shahabad dairy murder: वो तो 16 साल की ही थी, और एक जन्मदिन की पार्टी में जाने ही वाली थी मगर वो इस बात से पूरी तरह से अंजान थी कि मौत उसका पीछा कर रही है और वो भी उस इंसान की शक्ल में जिसमें कभी उसकी जान बसती थी। और फिर इतवार की रात पौने नौ बजे,उसे मौत के पंजों ने दबोच ही लिया। वो मरती रही और साथ में मरती रही दिल्ली में बसने वाली इंसानियत।
वो लड़की बच सकती थी, अगर तमाशबीन लोग बस इतना कर देते!
shahabad dairy murder: तस्वीरों में दिख गया कि इस 'मुर्दा' शहर में जिंदा मौत, का ये तमाशा न होता अगर उस वक़्त तमाशबीन लोग बस एक एक पत्थर हाथ में उठा लेते।
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साहिल ने सरेआम एक नाबालिग को चाकुओं से गोदा तो दिल्ली डर गई
29 May 2023 (अपडेटेड: May 29 2023 6:04 PM)
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बस वो लड़का चाकू चलाता रहा
सीसीटीवी के जरिए सामने आई तस्वीरों को देखकर शायद ही कोई इंसान होगा जिसके सिर से लेकर पांव तक सिहरन न दौड़ गई है। क्योंकि ऐसी तस्वीरें सिर्फ फिल्मों में ही देखने को मिलती हैं जिसे दिल्ली के शाहबाद डेयरी के लोगों ने अपनी खुली आंख से देखा...क्योंकि वो लड़का उस लड़की को बस चाकू से मारता रहा...और हर वार के साथ वो लड़की चीखती रही और मौत के घाट उतरती रही...जब तक उसका दम साथ देता रहा, उसकी चीख भी निकलती रही, मगर चाकुओं का हरेक वार उसे बेदम करता रहा और फिर एक ऐसा वक़्त आया जब उसके बेजान शरीर से निकलने वाली सिसकियों ने भी दम तोड़ दिया...मगर क्या मजाल कि वहां से गुज़रने वाला तमाम राहगीरों में से दो अदद हाथ बढ़कर उन बेरहम हाथों को रोक देते जो खंजर से एक इंसानी जिस्म को बस गोद रहा था...। हर राहगीर बस उसे ऐसे देखता जा रहा था मानों ये सचमुच में न होकर किसी टीवी के पर्दे पर कोई फिल्म चल रही हो।
चाकुओं से मारने के बाद पत्थर से कुचला
चाकुओं से गोदने के बाद वो लड़का उस लड़की को पत्थरों से कुचलता रहा तब भी किसी ने उस वहशी हो चुके लड़के को रोकने की हिम्मत नहीं दिखाई। वो आकर बेजान जिस्म को लात मारता रहा तो भी किसी का हाथ उस हत्यारों को रोकने के लिए नहीं बढ़ा। ये मुर्दा हो चुके शहर दिल्ली का वो किस्सा सामने आया है जिसने एक बार फिर जिंदा मौत की ऐसी दास्तां सुनाई है जिसे सुनकर कोई भी इंसान सिहर सकता है।
काश किसी ने पत्थर उठा लिया होता
सीसीटीवी की तस्वीरों को फिर से देखने पर जिस सवाल ने सबसे पहले जेहन में दस्तक दी, वो ये कि जिस जगह ये वारदात हुई वहीं पास में पत्थरों का अच्छा खासा ढेर लगा हुआ है...तो क्या वहां से गुज़रने वाले किसी भी शख्स की इतनी भी हिम्मत नहीं हुई कि चाकू से नाबालिग लड़की को गोदने वाले उस शख्स को एक पत्थर उठाकर मार देते, शायद एक पत्थर की चोट एक जिंदगी को बचा लेती...
साहिल पर कत्ल की धुन सवार थी
ये सवाल इसलिए अहम हो जाता है कि सीसीटीवी की तस्वीरों में ये भी नज़र आ रह है कि आरोपी साहिल को बस एक ही धुन सवार थी, और वो ये कि वो किसी भी सूरत में अपने चाकू का कोई भी वार खाली नहीं जाने देना चाहता था, यहां तक कि एक बार वहां से गुज़र रहे एक शख्स ने उसका हाथ पकड़ने की कोशिश की, लेकिन उसने उस शख्स का हाथ झटककर फिर उस लड़की पर चाकू से वार करने में जुट गया।
इतने से काम से बच सकती थी जिंदगी
यानी उस साहिल की किसी पर कोई नज़र नहीं थी, बस वो तो किसी भी सूरत में उस लड़की को मौत के घाट उतारने पर अमादा था। ऐसे में वहां से निकलने वाले हर बेदिल शख्स के पास इतना मौका था कि वो वहां पड़े पत्थर से साहिल को इस संगीन जुर्म को अंजाम देने से रोक भी सकता था और 16 साल की साक्षी की जिंदगी बचा सकता था। लेकिन अफसोस किसी ने ऐसा नहीं किया। क्योंकि शायद साहिल के चाकू से एक ही झटके में वहां मौजूद तमाम लोगों की इंसानियत पहले ही मुर्दा हो चुकी थी। वो वो तमाम लोग सिर्फ अपनी लाश उठाए वहां से गुज़र भर रहे थे जो सीसीटीवी के कैमरे में कैद हुए।
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