गैस पाइप लाइन में छुपा जंग का राज़!
गैस पाइप लाइन को लेकर अमेरिका इसलिए बन रहा है चौधरी, ऐसे टल सकती है रूस-यूक्रेन के बीच जंग
गैस पाइपलाइन प्रॉजेक्ट ने रूस और यूक्रेन को पहुँचाया जंग के मुहाने पर, अमेरिका को इसलिए है परेशानी, Nord Stream 2 natural gas pipeline, Russia-Ukraine crisis, LATEST WORLD WAR NEWS, CRIMETAK
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23 Feb 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:14 PM)
Russia-Ukraine Tension: यूक्रेन खुद को बाइपास किए जाने से ज़ाहिर है नाराज होगा। क्योंकि अब तक ट्रांजिट फीस के तौर पर सालाना जो 33 बिलियन डॉलर रूस उसे देता था अब नहीं मिलेगा। यूक्रेन का कहना है कि रूस ने उसे जानबूझ कर बाइपास किया है। ताकि आर्थिक रूप से उसे कमजोर कर सके।
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इसीलिए यूक्रेन नॉर्ड स्ट्रीम -2 (Nord Stream 2) पाइप लाइन को शुरू किए जाने के ख़िलाफ है। वो चाहता है कि इस रोक लग जाए। पोलेैंड भी इसीलिए इसका विरोध कर रहा है क्योंकि रूस ने उसे भी बाइपास कर दिया।
अमेरिका के सिरदर्द की ये है वजह
Russia-Ukraine Tension: अब सवाल ये है कि अमेरिका को इससे क्या दिक्कत है। तो अमेरिका की परेशानी की दो वजह हैं। पहली अब तक अमेरिका जर्मनी समेत यूरोप के कई देशों को गैस की सप्लाई किया करता था। क़ीमत ज़्यादा थी। रूस ने जर्मनी के साथ जो समझौता किया है उसमें गैस की क़ीमत अमेरिका से कहीं कम है।
ज़ाहिर है इससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होगा। अमेरिकी की दूसरी परेशानी ये है कि ये नई गैस पाइपलाइन पूरे यूरोप को ऊर्जा के मामले में रूस पर निर्भर कर देगी। इससे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और ज्यादा ताकतवर बनकर उभरेंगे। इसी लिए अमेरिका भी लगातार इस नई पाइप लाइन का विरोध करता रहा है।
इसलिए अमेरिका को Nord Stream 2 है नापसंद
Russia-Ukraine tension: नॉर्ड स्ट्रीम रूस और जर्मनी के बीच समुद्र के नीचे से सीधी जाने वाली पाइपलाइन है। इसके जरिए रूस ज्यादा तेजी और अधिक मात्रा में अपनी गैस और तेल आपूर्ति कर सकेगा। ये पाइप लाइन बाल्टिक सागर से होकर गुजरेगी। इसको लेकर जहां जर्मनी और रूस काफी उत्साहित हैं वहीं यूक्रेन और अमेरिका इस पाइप लाइन का जबरदस्त विरोध कर रहे हैं।
यूक्रेन को डर है कि ये पाइपलाइन के बन जाने से उसको जो कमाई होती है वो बंद हो जाएगी जो उसके लिए आर्थिक तौर पर नुकसानदेह साबित होगी। वहीं, अमेरिका की मंशा जर्मनी समेत यूरोप को अपनी गैस और तेल बेचने की है। ऐसे में नॉर्ड स्ट्रीम-2 से उसकी मंशा पर पानी फिर सकता है।
अमेरिका यूरोप पर इसका विरोध करने को लेकर दबाव भी बना रहा है। इतना ही नहीं, जर्मनी के लिए भी अमेरिका इसको एक खराब सौदा बता रहा है। फ्रांस और पोलैंड समेत कुछ दूसरे यूरोपीय देश मानते हैं कि नॉर्ड स्ट्रीम-2 से जहां गैस का पारंपरिक ट्रांजिट रूट कमजोर होगा वहीं इससे रूस पर यूरोप की निर्भरता बढ़ जाएगी।
बीच मझदार में फंसा जर्मनी
Russia-Ukraine Tension: जर्मनी यूक्रेन पर रूस के किसी भी संभावित हमले के तो खिलाफ है लेकिन वो रूस के साथ गैस की डील से पीछे भी नहीं हटना चाहता। जर्मनी को ऊर्जा के लिए पाइप लाइन गैस की सख्त ज़रूरत है। रूस की मदद से जर्मनी 26 मिलियन जर्मन घरों में ऊर्जा पहुँचाएगा। वो भी सस्ती क़ीमत पर।
अमेरिका और यूरोप को इस बात का अच्छी तरह से अहसास है कि पुतिन के लिए ये नई गैस पाइपलाइन परियोजना बेहद अहम है। इसीलिए यूक्रेन पर हमले से रोकने के लिए अमेरिका और यूरोप के देश रूस को ये धमकी दे रहे हैं कि अगर उसने ऐसा कुछ किया तो इस गैस पाइपलाइन पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाएगी।
गैस पाइप लाइन से निकलेगा अमन का रास्ता
Russia-Ukraine Tension: यूरोपीय देश और यहां तक कि जर्मनी भी रूस से गैस नहीं खरीदेगा। खुद जर्मनी ने कहा है कि अगर रूस पर ऐसी कोई पाबंदी लगती है तो जर्मनी को इससे आर्थिक नुकसान होगा। लेकिन वो फिर भी नाटो के फैसले के साथ ही जाएगा।
पश्चिमी देशों ने भी यूक्रेन पर हमला करने से रोकने के लिए रूस को यही धमकी दी है कि ऐसा करने पर नॉर्ड स्ट्रीम-2 योजना ठप पड़ जाएगी। इससे रूस की अर्थ व्यवस्था भी हिल जाएगी। खुद रूस को भी इस बात का अंदाजा है। यानी जिस गैस पाइपलाइन ने रूस और यूक्रेन को जंग के मुहाने तक पहुँचा दिया शायद वही गैस पाइप लाइन इस जंग को टाल भी दे।
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