UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश का चुनावी रंग. और इस माहौल में कैराना की बात. कैराना वही जहां से लोगों के पलायन की ख़बरें आईं. वही जगह जहां के कुछ मकानों पर लिख दिया गया कि ये मकान बिकाऊ है. वही कैराना जहां हिंदू-मुस्लिम में दुश्मनी की ख़बरें आईं.
UP Election : कैराना में 'यह मकान बिकाऊ है' इसका आधा या अधूरा नहीं, जानिए क्या है पूरा सच
कैराना का आधा अधूरा, नहीं बल्कि पूरा सच जानिए, सिर्फ क्राइम तक पर kairana up election
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23 Jan 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:12 PM)
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ऐसे में सवाल था कि आखिर इनके पीछे ऐसे कौन से लोग हैं जो खुशियों के रंग में भंग डाल रहे हैं. वो कौन से लोग हैं जो पलायन करने पर मजबूर कर दे रहे हैं. आखिर ऐसे कौन से रंगबाज हैं जो यहां के सौहार्द में खलल डाल रहे हैं.
इनका पता लगाने के लिए क्राइम तक की टीम वहां पहुंची. कई लोगों से बात की. कभी किसी चचा से तो कभी बुजुर्ग से. हर तरह की बातें हुईं. लेकिन जो लोगों ने बातें बताईं उससे सुनकर तो यही लगा कि जो हमने दूर से देखा और सुना, पास आकर तो कुछ और ही समझ आया.
यहां के एक चचा ने तो ऐसी बातें कहीं. जिसे जानकर लगा कि कैराना का इतिहास तो हमलोग जानते ही नहीं. अब जब उन चचा की बात आप भी जानेंगे तो यही सोचेंगे. वाकई में ऐसी बातें तो कभी सामने आई ही नहीं.
उन चचा ने बताया कि कैराना को तो यूं ही बदनाम किया जाता है. ऐसी बातें सुनकर बड़ा दुख होता है. कैराना तो घराना है. वो घराना जिसमें शास्त्रीय संगीत है. इस घराने में कई उस्ताद भी हुए. ऐसे उस्ताद हुए जिनका देश ही नहीं विश्व में नाम हुआ.
चचा तो ये भी बताते हैं कि अमेरिका में कैराना घराना नाम से संगीत का स्कूल भी है. अब दुनिया में कैराना के घराने को पहचान मिली. लेकिन अपने आसपास में ही नहीं. इसलिए लोग रोटी रोजी के लिए यहां से कोई कोलकाता तो कोई बॉम्बे चला गया.
अब लोग इसे ही कह देते हैं कि कैराना से तो पलायन हो गया. अब कोई रोजगार के लिए गांव घर छोड़ के कहीं चला जावे तो उसे का कहेंगे. इसे पलायन कहेंगे क्या. असली पलायन का तो कोई नाम ही नहीं लेता है.
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