Bombay High Court: पुणे पोर्श एक्सीडेंट (Pune Porsche Car Accident Case) के सिलसिले में एक बड़ा अपडेट (Update) सामने आया है। बाम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने उस नाबालिग को जमानत दे दी है जिस पर पोर्श की तेज रफ्तार कार से दो इंजीनियरों को रौंदकर मार डालने का इल्जाम है। इसी महीने की 12 जून को जुविनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग को ऑब्जर्वेशन रिमांड होम (Observation Remand Home) में रखने की मियाद 25 जून तक बढ़ा दी थी। असल में इस मामले में उस वक्त दिलचस्प मोड़ आ गया था जब इस बात की पुष्टि हुई थी कि नाबालिग का ब्लड सैंपल उसकी मां के ब्लड से बदला गया था। ये फॉरेंसिक रिपोर्ट 5 जून को आई थी।
Pune Porsche Car Accident Case: बॉम्बे HC का बड़ा फैसला, नाबालिग को दे दी जमानत
25 Jun 2024 (अपडेटेड: Jun 25 2024 4:13 PM)
Porsche Car Accident Case: सुर्खियों में छाए रहे पुणे पोर्श कार Accident केस में मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बडा़ फैसला सुनाया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस हादसे के नाबालिग आरोपी को रिहा करने का आदेश दिया है। इस हादसे में 2 लोगों की मौत हो गई थी। एक्सीडेंट का आरोप एक नाबालिग पर लगा था जो कि शराब पीकर हाई स्पीड में कार चला रहा था।
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Blood Sample बदल दिया गया था
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पुलिस की तरफ से अदालत को बताया गया था कि नाबालिग के शराब के नशे में होने की बात छिपाने की खातिर उसके मां ने अपनी खून का सैंपल जांच के लिए दिया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को पुणे पोर्श दुर्घटना मामले में नाबालिग को रिहा करने का आदेश दिया है। अदालत ने रिमांड आदेश को अवैध करार देते हुए उसे खारिज कर दिया। नाबालिग पर आरोप है कि 18-19 मई की देर रात उसने अपनी बिना नंबर वाली पोर्श कार की तेज रफ्तार से स्कूटी सवार दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को टक्कर मारी जिससे दोनों की मौके पर मौत हो गई थी।
थाने से मिली जमानत के बाद पकड़ा था तूल
इस मामले ने तूल तब पकड़ा था जब उसे थाने से जमानत दे दी गई थी। आरोपी किशोर को जेजेबी ने रिमांड पर ले लिया गया था। इस दौरान कोर्ट को काफी मजम्मत का भी सामना करना पड़ा था क्योंकि आरोपी को निबंध लिखने, और ट्रैफिक पुलिस की मदद करने की मामूली सजा दी गई थी। हादसे के एक महीने बाद जस्टिस भारती डांगरे और मंजूषा देशपांडे की बेंच ने राहत देते हुए कहा कि हालांकि दुर्घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी, लेकिन नाबालिग को निगरानी गृह में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने जुविनाइल जस्टिस बोर्ड को किशोर को रिहा करने का आदेश दिया है। चूंकि नाबालिग के माता-पिता और दादा फिलहाल जेल में हैं, इसलिए किशोर की कस्टडी उसकी मौसी को दे दी गई है।
ड्राइवर ने खुद पर ले लिया था इल्जाम
आरोप है कि उसके परिवार ने नाबालिग के ब्लड सैंपल्स बदलने की कोशिश की, ताकि उसकी रिपोर्ट में शराब का पता न लग सके। इस मामले में दो लैब के कर्मचारियों को भी निलंबित किया गया था. इसके साथ नाबालिग के दादा पर इल्जाम है कि उन्होंने उनके ड्राइवर पर खुद पर इल्जाम लेने का जोर डाला था।
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