे की प्रमुख वजह यह भी थी कि केजरीवाल उस कैबिनेट का हिस्सा थे, जिसने उस नई शराब नीति को मंजूरी दी थी। इसके अलावा इस मामले में कई गवाहों के बयान, केजरीवाल से गवाहों की मीटिंग, केजरीवाल के होटल में रुकने के सबूत, पैसों का लेन-देना, फोन रिकार्ड्स, बैंक डिटेल्स और अन्य दस्तावेजों को आधार बनाया गया था।

CBI का आरोप था कि कथित अवैध रिश्वत लेने के बाद तत्कालीन आबकारी नीति 2021-22 में लाभ देने के लिए बदलाव किए गए। दूसरा आधार ये है कि शराब के थोक विक्रेताओं के लिए लाभ के मार्जिन को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया था। ये तमाम दलीलें सीबीआई ने दी थी। 

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